CGPSC MAINS 2021 : परीक्षा प्रारूप एवं रणनिति

अब, हम विश्लेषण करेंगे कि CG पीएससी मेन्स परीक्षा की तैयारी के लिए किसी को क्या करना चाहिए? इसे संदर्भित करने के लिए सभी स्रोत क्या हैं? उत्तर लेखन की भूमिका क्या है? और मेन्स परीक्षा लिखते समय किन पूर्वापेक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए?

आमतौर पर, प्रारंभिक परीक्षा के 3-4 महीने बाद मेन्स परीक्षा शुरू होती है, लेकिन CG पीएससी कैलेंडर 2021 के अनुसार, समय भी कम होगा। इसलिए, उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा के तुरंत बाद मेन्स की तैयारी शुरू कर दें।

मेन्स परीक्षा को 6 पेपर्स में विभाजित किया गया है जिसमें सामान्य अध्ययन, निबंध और हिंदी पेपर शामिल हैं। मेन्स परीक्षा के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण नियम और अधिक लिखें और अधिक लिखने के रूप में आप कर सकते हैं के रूप में कई नकली परीक्षण के रूप में यह योग्यता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।

मेन्स परीक्षा इस परीक्षा को क्रैक करने के लिए एक निर्णायक कारक है क्योंकि इसमें 1400 मार्क्स (साक्षात्कार सहित कुल 1575) शामिल हैं, फ्लाइंग रंगों के साथ मेन्स परीक्षा उत्तीर्ण करने के सुझाव निम्नलिखित हैं:

  1. बहुत सारे मॉक टेस्ट लें और इसे समय-सीमा में पूरा करने की कोशिश करें।
  2. सिलेबस के हर टॉपिक पर शॉर्ट हैंड नोट्स बनाए रखें, MOCK TESTS के प्रयास सेपहले इसे कई बार REVISE करें।
  3. अपनी राय व्यक्त करने के लिए जब भी आवश्यक हो, आरेख, प्रवाह चार्ट, केस स्टडी, मैप्स के साथ एक स्पष्ट भाषा में परीक्षण लिखें।
  4. मेन्स परीक्षा में सभी प्रश्नों के उत्तर दें।
  5. पूरे पेपर में सुपाठ्य लिखावट बनाए रखें।
  6. बुलेट अंक में 3 मार्कर और 6 मार्कर लिखने की कोशिश करें।
  7. जहाँ भी आवश्यक हो, करंट अफेयर्स से उदाहरण जोड़ें।
  8. नैतिकता पत्र में मूल्यों और पाठ्यक्रम की शर्तों को शामिल करने का प्रयास करें और अपने तर्कों को प्रमाणित करने के लिए उदाहरण।
  9. वर्णनात्मक उत्तर और निबंध में उचित संरचना (पहचान, शरीर और निष्कर्ष) का पालन किया जाना चाहिए।

 

 1) मुख्य परीक्षा पद्धति से रूबरू

  • प्रारम्भिक परीक्षा के माध्यम से चयनित विद्यार्थी इसमे भाग लेते हैं ।
  • प्रश्नविश्लेषणात्मक  प्रकार के होंगे
  • अति लघु उत्तरीय ,लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रकार के प्रश्न पुछे जाएंगे
  • प्रत्येक प्रश्न पत्र3 घंटे का होगा
  • प्रत्येक प्रश्न पत्र200 अंक का होगा
  • मुख्य परीक्षा मे कुल7 प्रश्न पत्र होंगे
  • सभी प्रश्न पत्र अनिवार्य हैं
S.NO. प्रश्न पत्र संख्या  प्रश्न पत्र का नाम  प्रश्न पत्र  की अवधि  कुल अंक 
1. I भाषा   3 घंटे 200
2. II निबंध  3 घंटे 200
3. III इतिहास, संविधान एवं लोक प्रशासन  3 घंटे 200
4. IV विज्ञान, प्रौद्यौगिकी एवं पर्यावरण ,गणित एवं तार्किक योग्यता 3 घंटे 200
5. V अर्थव्यवस्था एवं भूगोल  3 घंटे 200
6. VI दर्शन एवं समाजशास्त्र 3 घंटे 200
7. VII योजनाए, शिक्षा ,मानव विकास तथा समसामयिकि   3 घंटे 200
साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण  150
कुल अंक  1550

 

 2)मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम विश्लेषण  (CGPSC Mains Syllabus)

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम  (Paper 1) भाषा (Language)   (अंक –200 ,अवधि – 3 घंटा )

भाग-1:  General Hindi (सामान्य हिन्दी)

  • भाषा-बोध,
  • संक्षिप्त लेखन,
  • पर्यायवाची एवं विलोम शब्‍द,
  • समोच्‍चरित शब्दों के अर्थ भेद,
  • वाक्यांश के लिए एक सार्थक शब्द,
  • संधि एवं संधि-विच्छेद,
  • सामासिक पदरचना एवं समास-विग्रह,
  • तत्सम एवं शब्द, शब्द शुद्धि, वाक्‍य शुद्धि,
  • उपसर्ग एवं प्रत्यय,
  • मुहावरें एवं लोकोक्ति (अर्थ एवं प्रयोग)
  • पत्र लेखन।
  • हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल विभाजन एवं नामकरण,
  • छत्तीसगढ़ के साहित्यकार एवं उनकी रचनाएं।
  • अपठित गद्यांश,
  • शब्द युग्म,
  • प्रारूप लेखन,विज्ञापन,प्रपत्र,परिपत्र, पृष्ठांकन, अधिसूचना टिप्पणी लेखन,शासकीय अर्धशासकीय पत्र,प्रतिवेदन पत्रकारिता,
  • अनुवाद (हिन्दी से अंग्रेजी तथा अंग्रेजी से हिन्दी)

भाग-2: General English

  • Comprehension,
  • Precis Writing,
  • Re arrangement and correction of sentences,
  • Synonyms, Antonyms,
  • Filling the blanks,
  • Correction of spelling,
  • Vocabulary and usage,
  • Idioms and Phrases,
  • Tenses,
  • Prepositions,
  • Active Voice and Passive Voice,
  • Parts of Speech.

भाग-3:  छत्तीसगढी़ भाषा 

  • छत्तीसगढी़ भाषा का ज्ञान,
  • छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास एवं इतिहास,
  • छत्तीसगढ़ी भाषा का साहित्य एवं प्रमुख साहित्यकार,
  • छत्तीसगढ़ी का व्याकरण, शब्द साधन-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, वाच्य, अव्यय (क्रिया विशेषण, संबंध बोधक, विस्‍मयादि बोधक) कारक, काल, लिंग, वचन, शब्द रचना की विधियाँ, उपसर्ग, प्रत्यय
  • संधि (अ) हिन्दी में संधि, (ब) छत्तीसगढ़ी में संधि, समास,
  • छत्‍तीसगढ़ राजभाषा आयोग,
  • छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, आकाशवाणी व सिनेमा की भूमिका,
  • लोकव्यवहार में छत्तीसगढ़ी,
  • छत्तीसगढ़ी भाषा का सामान्य परिचय- नामकरण, छत्तीसगढ़ी भाषा का परिचय, छत्तीसगढ़ी में क्रियाओं में वर्तमान, भूत तथा पूर्ण+अपूर्ण वर्तमान भविष्य काल के रूप काल, लिखना-क्रिया के भूतकाल के रूप, पूर्ण+अपूर्ण भूतकाल, पढ़ना-क्रिया के भविष्यकाल के रूप, पूर्ण-अपूर्ण भविष्यकाल
  • पाद- टिप्पणी।

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम Paper 02

निबंध (अंक –200 ,अवधि – 3 घंटा )

  • भाग-1: अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे
    अभ्यर्थी को कुल दो मुद्दो पर निबंध (कारण, वर्तमान स्थिति आँकड़ों सहित एवं समाधान)लिखना होगा। इस भाग से चार मुद्दे दी जाएंगी जिनमे से दो मुद्दों पर लगभग 750-750 शब्दों मे निबंध लिखना होगा इस भाग के प्रत्येक मुद्दे हेतु अधिकतम 50 अंक होंगे।
  • भाग-2:छत्तीसगढ़ राज्य स्तर के मुद्दे
    अभ्यर्थी को कुल दो मुद्दो पर निबंध (कारण, वर्तमान स्थिति आँकड़ों सहित एवं समाधान)लिखना होगा। इस भाग से चार मुद्दे दी जाएंगी जिनमे से दो मुद्दों पर लगभग 750-750 शब्दों मे निबंध लिखना होगा इस भाग के प्रत्येक मुद्दे हेतु अधिकतम 50 अंक होंगे।

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम Paper 03 

General Studies – I  इतिहास, संविधान एवं लोक प्रशासन   (अंक –200 ,अवधि – 3 घंटा )

भाग-1: भारत  का इतिहास  (75 अंक )

प्रागैतिहासिक काल, सिंधु सभ्यता, वैदिक सभ्यता, जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म, मगध साम्राज्य का उदय, मौर्य-राजनय तथा अर्थव्यवस्था, शुंग, सातवाहन काल, गुप्त साम्राज्य, गुप्त-वाकाटक काल में कला, स्थापत्य साहित्य तथा विज्ञान का विकास, दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश। मध्यकालीन भारतीय इतिहास, सल्तनत एवं मुगल काल, विजय नगर राज्य, भक्ति आन्दोलन, सूफीवाद, क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य का विकास, मराठों का अभ्युदय, यूरोपियों का आगमन तथा ब्रिटिश सर्वोच्चता स्थापित होने के कारक, ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार-युद्ध एवं कूटनीति, ग्रामीण अर्थव्यवस्था-कृषि, भू-राजस्‍व व्यवस्था-स्थाई बंदोबस्त, रैय्यतवाड़ी, महालवाड़ी, हस्तशिल्प उद्योगों का पतन। ईस्ट इंडिया कम्पनी के रियासतों के साथ संबध, प्रशासनिक संरचना में परिवर्तन 1858 के पश्‍चात् नगरीय अर्थव्यवस्था-रेलों का विकास, औद्योगीकरण, संवैधानिक विकास, सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन-ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज रामकृष्ण मिशन, राष्ट्रवाद का उदय, 1857 की क्रांति, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना, बंगाल का विभाजन और स्वदेशी आंदोलन साम्प्रदायिकता का उदय एवं विकास, क्रांतिकारी आंदोलन, होमरूल आन्दोलन, गांधीवादी आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, मजदूर किसान एवं आदिवासी आंदोलन, दलितों में सुधार आंदोलन, मुस्लिमों में सुधार, अलीगढ़ आंदोलन, आजाद हिन्द फौज, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन, रियासतों का विलीनीकरण।

भाग-2: संविधान एवं लोक प्रशासन(50 अंक )

भारत का संवैधानिक विकास (1773-1950), संविधान का निर्माण एवं मूल विशेषताएं, प्रस्तावना, संविधान की प्रकृति, मूलभूत अधिकार और कर्तव्य, राज्य नीति के निदेशक तत्व; संघीय कार्यपालिका, व्यवस्थापिका न्यायपालिका। संवैधानिक उपचार का अधिकार, जनहित याचिकाएं, न्यायिक सक्रियता, न्यायिक पुनरावलोकन, महान्यायवादी। राज्य कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका महाधिवक्‍ता। संघ राज्य संबंध-विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय। अखिल भारतीय सेवाएं, संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग। आपात् उपबंध, संवैधानिक संशोधन, आधारभूत ढांचे की अवधारणा।

छत्तीसगढ़ शासन – व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। लोक प्रशासन-अर्थ, क्षेत्र, प्रकृति और महत्व। उदारीकरण के अधीन लोक प्रशासन। नवीन लोक प्रशासन, विकास प्रशासन व तुलनात्‍मक लोक प्रशासन। लोक प्रशासन में नए आयाम। राज्य बनाम बाजार। विधि का शासन। संगठन-सिद्धांत, उपागम, संरचना। प्रबंध नेतृत्व नीति निर्धारण, निर्णय निर्माण। प्रशासनिक प्रबंध के उपकरण-समन्वय, प्रत्यायोजन, संचार, पर्यवेक्षण, अभिप्रेरणा। प्रशासनिक सुधार, सुशासन, ई-गवर्नेस, नौकरशाही। जिला प्रशासन, भारत में प्रशासन पर नियंत्रण-संसदीय, वित्तीय, न्यायिक एवं कार्यपालिका। लोकपाल एवं लोक आयुक्‍त। सूचना का अधिकार। पंचायत एवं नगरपालिकाए। संसदीय-अध्यक्षात्मक, एकात्मक-संघात्मक शासन। शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत। छत्तीसगढ़ का प्रशासनिक ढांचा।

भाग-3:छत्तीसगढ़ का इतिहास(75 अंक )

प्रागैतिहासिक काल, छत्तीसगढ़ का इतिहास-वैदिक युग से गुप्त काल तक, प्रमुख राजवंश राजर्षितुल्‍य कुल, नल, शरभपुरीय, पांडु, सोमवंशी इत्यादि, कल्चुरी एवं उनका प्रशासन, मराठों के अधीन छत्तीसगढ़, ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़ की पूर्व रियासतें और जमींदारियॉं। सामन्ती राज, 1857 की क्रांति, छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता आंदोलन, श्रमिक, कृषक एवं जनजातिय आंदोलन, छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण।

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम Paper 04

General Studies – II विज्ञान, प्रौद्यौगिकी एवं पर्यावरण   (अंक –200 ,अवधि – 3 घंटा )

भाग-1:  सामान्य विज्ञान(75 अंक )

रसायन – रासायनिक अभिक्रिया के दर एवं रासायनिक साम्य-रासायनिक अभिक्रिया की दर का प्रारंभिक ज्ञान, तीव्र एवं मंद रासायनिक अभिक्रियाएं, धातुएँ-आर्वत सारणी में धातुओं की स्थिति एवं सामान्य गुण, धातु, खनिज अयस्क, खनिज एवं अयस्क में अंतर। धातुकर्म-अयस्कों का सांद्रण, निस्‍तापन, भर्जन, प्रगलन एवं शोधन, कॉपर एवं आयरन का धातुकर्म, धातुओं का संक्षारण, मिश्र धातुएँ। अधातुएँ – आवर्त सारणी में अधातुओ की स्थिति एवं सामान्य गुण, कुछ महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक, कुछ सामान्य कृत्रिम बहुलक, पॉलीथीन, पाली विनाइल क्लोराइड, टेफ्लान, साबुन एवं अपमार्जक।

भौतिक शास्त्र– प्रकाश-प्रकाश की प्रकृति, प्रकाश का परावर्तन, परावर्तन के नियम, समतल एवं वक्र सतह से परावर्तन, समतल, उत्तल एवं अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब रचना, फोकस दूरी तथा वक्रता त्रिज्या में संबंध, गैसों में विद्युत विसर्जन।सूर्य में ऊर्जा उत्‍पत्ति के कारण, विद्युत और इसके प्रभाव-विद्युत तीव्रता, विभव-विभवान्तर, विद्युत धारा, ओह्म का नियम, प्रतिरोध, प्रभावित करने वाले कारक, प्रतिरोधों का संयोजन एवं इसके आंकिक प्रश्‍न, विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव, इसकी उपयोगिता, शक्ति एवं विद्युत ऊर्जा व्यय की गणना (आंकिक) विद्युत प्रयोग में रखी जाने वाली सावधानियाँ, प्रकाश विद्युत प्रभाव, सोलर सेल, संरचना, P-N संधि, डायोड।

जीवविज्ञान – परिवहन-पौधों में जल एवं खनिज लवण का परिवहन, जंतुओं में परिवहन (मानव के सदर्भ मेें) रूधिर की संरचना तथा कार्य, हृदय की संरचना तथा कार्यविधि (प्राथमिक ज्ञान) प्रकाश संश्‍लेषण-परिभाषा, प्रक्रिया के प्रमुख पद, प्रकाश अभिक्रिया एवं अंधकार अभिक्रिया। श्‍वसन-परिभाषा, श्‍वसन एवं श्‍वासोच्छवास, श्‍वसन के प्रकार, आक्सी श्‍वसन एवं अनाक्सी श्‍वसन, मनुष्य का श्‍वसन तंत्र एवं श्‍वसन प्रक्रिया। मनुष्य का पाचन तंत्र, एवं पाचन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी) नियंत्रण एवं समन्वय-मनुष्य का तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क एवं मेरूरज्जू की संरचना एवं कार्य, पौधों एवं जन्तुओं मेें समन्वय पादप हार्मोन, अन्‍त:स्‍त्रावी गंथियां हार्मोन एवं कार्य। प्रजनन एवं वर्धी-प्रजनन के प्रकार, अलैगिक प्रजनन, विखण्‍डन, मुकलन एवं पुनरूदभवन , कृत्रिम वर्धी प्रजनन, स्तरीकरण कलम लगाना, ग्राफ्टिंग, अनिषेक प्रजनन, पौधों में लैंगिक प्रजनन अंग, पुष्प की संरचना एवं प्रजनन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी) परागण, निषेचन। मानव प्रजनन तंत्र तथा प्रजनन प्रक्रिया (समान्य जानकारी) अनुवांशिकी एवं विकास-अनुवांशिकी एवं भिन्‍नताएं अनुवांशिकता का मूल आधार गुणसूत्र एवं DNA (प्रांरभिक जानकारी)।

भाग-2: योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता एवं बुद्धिमता परीक्षण(50 अंक )

परिमेय संख्‍याओं का जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना 2 परिमेय संख्याओं के बीच परिमेय संख्‍या ज्ञात करना। अनुपात एवं समानुपात-अनुपात व समानुपात की परिभाषा, योगानुपात, अंतरानुपात, एकांतरानुपात, व्‍युत्‍क्रमानुपात आदि व उनके अनुप्रयोग। वाणिज्‍य गणित-बैंकिंग-बचत खाता, सावधि जमा खाता एवं आवर्ती जमा खाता पर ब्‍याज की गणना। आयकर की गणना (केवल वेतनभोगी के लिए तथा गृह भाड़ा भत्‍ता को छोड़कर) गुणनखंड, लघुत्‍तम समापवर्तक, महत्‍तम समापवर्त्य। वैदिक गणित-जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग बीजांक से उत्‍तर की जांच। वर्ग वर्गमूल, घन, घनमूल, विकुलम एवं उसके अनुप्रयोग तथा बीजगणित से वैदिक गणित विधियों का प्रयोग आदि। भारतीय गणितज्ञ एवं उनका कृतित्‍व-आर्यभट्ट, वराह मिहिर, ब्रह्मगुप्‍त, भास्‍कराचार्य, श्रीनिवास रामानुजन के संदर्भ में।

गणितीय संक्रियाएं, मूल संख्‍यात्‍मक कार्य (संख्‍या और उनके संबंध आदि, परिमाण क्रम इत्‍यादि), आंकड़ो की व्‍याख्‍या (चार्ट, रेखांकन, तालिकाएं, आकड़ों की पर्याप्‍तता इत्‍यादि) एवं आंकड़ों का विश्‍लेषण सामान्‍तर माध्‍य, माध्यिका, बहुलक, प्रायिकता, प्रायिकता के जोड़ एवं गुणा प्रमेय पर आधारित प्रश्‍न, व्‍यवहारिक गणित-लाभ हानि, प्रतिशत, ब्‍याज एवं औसत। समय, गति, दूरी, नदी, नाव। सादृश्‍य (संबधात्‍मक) परीक्षण, विषम शब्‍द, शब्‍दों का विषम जोड़ा, सांकेतिक भाषा परीक्षण, संबंधी परीक्षण, वर्णमाला परीक्षण, शब्‍दों का तार्किक विश्‍लेषण, छूटे हुए अंक या शब्‍द की प्रविष्टि, कथन एवं कारण, स्थिति प्रतिक्रिया परीक्षण, आकृति श्रेणी, तथ्‍यों का लुप्‍त होना, सामान्‍य मानसिक योग्‍यता।

भाग-3: एप्‍लाईड एवं व्‍यवहारिक विज्ञान(75 अंक )

ग्रामीण भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका, कम्‍प्‍यूटर का आधारभूत ज्ञान, संचार एवं प्रसारण में कम्‍प्‍यूटर, आर्थिक वृद्धि हेतु सॉफ्टवेयर का विकास, आई.टी. के वृहद अनुप्रयोग। ऊर्जा संसाधन-ऊर्जा की मांग, नवीनीकृत एवं अनवीनीकृत ऊर्जा के स्‍त्रोत नाभिकीय ऊर्जा का देश में विकास एवं उपयोगिता। भारत में वर्तमान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास, कृषि का उद्भव, कृषि विज्ञान में प्रगति एवं उसके प्रभाव, भारत में फसल विज्ञान, उर्वरक, कीट नियंत्रण एवं भारत में रोगों का परिदृश्‍य।

जैव विविधता एवं उसका संरक्षण– सामान्‍य परिचय-परिभाषा, अनुवांशिक प्रजाति एवं पारिस्थितिक तंत्रीय विविधता। भारत का जैव-भौगोलिक वर्गीकरण। जैव विविधता का महत्‍व विनाशकारी उपयोग उत्‍पादक उपयोग, सामाजिक, नैतिक, वैकल्पिक दृष्टि से महत्‍व। विश्‍व स्‍तरीय जैव विविधता, राष्‍ट्रीय एवं स्‍थानीय स्‍तर की जैव विविधता। भारत एक वृहद् विविधता वाले राष्‍ट्र के रूप में। जैव विविधता के तप्‍त स्‍थल। जैव विविधता को क्षति-आवासीय, क्षति, वन्‍य जीवन को क्षति, मानव एवं वन्‍य जन्‍तु संघर्ष। भारत की संकटापन्‍न (विलुप्‍त होती) एवं स्‍थानीय प्रजातियां। जैव-विविधता का संरक्षण-असंस्थितिक एवं संस्थितिक संरक्षण। पर्यावरण प्रदूषण-कारण प्रभाव एवं नियंत्रण के उपाय-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, समुद्री प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्‍वनि प्रदूषण, तापीय प्रदूषण, नाभिकीय प्रदूषण। ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन-नगरीय एवं औद्योगिक ठोस कूड़े-करकट का प्रबंधन, कारण, प्रभाव एवं नियंत्रण। प्रदूषण के नियंत्रण में व्‍यक्ति की भूमिका।

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम Paper 05

General Studies – III अर्थव्यवस्था एवं भूगोल  (अंक –200 ,अवधि – 3 घंटा )

भाग-1:  भारत एवं छत्तीसगढ़ की अर्थव्‍यवस्‍था(75 अंक )

  1. राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्‍ति आय, भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में संरचनात्मक परिवर्तन (सकल घरेलू उत्पाद एवं कार्यशक्ति)। निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों की भूमिका में परिवर्तन एवं नवीनतम योजनाओं के कुल योजनागत व्‍यय में उनके हिस्से। आर्थिक सुधार, निर्धनता एवं बेरोजगारी की समस्‍याएं, माप एवं उन्हें दूर करने के लिए किए गए उपाय। मौद्रिक नीति- भारतीय बैंकिंग एवं गैर-बैंकिग वित्तीय संस्थानों के स्वरूप एवं उनमें 1990 के दशक से सुधार, रिजर्व बैंक के साख का नियमन। सार्वजनिक राजस्व, सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटे की संरचना और अर्थ-व्यवस्था पर उनके प्रभाव।
  2. छ.ग. के संदर्भ में- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग का सामाजिक पिछड़ापन, साक्षरता एवं व्यावसायिक संरचना, आय एवं रोजगार के क्षेत्रीय वितरण में परिवर्तन, महिलाओं की सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण। बाल श्रम समस्या, ग्रामीण विकास। राज्य की वित्त एवं बजटीय नीति, कर संरचना, केन्द्रीय कर में हिस्सेेदारी, राजस्व एवं पूंजी खाता में व्यय संरचना, उसी प्रकार योजना एवं गैर-योजनागत व्यय, सार्वजनिक ऋण की संरचना। आंतरिक एवं विश्‍व बैंक के ऋण सहित बाह्य ऋण। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण साख के संस्थागत एवं गैर-संस्थागत स्त्रोत। सहकारिता की संरचना एवं वृद्धि तथा कुल साख में उनके हिस्से, पर्याप्तता एवं समस्‍याएं।

भाग-2: भारत का भूगोल(50 अंक )

भारत की भौतिक विशेषतायें – स्थिति एवं विस्तार, भूगर्भिक संरचना, भौतिक विभाग अपवाह तंत्र, जलवायु मिट्टी, वनस्‍पति व वनों का महत्‍व, भारतीय वन नीति, वन संरक्षण।

मानवीय विशेषतायें : जनसंख्या-जनगणना, जनसंख्या वृद्धि घनत्व व वितरण, जन्मदर, मृत्युदर, शिशु मृत्‍यु दर, प्रवास, साक्षरता, व्यावसायिक संरचना, नगरीयकरण।

कृषि  भारतीय कृषि की विशेषताएं कृषिगत फसलें-खाद्यान्न, दालें, तिलहन व अन्य‍ फसले उत्पादन एवं वितरण। सिंचाई के साधन व उनका महत्व, कृषि का आधुनिकीकरण, कृषि की समस्याएं एवं नियोजन। सिंचाई बहुद्देशीय परियोजनाएं। हरित क्रांति, श्‍वेत क्रांति, नीली क्रांति। खनिज संसाधन : खनिज भंडार, खनिज उत्पादन एवं वितरण। ऊर्जा संसाधन : कोयला, पेट्रोलियम, तापीय विद्युत शक्ति, परमाणु शक्ति, ऊर्जा के गैर परम्‍परागत स्‍त्रोत। उद्योग : भारत में उद्योगों के विकास एवं संरचना, बड़े, मध्ययम, लद्यु एवं लद्युत्तर क्षेत्र। कृषि, वन व खनिज आधारित उद्योग।

भाग-3: छत्तीसगढ़ का भूगोल-(75 अंक )

छत्तीसगढ़ की भौतिक विशेषतायें – स्थिति एवं विस्तार, भूगर्भिक संरचना, भौतिक विभाग, अपवाह तंत्र, जलवायु, मिट्टी वनस्पति व वन्य जीवन-वनों का महत्व, वन्य जीवन प्रबंध-राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण, राज्य की वन नीति, वन संरक्षण।

मानवीय विशेषतायें: जनसंख्या वृद्धि, घनत्व व वितरण, जन्म दर, मृत्यु दर, शिशु मृत्‍यु दर, प्रवास, लिंगानुपात व आयु वर्ग, अनुसूचित जन-जाति जनसंख्या, साक्षरता, व्यावसायिक संरचना, नगरीकरण, परिवार कल्याण कार्यक्रम।

कृषि– कृषिगत फसलें, खाद्यान्‍न, दालें, तिलहन व अन्य फसलें उत्‍पादन एवं वितरण। सिंचाई के साधन व उनका महत्‍व, महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं, कृषि की समस्‍याएं एवं कृ‍षकों के उत्‍थान के लिए राज्‍य की योजनाएं। खनिज संसाधन – छत्‍तीसगढ़ में विभिन्‍न खनिजों के भण्‍डार, खनिजों का उत्‍पादन एवं वितरण। ऊर्जा संसाधन : कोयला, तापीय विद्युत शक्ति ऊर्जा के गैर परम्‍परागत स्‍त्रोत। उद्योग : छत्‍तीसगढ़ में उद्योगों के विकास एवं संरचना, बड़े मध्‍यम, लघु एवं लघुत्‍तर क्षेत्र। कृषि, वन व खनिज आधारित उद्योग। परिवहन के साधन एवं पर्यटन।

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम Paper 06

General Studies – IV दर्शन एवं समाजशास्त्र   (अंक –200 ,अवधि – 3 घंटा )

भाग-1:  दर्शनशास्‍त्र(75 अंक )

दर्शन का स्‍वरूप, धर्म एवं संस्‍कृति से उसका संबंध भारतीय दर्शन एवं पाश्‍चात्‍य दर्शन में अंतर, वेद एवं उपनिषद्-ब्रह्मा, आत्‍मा, ऋत, गीता दर्शन-स्थितप्रज्ञ, स्‍वधर्म, कर्मयोग, चार्वाक दर्शन-ज्ञानमीमांसा, तत्‍त्‍वमीमांसा, सुखवाद, जैन दर्शन-जीव का स्‍वरूप, अनेकांतवाद, स्‍यादवाद, पंचमहाव्रत बौद्ध दर्शन-प्रतीत्‍यसमुत्‍पाद, अष्‍टांग मार्ग, अनात्‍मवाद, क्षणिकवाद, सांख्‍य दर्शन-सत्‍कार्यवाद, प्रकृति एवं पुरूष का स्‍वरूप, विकासवाद योग दर्शन-अष्‍टांग योग, न्‍याय दर्शन-प्रमा, अप्रमा, असत्‍कार्यवाद, वैशेषिक दर्शन-परमाणुवाद, मीमांसा दर्शन-धर्म, अपूर्व का सिद्धान्‍त, अद्वैत वेदान्‍त-ब्रह्म, माया, जगत, मोक्ष, कौटिल्‍य-सप्‍तांग सिद्धान्‍त, मण्‍डल सिद्धान्‍त गुरूनानक-सामाजिक नैतिक चिन्‍तन, गुरू घासीदास-सतनाम पथ की विशेषताएं, वल्‍लभाचार्य-पुष्टिमार्ग, स्‍वामी विवेकानन्‍द-व्‍यावहारिक वेदान्‍त, सार्वभौम धर्म, श्री अरविन्‍द-समग्र योग, अतिमानस, महात्‍मा गांधी-अहिंसा, सत्‍याग्रह, एकादश व्रत, भीमराव अम्‍बेडकर-सामाजिक चिन्‍तन, दीनदयाल उपाध्‍याय-एकात्‍म मानव दर्शन ,

प्‍लेटो-सदगुण, अरस्‍तू-कारणता सिद्धान्‍त, संत एन्‍सेल्‍म-ईश्‍वर सिद्धि हेतु सत्‍तामूलक तर्क, देकार्त-संदेह पद्धति, मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ, स्पिनोजा-द्रव्‍य, सर्वेश्‍वरवाद, लाइब्‍नीत्‍ज-चिदणुवाद, पूर्व स्‍थापित सामंजस्‍य का सिद्धान्‍त लॉक-ज्ञानमीमांसा, बर्कले-सत्‍ता अनुभवमूलक है, ह्यूम-संदेहवाद, कांट-समीक्षावाद, हेगल-बोध एवं सत्‍ता, द्वन्‍द्वात्‍मक प्रत्‍ययवाद, ब्रेडले-प्रत्‍ययवाद, मूर-वस्‍तुवाद, ए.जे. एयर-सत्‍यापन सिद्धान्‍त, जॉन डिवी-व्‍यवहारवाद सार्त्र-अस्तित्‍ववाद, धर्म का अभिप्राय, धर्मदर्शन का स्‍वरूप, धार्मिक सहिष्‍णुता, पंथ निरपेक्षता, अशुभ की समस्‍या, नैतिक मूल्‍य एवं नैतिक, दुविधा प्रशासन में नैतिक तत्‍व, सत्‍यनिष्‍ठा, उत्‍तरदायित्‍व एवं पारदर्शिता, लोक सेवकों हेतु आचरण संहिता, भ्रष्‍टाचार-अर्थ, प्रकार, कारण एवं प्रभाव, भ्रष्‍टाचार दूर करने के उपाय, व्हिसलब्‍लोअर की प्रासंगिकता।

भाग-2: समाजशास्‍त्र(50 अंक )

अर्थ, क्षेत्र एवं प्रकृति, अध्‍ययन का महत्‍व, अन्‍य विज्ञानों से इसका संबंध। प्राथमिक अवधारणाएँ-समाज, समुदाय, समिति, संस्‍था, सामाजिक समूह, जनरीतियाँ एवं लोकाचार। व्‍यक्ति एवं समाज-सामाजिक अत: क्रियाऍं, स्थिति एवं भूमिका, संस्‍कृति एवं व्‍यक्तित्‍व, समाजीकरण। हिन्‍दू सामाजिक संगठन-धर्म, आश्रम, वर्ण, पुरूषार्थ। सामाजिक स्‍तरीकरण-जाति एवं वर्ग। सामाजिक प्रक्रियाऍं-सामाजिक अत: क्रिया, सहयोग, संघर्ष, प्रतिस्‍पर्धा।सामाजिक नियंत्रण एवं सामाजिक परिवर्तन-सामाजिक नियंत्रण के साधन एवं अभिकरण। सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएं एवं कारक। भारतीय सामाजिक समस्‍याएं सामाजिक विघटन, नियमहीनता, अलगाव, विषमता। सामाजिक शोध एवं प्रविधियां-सामाजिक अनुसंधान का उद्देश्‍य, सामाजिक घटनाओं के अध्‍ययन में वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग, वस्‍तुनिष्‍ठता की समस्‍या, तथ्‍य संकलन की प्रविधियां एवं उपकरण-अवलोकन, साक्षात्‍कार, प्रश्‍नावली, अनुसूची।

भाग-3: छत्तीसगढ़ का सामाजिक परिदृश्‍य(75 अंक )

जनजातीय सामाजिक संगठन, विवाह, परिवार, गोत्र, युवा, समूह, जनजातीय विकास-इतिहास कार्यक्रम व नीतियां-संवैधानिक व्‍यवस्‍था। छत्‍तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजातियां, अन्‍य जनजातियां, अनुसूचित जातियां एवं अन्‍य पिछड़ा वर्ग की जातियां, छत्‍तीसगढ़ के जनजातियों में प्रचलित प्रमुख आभूषण एवं विशेष परंपराएं, जनजातीय समस्‍याएं : पृथक्‍करण, प्रवासन और परसंस्‍कृतिकरण। छत्‍तीसगढ़ की लोक कला, लोक साहित्‍य एवं प्रमुख लोक कलाकार, छत्‍तीसगढ़ी लोकगीत, लोककथा, लोक नाट्य!

जनऊला मुहावरे, हाना, लोकोकृतियाँ। छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के साहित्‍य, संगीत एवं ललित कला के क्षेत्र में स्‍थापित संस्‍थाएं, उक्‍त क्षेत्रों में छत्‍तीसगढ़ शासन द्वारा स्‍थापित सम्‍मान एवं पुरस्‍कार। छत्‍तीसगढ़ की लोक संस्‍कृति, छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के प्रमुख मेले तथा पर्व-त्‍यौहार, राज्‍य के पुरातात्विक संरक्षित स्‍मारक एवं स्‍थल तथा उत्‍खनित स्‍थल, छत्‍तीसगढ़ शासन द्वारा चिन्‍हांकित पर्यटन स्‍थल, राष्‍ट्रीय उद्यान, अभ्‍यारण्‍य और बस्‍तर के जलप्रताप एवं गुफाएं, छत्‍तीसगढ़ के प्रमुख संत।

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम Paper 07

 General Studies – V योजनाए, शिक्षा ,मानव विकास तथा समसामयिकि(new)  (अंक –200 ,अवधि – 3 घंटा )

भाग-1:  कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून(75 अंक )

  1. सामाजिक एवं महत्वपूर्ण विधान– भारतीय समाज, सामाजिक बदलाव के एक साधन के रूप में सामाजिक विधान, मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम् 1993, भारतीय संविधान एवं आपराधिक विधि (दण्ड प्रक्रिया संहित) के अंतर्गत महिलाओं को प्राप्त सुरक्षा (सीआरपीसी), घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम-2005, सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005,पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम् 1986 सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम-1988.
  2. छत्तीसगढ़ के संदर्भ में :छत्तीसगढ़ में प्रचलित विभिन्‍न नियम/अधिनियम एवं उनके छत्तीसगढ़ के निवासियों पर कल्‍याणकारी एवं विकासात्मक प्रभाव।
  3. छत्तीसगढ़ शासन की कल्‍याणकारी योजनाएं:छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समय-समय पर प्रचलित कल्‍याणकारी, जनोपयोगी एवं महत्वपूर्ण योजनायें।

भाग-2: अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाएं एवं संगठन(50 अंक )

संयुक्‍त राष्ट्र एवं उसके सहयोगी संगठन, अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष, विश्‍व बैंक एवं एशियाई बैंक, सार्क, ब्रिक्स अन्य द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय समूह, विश्‍व व्यापार संगठन एवं भारत पर इसके प्रभाव, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय खेल एवं प्रतियोगिताएं।

भाग-3: अंतर्राष्‍ट्रीय एवं राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाएं एवं मानव विकास में उनका योगदान(75 अंक )

कुशल मानव संसाधन की उपलब्‍धता, भारत में मानव संसाधन की नियोजिता एवं उत्पादकता, रोजगार के विभिन्‍न चलन (ट्रेंडस) मानव संसाधन विकास में विभिन्‍न संस्थाओं परिषदों, जैसे-उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए राष्‍ट्रीय आयोग, राष्‍ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग, मुक्‍त विश्‍वविद्यालय, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद्, राष्‍ट्रीय शिक्षा शिक्षक परिषद्, राष्ट्रीय व्‍यवसायिक शिक्षा परिषद्, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंध संस्था‍न, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय विधि विश्‍वविद्यालय, पॉलीटेक्निक एवं आई.टी.आई. आदि की भूमिका, मानव संसाधन विकास में शिक्षा-एक साधन, सार्वभौमिक/समान प्रारंभिक शिक्षा, उच्च, शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा, व्‍यावसायिक शिक्षा की गुणवत्ता, बालिकाओं की शिक्षा से संबंधित मुद्दे, वंचित वर्ग, नि:शक्‍त जन से संबंधित मुद्दे।

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