छत्तीसगढ़ पर्यटन : जशपुर जिले के प्रमुख पर्यटन क्षेत्र [Tourist Places in Jashpur District]
कुनकुरी (ईसाइयों का तीर्थ)-
रायगढ़-जशपुर सड़क मार्ग पर रायगढ़ से लगभग 167 कि.मी., पत्थरगाँव से 56 कि.मी. तथा जशपुर नगर से 44 कि.मी. की दूरी पर ‘कुनकुरी’ का आकर्षण है-प्रदेश का विशाल महा गिरजाघर. मिश्रित शिल्प का प्रसिद्ध कैथोलिक चर्च अंचल का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है.
कैथेड्रल (महागिरिजा घर) / कुनकुरी चर्च जिला मुख्यालय जशपुर से 43 कि.मी. दूर कुनकुरी शहर में स्थित हैं। इस चर्च के सौन्दर्य को देखने प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख से अधिक सभी धर्मों के लोग और पर्यटक पहुंचते हैं। यह चर्च अर्ध गोलाकार में बना हुआ है ड्रोन कैमरे से देखने पर ऐसा लगता हैं मानो प्रभु येशु दोनों हाथों को फैलाये हुए अपने पास बुला रहे।
कैथोलिक समुदाय में 7 अंक का विशेष महत्व होता है इसी को ध्यान में रखते हुए इस चर्च का निर्माण किया गया है। इस चर्च में 07 छत और 07 दरवाजें हैं और इनके दरवाज़ों पर साथ संस्कारों ( बपतिस्मा, पवित्र परम प्रसाद ग्रहण, पाप स्वीकार संस्कार, दृढ़ीकरण संस्कार, विवाह संस्कार, पुरोहिताई संस्कार और रोगियों का संस्कार ) के चिन्ह अंकित हैं। इस चर्च को बनाने के लिए ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।
कुनकुरी चर्च का इतिहास
कुनकुरी चर्च के इतिहास पर एक नज़र – इस चर्च को बिशप स्तानिसलास ने बेल्जियम के सुप्रसिद्ध वास्तुकार कार्डिनल जेएम कार्सी एसजे से इसका नक्शा बनवाया था। इस चर्च का निर्माण कार्य वर्ष 1962 में शुरू हुआ जो वर्ष 1979 मे पूरा हुआ। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद इस महागिरजा घर का लोकार्पण वर्ष 1982 मे हुआ। इस चर्च को पूर्ण रूप से बनने में 17 वर्षों का समय लगा कहा जाता है की इसकी नींव तैयार करने में ही 2 वर्षों का समय लगा था।
कुनकुरी शहर बसने में इस चर्च की अपनी अहम भूमिका है। इस चर्च के बनने के बाद यहाँ लोयोला स्कूल, होलीक्रॉस अस्पातल बना जिसके बाद से आसपास क्षेत्र में लोग बसने लगे। इससे पहले कुनकुरी एक छोटा सा गाँव था लेकिन आज के समय में यह शहर बन चूका है।
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बेने जल प्रपात (प्राकृतिक)
कुनकुरी से लगभग 22 किलोमीटर दूर ‘ईब नदी’ पर ‘बेने जल प्रपात’ स्थित है. एक सुंदर प्राकृतिक जलधारा गुल्लू, छुरीधाघ और पेरेवाँध नामक झरनों का निर्माण करती हुई ग्राम ब्रेने के पास अत्यंत आकर्षक जल प्रपात का रूप धारण करती है.
बादलखोल (वन्य प्राणी अभयारण्य)
बादलखोल अभयारण्य कुनकुरी से लगभग 25 किमी दूर पूर्व की ओर 104 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य जशपुर वन मंडल के अंतर्गत है. पहाड़ी इलाके में स्थित होने के कारण यह स्थल ग्रीष्मकाल में पर्यटकों को आकर्षित करता है. यहाँ मुख्यतः बाघ, तेंदुआ, चीतल, भालू आदि मिलते हैं.
रजपुरी जल प्रपात (प्राकृतिक)
बगीचा से पूर्व की ओर 3 किलोमीटर की दूरी पर सघन वनों के मध्य स्थित रजपुरी पहाड़ी में 50 फीट ऊँचा ‘रजपुरी जल प्रपात’ सुंदर पर्यटन स्थल है. समीप ही दराब घाघ, वेलवार एवं महनई घाघ जलप्रपात स्थित हैं.
कैलाश गुफा (गहिरा गुरु का आश्रम)
बगीचा से 10 किलोमीटर दूर बगीचा बतौली मार्ग में 20 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम ‘गायबुड़ा’ के निकट सघन वन क्षेत्रों के मध्य में ‘कैलाश गुफा’ स्थित है. जोकि ‘श्री रामेश्वर गुरु गहिरा बाबा के आश्रम’ के नाम से विख्यात है. यहाँ स्थित गहिरा गुरु का गुरुकुल आश्रम व मंदिर देखने योग्य है. गुफा के करीब ही प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण ‘गंगा झरना’ है.
जशपुर जिले के सभी पर्यटन स्थलों में से यह एक ऐसा पर्यटन स्थल हैं जहाँ काफ़ी ज्यादा संख्या में पहुंचते हैं। यहाँ हर वर्ष शिवरात्रि में भव्य मेला लगता है जिसमे दूर दूर से लोग शामिल होते हैं। स्थैनिया लोगों में मान्यत है की संत गहिरा गुरु ने यहीं तपस्या कर शंकर जी को प्रशन्न किया था।
रानीदाह जलप्रपात (प्राकृतिक)
जशपुर कुनकुरी मार्ग पर 12 किलोमीटर पर स्थित ग्राम इचकेला से 7 किलोमीटर की दूर पर ‘रानीदाह जलप्रपात’ स्थित है. इसका विवरण ‘छत्तीसगढ़ के जलप्रपात’ नामक अध्याय में दिया गया है. यहाँ पर्यावरण परिसर भी विकसित किया गया है. पंचभैया, आनंदवन, दूधधारा, फिश प्वाइंट, रजत शिला, व्होल वैली, गिरमा वैली तथा वन्य प्राणी विहार यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं,
Source : jashpur.gov.in