छत्तीसगढ़ पर्यटन : जिला राजनांदगांव CGPSC 2021-22 | VYAPAM | POLICE SI | Latest General Awareness

छत्तीसगढ़ पर्यटन : राजनांदगांव जिले के प्रमुख पर्यटन क्षेत्र [Tourist Places in Rajnandgaon District]

डोंगरगढ़ (ऐतिहासिक, धार्मिक)-

राजनांदगाँव जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर पर मुम्बई-हावड़ा रेलमार्ग पर डोंगरगढ़ स्थित है. यहाँ एक पहाड़ी के अंतिम शिखर पर ‘माँ बम्लेश्वरी’ का मंदिर है. ‘डोंगरगढ़’ नगर का वास्तविक एवं प्रामाणिक इतिहास अभी भी अतीत के गर्भ में छुपा हुआ है, परन्तु उपलब्ध जानकारी के आधार पर डोंगरगढ़ ही अत्यंत समृद्धशाली ऐतिहासिक नगरी ‘कामावतीपुरी’ था. यहाँ समीप के नष्ट तालाबों पर पुरानी नीवों के अवशेष आज भी मिलते हैं.

कहा जाता है कि आज से लगभग 2200 वर्ष पूर्व यहाँ ‘राजा वीरसेन’ राज्य करते थे, जो उज्जयिनी के विक्रमादित्य के समकालीन थे. संतानहीन राजा को देवी कृपा से संतान प्राप्त होने के उपलक्ष्य में उसने बम्लेश्वरी (भगवती पार्वती) का एक मंदिर बनवाया, जो आज प्रसिद्ध सिद्धापीठ है. मदनसोन के पुत्र का नाम-‘कामसेन’ था और उसके नाम पर ही इस स्थान का नाम ‘कामावतीपुरी’ प्रसिद्ध हुआ. प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि एवं क्वार नवरात्रि के अवसर पर यहाँ नौ दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है.

खैरागढ़ (सांस्कृतिक)-

राजनांदगाँव से सड़क मार्ग में 48 किलोमीटर की दूरी पर ‘खैरागढ़’ स्थित है, जो पूर्व काल में खैरागढ़ रियासत के नाम से जाना जाता था. खैरागढ़ में स्थित ‘इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय’ न केवल भारत में वरन्, सम्पूर्ण विश्व में अपनी तरह का एक मात्र विश्वविद्यालय है, जो संगीत एवं ललित कलाओं की शिक्षा के प्रचार हेतु कार्य कर रहा है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना 14 अक्टूबर, 1956 को खैरागढ़ के राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी ने अपना रिहायशी महल अनुदान के रूप में देकर की. विश्वविद्यालय का नामकरण उनकी संगीत प्रेमी पुत्री इंदिरा के नाम पर रखा गया, जिसका अल्पावस्था में देहांत हो गया था.

चितवा डोंगरी (प्रागतिहासिक, प्राकृतिक)-

राजनांदगाँव जिले में 200-45′ उत्तरी अक्षांश एवं 8100 पूर्व देशान्तर के बीच अंबागढ़ चौकी (तहसील) के समीप चितवा डोंगरी (पहाड़ी) पर प्रागैतिहासिक शैल चित्र मिले हैं. यहाँ तीन गुफाओं में नव पाषाणकालीन 27 शैल चित्र अंकित है. यह पहाड़ी लगभग 150 फीट ऊँची है. प्रागैतिहासिक 17 चित्र सीधी एवं कलात्मक रेखाओं में खींचे गये हैं. सभी चित्रों का रंग गेरुआ (Red Ochre) है. रेड आंकर के माध्यम से ही उनमें भाव-भंगिमा को उकेरा गया है. इनके विषय-कृषि व्यवस्था तथा चीनी डूंगन के हैं, जिनसे इनमें चीनी कला की अभिव्यक्ति मिलती है.

मुख्य रूप से खच्चर पर सवार व्यक्ति की शारीरिक बनावट, भाव-भंगिमा, वेशभूषा पूरी तरह चीनी जाति के व्यापारियों की तरह है. इस चित्र के समीप ड्रेगन की आकृति जो 90 अंश के कोण पर खड़ी है, आकर्षक एवं कलात्मक है. यहाँ एक नाविक का चित्र, कृषि कार्य का चित्र एवं वर्गाकार खेत में नर नारियों के चित्र अंकित हैं. चित्रों को देखने से लगता है कि इनको बनाने वाले चीनी जन-जीवन से कहीं-न-कहीं प्रभावित जरूर रहे होंगे. यह भी पता चलता है कि उस काल में आवागमन के लिये नावों का इस्तेमाल होता रहा होगा.

मनगटा के इस पर्यावरण पार्क में अभी 250 चीतल, 150 जंगली सूअर, मोर, लकड़बग्घा, खरगोश, जंगली बिल्ली व अन्य छोटे-छोटे जंगली जानवर है। यहां चीतलों की संख्या काफी है, इस कारण पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके अलावा स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए दो किमी लंबा नेचर ट्रैकिंग पाथ बनाया गया है। यह भी युवाओं के मनोरंजन के लिए बेहतर साबित हो रहा है। इसे और सुविधाजनक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

खरखरा बांध

राजनांदगांव से खारखरा बांध तक कुल ड्राइविंग दूरी 99.0 किलोमीटर या 61.51572 9 मील है ।
आपकी यात्रा राजनंदगांव से शुरू होती है । यह खारखारा बांध में समाप्त होता है । यदि आप सड़क यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो आपको 0 दिन लगेगा: 2 घंटे: 39 मिनट, राजनांदगांव से खारखारा बांध तक यात्रा करने के लिए ।

पाताल भैरवी मंदिर

बरफानी धाम छत्तीसगढ़ में राजनंदगांव शहर में एक मंदिर है। मंदिर के शीर्ष पर एक बड़ा शिव लिंग देखा जा सकता है, जबकि इसके सामने एक बड़ी नंदी प्रतिमा खड़ी है। मंदिर तीन स्तरों में बनाया जाता है। नीचे की परत में पाताल भैरवी का मंदिर है, दूसरा नवदुर्गा या त्रिपुर सुंदरी मंदिर है और ऊपरी स्तर में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की प्रतिमा है।

Source : rajnandgaon.gov.in

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