आज हम छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियों के विषय में पढ़ेंगे जो आपकी आगामी CGPSC या VYAPAM परीक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नोट्स है.
क्या आपको अपवाह तंत्र के विषय में जानकारी है? दरअसल, अपवाह तंत्र का तात्पर्य वैसी नदी तंत्र से है जिसका निर्माण सतही जलधारायें, नदी, झील आदि द्वारा ढाल विशेष का अनुसरण करते हुए किया जाता है. छत्तीसगढ़ के अपवाह प्रणाली का आधार महानदी नदी है. महानदी और उसकी सहायक नदियों के प्रवाह ने छत्तीसगढ़ के धरातलीय स्वरूप को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.
छत्तीसगढ़ की नदियाँ – Rivers of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ की नदियाँ – नदियाँ जीवनदायिनी होती हैं। किसी भी राष्ट्र या राज्य के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, भौतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास में इनका प्रमुख स्थान है। नदियाँ पेयजल, सिंचाई और परिवहन का प्रमुख स्रोत रही हैं, जिसके कारण आदिकाल से ही सभ्यताओं का विकास नदियों किनारे स्थित है।
नदियों से भूमि के ढाल के विषय में जानकारी प्राप्त होती है किसी राज्य का अपवाह तन्त्र वहाँ के उच्चावच एवं भूमि के ढाल पर निर्भर करता है। ये नदियाँ अपने प्रवाह के साथ विभिन्न प्रकार के महत्त्वपूर्ण तत्त्व लाकर अपने तटों पर बिछा देती हैं, जो तत्त्व कृषि में बहुत ही सहायक होते हैं।
छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा यहां की नदियां हैं, नदियां पेयजल एवं सिंचाई के प्रमुख स्रोत है मुख्य नदियों में सहायक नदियां के सम्मेलन से अपवाह तंत्र विकसित होता है। नदियों का अपवाह तंत्र भूमि के ढाल संरचना एवं नदी जल के विवेक पर निर्भर करता है, छत्तीसगढ़ की समग्र नदियों को पांच अपवाह तंत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है –
कछार/ अपवाह तंत्र | क्षेत्रफल | प्रतिशत. |
महानदी अपवाह तंत्र | 77.432 | 56.15 |
गोदावरी अपवाह तंत्र | 39.497 | 28.68 |
गंगा अपवाह तंत्र | 18.789 | 13.63 |
ब्रह्माणी अपवाह तंत्र | 1.423 | 1.03 |
नर्मदा अपवाह तंत्र | 0.759 | 0.55 |
इस प्रकार नदियों के द्वारा अनेक प्रकार की प्रवाह प्रणालियों का विकास होता है, जो भूतल के ढाल, संरचना एवं प्रवाह के आकार एवं उसके वेग पर निर्भर करता है। छत्तीसगढ़ राज्य अनेक नदियों का उदगम स्थल है।
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ
छत्तीसगढ़ की नदियाँ – यह देश के विस्तृत एवं बड़े प्रवाह तन्त्र गंगा, नर्मदा, गोदावरी, महानदी से सम्बद्ध है, किन्तु महानदी यहाँ का प्रमुख क्रम है, जिसका जलग्रहण क्षेत्र प्रदेश के क्षेत्रफल का लगभग 55% है। यद्यपि गोदावरी जिसके जलग्रहण क्षेत्र के अंतर्गत लगभग समस्त दण्डकारण्य का तथा गंगा जिसमें सोन के द्वारा अधिकतर बघेलखण्ड का जल निकास होता है, प्रदेश के क्रमशः दूसरे व तीसरे क्रम के बड़े प्रवाह क्रम हैं। छत्तीसगढ़ राज्य देश के मध्य-पूर्व में स्थित है।
छत्तीसगढ़ की नदियाँ को भौगोलिक संरचना के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य को मुख्यतः चार नदी कछारों में बाँटा जा सकता है, जिसमें प्रदेश की नदियाँ सम्मिलित हैं-
- महानदी प्रवाह प्रणाली
- गोदावरी प्रवाह प्रणाली
- गंगा नदी प्रवाह प्रणाली
- नर्मदा प्रवाह प्रणाली
- ब्रह्माणी अपवाह तंत्र
इनमें नर्मदा को छोड़कर शेष सभी बंगाल की खाड़ी में मिलती है छत्तीसगढ़ का आधे से ज्यादा भाग महानदी अपवाह तंत्र का हिस्सा है, मैकल श्रेणी नर्मदा एवं महानदी प्रवाह तंत्र को पृथक करती हैं।
राज्य की प्रवाह प्रणालियाँ
छत्तीसगढ़ राज्य में 5 अपवाह प्रणालियों का नदी तन्त्र है-
महानदी प्रवाह प्रणाली – Mahanadi Flow System
महानदी प्रवाह प्रणाली में महानदी प्रमुख नदी है। प्रदेश में इसका अपवाह क्षेत्र मुख्यतः कबीरधाम, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, रायपुर, बिलासपुर तथा रायगढ़ ज़िलों में है। महानदी का विकास पूर्ण रूप से स्थलखण्ड के ढाल के स्वभाव के अनुसार हुआ है। चूँकि यह अपनी ही प्रमुख घाटी से प्रारम्भिक ढाल के अनुरूप पूर्व की ओर प्रवाहित होती है। अतः यह प्रथम अनुवर्ती जलधारा है।
महानदी एवं उसकी अन्य सहायक नदियों से मिलकर इस प्रवाह तंत्र का निर्माण हुआ है, यह छत्तीसगढ़ प्रदेश का सर्व प्रमुख प्रवाह तंत्र है जो राज्य के 56.15% जल का संग्रहण करती है छत्तीसगढ़ का लगभग तीन चौथाई भाग महानदी अपवाह तंत्र का हिस्सा है, महानदी अपवाह क्षेत्र मुख्यता: कवर्धा, धमतरी, महासमुंद, राजनांदगांव, दुर्ग,रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर, चांपा, रायगढ़ जशपुर जिलों में है, छत्तीसगढ़ के मैदान का ढाल पूर्व की ओर होने के कारण इस प्रणाली की सभी नदियां पूर्व की ओर बहती है।
प्रदेश की सीमान्त उच्च भूमि से निकलने वाली महानदी की अन्य सहायक नदियाँ केन्द्रीय मैदान की ओर प्रवाहित होती हुई महानदी के समकोण पर मिलकर अपने जल संचय के लिए विवश हैं। अतः ये सभी परवर्ती जलधाराएँ हैं।
इन परस्थितियों ने छत्तीसगढ़ प्रदेश में पादपाकार प्रवाह प्रणाली के विकास में सहायता प्रदान की है। सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में महानदी का प्रवाह क्षेत्र 78 लाख हेक्टेयर है।
- महानदी
- शिवनाथ नदी
- मनियारी नदी
- लीलागर नदी
- अरपा नदी
- तान्दुला नदी
- खारून नदी
- पैरी नदी
- जोंक नदी
- सुरंगी नदी
- माँड नदी
- बोरई नदी
- ईब नदी
- सीतानन्दी नदी
- हसदो नदी
महानदी :-महानदी का प्राचीन नाम नीलोत्पला ( सत्ययुग में), चित्रोत्पला, कनकनंदनी एवं महानंदा था. महानदी को छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा, छत्तीसगढ़ की गंगा आदि की संज्ञा दी जाती है. इसका उद्गम धमतरी के निकट से सिहावा पर्वत से हुआ. महानदी उत्तर पूर्व दिशा में बहते हुए उड़ीसा राज्य में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।महानदी की कुल लंबाई 851कि.मी. है छत्तीसगढ़ में इसका बहाव से 286 कि.मी. है।यह नदी कांकेर, बालोद, धमतरी, गरियाबंद, रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा एवं रायगढ़ जिलों में बहती है।महानदी की प्रमुख सहायक नदियां शिवनाथ, हासदो, जोक, मांड, केलो, ईब, पैरी, सूखा, बोरई, लात, आदि है।इस नदी के प्रवाह तंत्र द्वारा छत्तीसगढ़ के मैदान में जलोढ़ मिट्टी का जमाव हुआ है।
महानदी के तट पर राजिम, सिरपुर, चंद्रपुर, शिवरीनारायण आदि प्रसिद्ध पौराणिक ऐतिहासिक नगर स्थित है।राजिम में महानदी पैरी और सोडूर नदियों का संगम है, इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है।महानदी पर ही रायगढ़ जिले में प्रदेश का सबसे लंबा पुल सूरजपुर एवं नंदीगांव के बीच है।
शिवनाथ नदी :-यह महानदी की प्रमुख सहायक नदी है शिवनाथ प्रदेश में बहने वाली सबसे लंबी नदी। राज्य में स्थित प्रवेश राजनांदगांव के अंबागढ़ तहसील के पास पहाड़ी क्षेत्र से हुआ है , वह राजनांदगांव, दुर्ग, बेमेतरा, बलौदाबाजार, मुंगेली, बिलासपुर, जांजगीर- चांपा आदि जिलों से प्रवाहित होती हुई शिवरीनारायण जांजगीर- चांपा के समीप महानदी में मिलती है।
इसकी प्रमुख सहायक नदियां तांदुला,खरखारा, अमनेर, खारून, हांफ, मनियारी, अरपा, लीलागर, जमुनिया आदि है।
हसदो नदी :-हसदो नदी का उद्गम कोरिया जिले के सोनहट क्षेत्र में रामगढ़ के कैमूर की पहाड़ियों से हुआ है।यह नदी कोरिया, कोरबा, एवं जांजगीर चांपा जिलों में बहती हुई शिवरीनारायण के निकट ग्राम केरा- सिलादेही के पास महानदी में मिल जाती है।
हसदो नदी पर कटघोरा के निकट बांगो में प्रदेश की सबसे ऊंची मिनीमाता बांगो नामक बहु-उद्देशीयय परियोजना का निर्माण हुआ है. इस परियोजना के तहत माचाडोली में जलविद्युत संयंत्र स्थापित है ,बांगो बांध कोरबा स्थित विद्युत संयंत्रों को जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है।अरिहंन ,चोरनाई, झिंक,उतेम,गज,इसकी सहायक नदियां है।
मनियारी नदी :-यह लोरमी पठार की सिहावल से निकलती है यह नदी मुंगेली बिलासपुर जिले से बहते हुए ताला गांव के निकट शिवनाथ नदी में मिल जाती है इस पर खारंग- मनियारी जलाशय का निर्माण किया गया है।
अरपा नदी :-अरपा नदी बिलासपुर – पेंड्रा के पठार के खोडरी खोंगसरा के पास से निकलती. है यह बिलासपुर में प्रवाहित होते हुए मानिकचौरी के पास शिवनाथ में मिल जाती है, खारंग अरपा की सहायक नदी है।
तांदुला नदी :-सेना के प्रमुख सहायक नदी, इसका उद्गम भानूप्रतापपुर (कांकेर) के उत्तर की पहाड़ियों से हुआ है इसका प्रभाव क्षेत्र कांकेर, बालोद, दुर्ग जिला है।
खारून नदी :- खारुन नदी का उद्गम बालोद जिले के दक्षिण- पूर्व में स्थित पेटेचुआ पहाड़ी से हुआ है, उत्तर की ओर बह कर सिमगा के निकट सोमनाथ नामक स्थान पर श्रीनाथ में मिल जाता है या नदी दुर्ग, बालोद, बेमेतरा कामा बलोदाबाजार, रायपुर जिले में बहती है. यह शिवनाथ की सहायक नदी है।
लीलागर नदी :-लीलाधर नदी का उद्गम कोरबा की पूरी पहाड़ी से होता है, यह नदी शिवनाथ में मिल जाती है यह नदी कोरबा, बिलासपुर, जांजगीर जिले में बहती है।
पैरी नदी :-पैरी नदी का उद्गम स्थल गरियाबंद जिले के बिंद्रानवागढ़ के समीप (भातृगढ़) पहाड़ियॉ है. पैरी महानदी की सहायक नदी है जो राजीम में महानदी में मिलती है इसकी सहायक नदी सोंढूर है।
मांड नदी :- मांडनदी सरगुजा जिले के मैनपार्ट से निकलती है यह नदी धार्मिक स्थल चंद्रपुर (जि. जांजगीर-चांपा )के निकट महानदी में मिल जाती है इसका प्रवाह क्षेत्र सरगुजा रायगढ़ जिला है।कुरकुट और कोई राज इसकी सहायक नदियां है।
जोंक :-उड़ीसा की तरफ से आने वाली जोक नदी खट्टी इलाके से महासमुंद में जिले में प्रवेश करती है, जोक नदी महानदी की सहायक नदी है यह महासमुंद एवं बलौदा बाजार जिले में बहते हुए शिवरीनारायण के निकट महानदी में मिलती हैं।
ईब नदी :-ईब नदी का उद्गम स्थल जशपुर के पंडरापाठ के खुर्जा पहाड़ी के रानीझूला नामक स्थान है यह नदी उड़ीसा की में हीराकुंड से 10 कि.मी. पूर्व महानदी में मिलती है.यह नदी सोने के कण प्राप्ति के लिए जानी जाती है।
केलो :-उद्गम रायगढ़ जिले की घरघोड़ा तहसील में स्थित लूंगेड़ पहाड़ी से। उड़ीसा राज्य के महादेव पाली नामक स्थान पर महानदी में विलीन यह मुख्यत: रायगढ़ जिले में बहती है।
बोरई नदी :-इस नदी का उद्गम कोरबा के निकट पहाड़ी से हुआ है। यह कोरबा,जांजगीर- चांपा जिलों में बहती हुई महानदी में मिल जाती है।
हांफ नदी :-उद्गम कवर्धा जिले के कांदावाड़ी पहाड़ी से हुआ है।यह शिवनाथ में मिल जाती है।
दूध नदी :-इसका उद्गम कांकेर के निकट मलाजकुंडम पहाड़ी से हुआ है. यह पूर्व की ओर बहते हुए महानदी में मिल जाती है
उपरोक्त नदियों के अतिरिक्त सुरंगी, बोररा,सूखा आदि नदियां भी महानदी की सहायक नदी है।
नगर और नदी तट
नगर | नदी तट |
रायपुर | खारुन |
जगदलपुर | इंद्रावती |
दुर्ग | शिवनाथ |
राजनांदगाव | शिवनाथ |
बिलासपुर | अरपा |
चांपा | हसदेव |
कोरबा | हसदेव |
रायगढ़ | केलो |
कोंडागांव | नारंगी |
कोंटा | सबरी |
दंतेवाड़ा | डंकिनी शंखिनी |
शिवनीनारायण | महानदी |
राजिम | महानदी |
गोदावरी प्रवाह प्रणाली:- दक्षिण गंगा कहलाने वाली गोदावरी नदी का उद्गम नासिक महाराष्ट्र से होता है। छत्तीसगढ़ क्षेत्र का लगभग 28.64 जल गोदावरी प्रवाह तंत्र में जाता है। गोदावरी नदी छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बहते हुए दक्षिण पश्चिम सीमा बनाती है। राज्य में इंद्रावती सबरी चिंता बाघ मरी गुदरा कोभरा इस प्रणाली की नदियां हैं।
इंद्रावती नदी:- इंद्रावती गोदावरी के प्रधान सहायक तथा दंडकारण्य पठार की सबसे प्रमुख नदी है। इसे बस्तर की जीवन रेखा कहा जाता है। इसका उद्गम उड़ीसा के कालाहांडी जिले के रामपुर थुयामुल में मुंगेर पहाड़ी से हुआ है ।यह बस्तर नारायणपुर बीजापुर जिले में बहती है। बीजापुर जिले के भद्रकाली में इंद्रावती नदी और गोदावरी नदी का संगम होता है। छत्तीसगढ़ में इंद्रावती की कुल लंबाई 264 किलोमीटर है। इंद्रावती की सहायक नदियों में बोरडिग,नारंगी,गुदरा,नंदीराज,कोटरी,डंकिनी- शंखिनी प्रमुख है। भारत का नियाग्रा कहा जाने वाला सबसे चौड़ा प्रपात चित्रकूट जलप्रपात इसी नदी पर स्थित है।
कोटरी:- कोटरी इंद्रावती की सहायक नदी है यह दुर्ग उच्च भूमि से निकलकर इंद्रावती में मिलती है। यह मुख्यतः राजनांदगांव नारायणपुर जिलों में बहती है। यह परलकोट के नाम से भी जानी जाती है।
सबरी नदी:– उद्गम स्थल बैलाडीला पहाड़ी सुकमा जिले में बहते हुए यह आंध्र प्रदेश के कुनावरम के निकट गोदावरी में मिलती है। कांगेर और मालिक इस की सहायक नदियां हैं डंकिनी और संखनी नदी डंकिनी नदी का उद्गम डांगरी डूंगरी तथा शंखिनी का उद्गम बैलाडीला पहाड़ी के नंदीराज चोटी से हुआ है। दोनों नदिया दंतेवाड़ा के पास आपस में मिल जाती हैं।
बाघ नदी:- बाघ नदी राजनांदगांव जिले के कुल्हारी से निकलती है यह वैनगंगा प्रवाह तंत्र की एक शाखा है। यह नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा बनाती है।
नारंगी नदी:- कोंडागांव से उद्गम इंद्रावती में विलीन।
गंगा प्रवाह प्रणाली:- गंगा प्रवाह तंत्र के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के सरगुजा बिलासपुर एवं रायगढ़ जिले के क्षेत्र आते हैं। गंगा प्रवाह प्रणाली का सर्वाधिक क्षेत्र सरगुजा में है। राज्य में इस अपवाह क्षेत्र की नदियां उत्तर की ओर बहते हुए इस क्षेत्र के जल को गंगा नदी की सहायक नदी सोन तक पहुंचाती है। छत्तीसगढ़ क्षेत्र के लगभग 13.63% जल का प्रवाह इस नदी तंत्र द्वारा होता है।
सोन नदी:- प्रदेश में सोन नदी गंगा के प्रमुख सहायक नदी है। जो पेंड्रा रोड के बंजारी क्षेत्र से निकलकर पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को पार करते हुए पटना के पास गंगा नदी में मिल जाती है कन्हार रिहंद गोपद बनास बीजाल इत्यादि इसकी की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
कन्हार नदी:- कन्हार नदी जशपुर जिले के बखोना चोटी पहाड़ी से निकलती है। तथा जशपुर एवं बलरामपुर जिले से बहती हुई कोठरी जलप्रपात की रचना करते हुए सोन नदी में मिल जाती है।
रिहंद नदी:- रिहंद नदी का उद्गम अंबिकापुर तहसील के मतिरिंगा पहाड़ी से हुआ है। यह उत्तर प्रदेश में सोन नदी में विलीन हो जाती है इस पर उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर क्षेत्र में रिहंद बांध बनाया गया है। रिहंद नदी को सरगुजा की जीवन रेखा कहा जाता है। यह छत्तीसगढ़ में गंगा अपवाह क्रम की सबसे लंबी 145 किलोमीटर नदी है। इस की सहायक नदियां घुनघुट्टा मोरनी महान सूर्या गोबरी आदि है ।
ब्रह्माणी प्रवाह प्रणाली:- इसके कछार ने प्रदेश का 1.03% हिस्सा आता है जसपुर जिले में छत्तीसगढ़ एवं झारखंड की कुछ सीमा बनाने वाली शंख नदी एवं झारखंड के दक्षिण कोयल नदी से मिलकर यह नदी बनती है।
नर्मदा प्रवाह प्रणाली:-यह प्रदेश के सबसे छोटी प्रवाह प्रणाली है। नर्मदा प्रवाह तंत्र के द्वारा छत्तीसगढ़ क्षेत्र के लगभग 0.55% जल का संग्रह होता है। कवर्धा जिले में बहने वाली बंजर टांडा नदियां इस तंत्र के अंतर्गत आते हैं।
महानदी अपवाह
नदी | उद्गम स्थल | लंबाई कि.मी. | सहायक नदी | प्रवाह क्षेत्र के जिले |
महानदी | धमतरी जिले के सिहावा पर्वत से | 286 | शिवनाथ हसदो पैरी सूखा जोंक मांड, केलो ,ईब ,बोरई,लात, | कांकेर, बालोद, धमतरी ,गरियाबंद, रायपुर ,महासमुंद, बलौदा बाजार, जांजगीर-चांपा, रायगढ़ |
शिवनाथ | शिवनाथ पानाबरस पहाड़ी अंबागढ़ जिला राजनांदगांव से प्रवेश | 290 | तांदुला,अमनेर,खारून,हांफ ,मनियारी,अरपा,लीलागर | राजनांदगांव, दुर्ग बेमेतरा, बलौदा बाजार, मुंगेली, बिलासपुर, जांजगीर चांपा |
हसदो | कोरिया जिले के सोनहत तहसील की कैमूर पहाड़ी | 176 | अहिरन ,चोरनेयी, झिंक, उतम, गज | कोरिया , बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर चांपा |
ईब | पण्डरापाट की खुरजा पहाड़ी जिला जशपुर | 87 | ————————- | पण्डरापाट की खुरजा पहाड़ी जिला जशपुर |
मनियारी | लोरमी क्षेत्र मुंगेली | 134 | आगर, छोटी,टेसुवा, घोघा नर्मदा | मुंगेली, बिलासपुर |
अरपा | खोडरी खोंगसरा पहाड़ी पेंड्रा | 100 | खारंग | बिलासपुर |
खारुन | संजारी जिला बालोद | ————– | ———————- | बालोद दुर्ग रायपुर बेमेतरा |
जोंक | महासमुंद जिले में प्रवेश | —————- | ——————– | महासमुंद ,बलोदाबाजार, |
पैरी | गरियाबंद जिले के बिंद्रानवागढ़ के निकट भाटीगढ़ी पहाड़ी से | सोंढूर | ———————— | गरियाबंद,धमतरी महासमुंद |
केलो | लुड़ेग पहाड़ी से | ————— | कोलेडेगा,राजर | रायगढ़ |
मांड | मैनपाट पठार जिला सरगुजा | 155 | —————– | सरगुजा, जशपुर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा |
ब्राह्मणी अपवाह
नदी | उद्गम स्थल | लंबाई कि.मी. | सहायक नदी | प्रवाह क्षेत्र के जिले |
शंख | —————— | ———— | ———— | जशपुर, |
गोदावरी प्रवाह प्रणाली – Godavari flow system
गोदावरी प्रवाह प्रणाली का बहुत कम हिस्सा छत्तीसगढ़ में है। राजनांदगाँव ज़िले के दक्षिणी भाग का ढाल दक्षिण की ओर है। अतः इस भाग को नदियाँ दक्षिण की ओर बहकर गोदावरी क्रम का एक हिस्सा बनाती हैं।
यहाँ पर गोदावरी की सहायक कोटरी, कोहका तथा बाँध नदियों के अपवाह क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम सीमा पर राजनांदगाँव उच्च भूमि में हैं। इसका विस्तार दक्षिण ज़िले कांकेर, बस्तर तथा दन्तेवाड़ा के अंतर्गत है। बस्तर ज़िले का 93% तथा राजनांदगाँव ज़िले का 21% भाग गोदावरी बेसिन में है। गोदावरी इस प्रवाह क्रम की प्रमुख नदी है। अन्य नदियाँ इन्द्रावती, साबरी, चिन्ता आदि हैं।
- गोदावरी नदी,
- इन्द्रावती नदी,
- कोटरी नदी,
- डंकनी नदी,
- शंखनी नदी,
- नारंगी नदी,
- गुदरा नदी,
- कोभरा नदी,
- मरी नदी,
- सबरी नदी,
- बाध नदी।
गोदावरी अपवाह
नदी | उद्गम स्थल | लंबाई कि.मी. | सहायक नदी | प्रवाह क्षेत्र के जिले |
इंद्रावती | उड़ीसा के कालाहांडी जिले | 264 | बोरडिग,नारंगी,गुदरा,नंदीराज,कोटरी,डंकिनी- शंखिनी प्रमुख है | बस्तर,नारायणपुर बीजापुर |
सबरी नदी | उद्गम स्थल बैलाडीला पहाड़ी सुकमा जिले में | 173 | कांगेर ,मालेंगर | सुकमा |
गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ:
इंद्रावती नदी :
- यह गोदावरी की प्रधान सहायक तथा बस्तर जिले के सबसे बड़ी नदी है ।
- इसका उदगम उड़ीसा राज्य के कालाहांडी पठार से हुआ है ।
- प्रदेश के बस्तर जिले में लगभग 370 किमी की दूरी तय करते हुये पूर्व से पश्चिम दिशा में बहते हुये यह गोदावरी में विलीन हो जाती है ।
- यह नदी जगदलपुर से लगभग 35 किमी दूर पश्चिम में चित्रकोट जल-प्रपात की रचना करती है
कोटरी नदी:
- यह नदी दुर्ग जिले की उच्च भूमि से निकलकर कांकेर जिले में इंद्रावती नदी में मिल जाती है ।
- इसका सर्वाधित अपवाह क्षेत्र राजनांदगांव जिले में है ।
शबरी नदी:
- इसका उदगम दंतेवाड़ा के निकट बैलाडीला पहाड़ी है, जो बस्तर की दक्षिणी पूर्वी सीमा में बहती हुई आन्धप्रदेश के कुनावरम् के निकट गोदावरी में मिल जाती है ।
- बस्तर जिले में यह 150 किमी लंबाई में बहती है । जिससे 5680 किमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है ।
डंकिनी और शंखिनी नदी:
- ये दोनो इंद्रावती की प्रमुख सहायक नदियां है ।
- डंकिनी नदी का उद्गम डांगरी-डोंगरी तथा शंखिनी नदी का उद्गम बैलाड़ीला पहाड़ी से हुआ है ।
- दंतेवाड़ा में ये दोनो नदियां आपस में मिल जाती है ।
बाघ नदी:
- इस नदी का उद्गम राजनांदगांव जिले में स्थित पठार से हुआ है ।
- यह नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र राज्यों के बीच की सीमा बनाती है ।
नारंगी नदी:
- यह बस्तर जिले की कोंडागांव तहसील से निकलती है ।
- तथा चित्रकूट प्रपात के निकट इन्द्रावती में विलीन हो जाती है ।
छत्तीसगढ़ के जलप्रपात का सम्पूर्ण जानकारी
गंगा नदी प्रवाह प्रणाली – Ganga river flow system
गंगा नदी की प्रवाह प्रणाली का विस्तार प्रदेश के 15% भाग में है। बिलासपुर ज़िले का 5% भाग गंगा बेसिन के अंतर्गत है। रायगढ़ ज़िले का 14% भाग तथा सरगुजा ज़िले का 7% से 8% भाग गंगा बेसिन के अंतर्गत आता है। इस नदी क्रम के अंतर्गत गंगा नदी सहायक सोन नदी की सहायक नदियाँ कन्हार, रेहार, गोपद, बनास, बीजाल, सोप आदि नदियाँ आती हैं।
कन्हार नदी बिलासपुर ज़िले के उत्तर-पश्चिमी भाग के उच्च प्रदेश से निकलकर शहडोल ज़िले बीचों-बीच प्रवाहित होती है तथा शहडोल एवं सतना ज़िले की सीमा पर सोन नदी में विलीन हो जाती है। कन्हार नदी का सरगुजा ज़िले में प्रवाह क्षेत्र 3,630 वर्ग मीटर है, जो ज़िले के प्रवाह क्षेत्र का 16% है।
सरगुजा ज़िले में प्रवाहित होने वाली गंगा की सहायक नदियाँ रेहर, गोपद, बनास एवं बीजाल हैं, जिनका ज़िले में प्रवाह क्षेत्र क्रमशः 10,390 वर्ग मीटर, 1,680 वर्ग मीटर, 1,070 वर्ग मीटर एवं 810 वर्ग मीटर है। इस प्रकार सरगुजा ज़िले के गंगा बेसिन की नदियों का कुल प्रवाह क्षेत्र 17,580 वर्ग मीटर है। रायगढ़ ज़िले में कन्हार नदी की लम्बाई 23 किलोमीटर तथा प्रवाह क्षेत्र 1,786 वर्ग मीटर है, जो कि ज़िले के प्रवाह क्षेत्र का 23% है।
बिलासपुर ज़िले के गंगा नदी क्रम की सोन नदी प्रवाहित होती है, जिसका प्रवाह क्षेत्र 964 वर्ग मीटर तथा लम्बाई 89 किमी0 है। रिहन्द नदी अम्बिकापुर तहसील के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित मतिरिंगा से निकली है।
- रिहन्द नदी,
- कन्हार नदी।
गंगा अपवाह
नदी | उद्गम स्थल | लंबाई कि.मी. | सहायक नदी | प्रवाह क्षेत्र के जिले |
रिहंद | अंबिकापुर तहसील के मतिरिंगा पहाड़ी | 145 | घुनघुट्टा मोरनी महान सूर्या गोबरी | सरगुजा, सूरजपुर |
कन्हार | जशपुर जिले के बखोना चोटी पहाड़ी से | 115 | सिंदूर गलफुला पेगन | जशपुर, बलरामपुर |
कन्हार नदी:
- यह नदी बिलासपुर जिले के उत्तरी पश्चिमी भाग में स्थित खुडि़या पठार के बखोना नामक पहाड़ी से निकलती है ।
- इसका उदगम स्थल 1012 मीटर ऊंचा है ।
- यहां से उत्तर की ओर बहती हुई सामरी तहसील में 60 मीटर ऊंचे कोठरी जलप्रपात की रचना करती है ।
- इसके पश्चात शहडोल एवं सतना जिले की सीमा पर सोन नदी में मिल जाती है ।
- यह नदी सरगुजा जिले में 3030 वर्गकिमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है।
- सिन्दूर गलफूला, दातरम, पेंगन, आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां है ।
रिहन्द नदी:
- यह नदी सरगुजा जिले के मैनपाठ के निकट 1088 मीटर ऊंची मातरिंगा पहाड़ी से निकलती है ।
- अपनी उदगम स्थल से उत्तर की ओर बहती हुई यह सरगुजा बेसीन की रचना करती है ।
- इसी कारण उसे सरगुजा जिले की जीवन रेखा कहा जाता है ।
- यह अपवाह क्रम की सबसे बड़ी (145 किमी) नदी है ।
- इस पर मिर्जापुर क्षेत्र में रिहन्द नामक बांध बनाया गया है ।
- रिहन्द बेसीन में बहने के पश्चात अन्ततः उत्तरप्रदेश में सोन नदी में विलिन हो जाती है ।
- घुनघुटा, मोरनी, महान, सूर्या, गोबरी आदि इसी प्रमुख सहायक नदिया है ।
नर्मदा नदी प्रणाली – Narmada river system
नर्मदा नदी प्रणाली कबीरधाम से बहने वाली बंजर, टांडा एवं उसकी सहायक नदियाँ नर्मदा प्रवाह प्रणाली के अंतर्गत हैं। छत्तीसगढ़ में नर्मदा प्रवाह तन्त्र की नदियों का प्रवाह क्रम क्षेत्र 710 वर्ग मीटर के क्षेत्र में है।
मैकल श्रेणी महानदी प्रवाह क्रम को नर्मदा प्रवाह से अलग करती है। राजनांदगाँव ज़िले की पश्चिमी सीमा पर भूमि का ढाल उत्तर-पश्चिम की ओर है। ज़िले की पश्चिमी सीमा पर ही टांडा एवं बंजर नदियाँ उत्तर-पश्चिम की ओर बहती हैं। ये नदियाँ भी छोटी हैं तथा ग्रीष्मकाल में सूख जाती हैं।
- नर्मदा नदी प्रणाली कबीरधाम से बहने वाली बंजर, टांडा एवं उसकी सहायक नदियाँ नर्मदा प्रवाह प्रणाली के अंतर्गत हैं।
- छत्तीसगढ़ में नर्मदा प्रवाह तन्त्र की नदियों का प्रवाह क्षेत्र 710 वर्ग मीटर के क्षेत्र में है।
- मैकल श्रेणी महानदी प्रवाह क्रम को नर्मदा प्रवाह क्रम से अलग करती है।
- राजनांदगाँव ज़िले की पश्चिमी सीमा पर भूमि का ढाल उत्तर-पश्चिम की ओर है।
- ज़िले की पश्चिमी सीमा पर ही टांडा एवं बंजर नदियाँ उत्तर-पश्चिम की ओर बहती हैं। ये नदियाँ भी छोटी हैं तथा ग्रीष्मकाल में सूख जाती हैं।
नर्मदा अपवाह
नदी | उद्गम स्थल | लंबाई कि.मी. | सहायक नदी | प्रवाह क्षेत्र के जिले |
बंजर | उत्तरी कवर्धा | कवर्धा |
FAQ
Q : छत्तीसगढ़ में कुल कितने नदियां हैं?
Ans : प्रदेश में मुख्यतः चार अपवाह तंत्र महानदी, गंगा, गोदावरी, नर्मदा है। जिसके अंतर्गत महानदी, शिवनाथ,अरपा, इंद्रावती, सबरी, लीलागर, हसदो, मांड, पैरी तथा सोंढूर प्रमुख नदियां है.
Q : छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नदी कौन सा है?
Ans : राज्य के सबसे बड़ी नदी “महानदी”.
Q : छत्तीसगढ़ में महानदी की लम्बाई कितनी है?
Ans : 900 कि.मी.
Q : महानदी की सहायक नदियां कौन कौन सी है?
Ans : छत्तीसगढ़ में महानदी के तट पर धमतरी, कांकेर, चारामा, राजिम, चम्पारण, आरंग, सिरपुर, शिवरी नारायण और उड़ीसा में सम्बलपुर, बलांगीर, कटक आदि स्थान हैं तथा पैरी, सोंढुर, शिवनाथ, हसदेव, अरपा, जोंक, तेल आदि महानदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
Q : कौन सी नदी परलकोट नदी भी कहलाती है?
Ans : कोटरी नदी – नदी का उद्गम राजनांदगांव जिले के मोहला तहसील से है। इस नदी को परलकोट नदी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी कुल लाम्बई करीब 135 किलोमीटर है। यह इंद्रावती नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
Ans : राजिम (जिला गरियाबंद) में महानदी से पैरी और सोंढूर आकर मिलते हैं| शिवरीनारायण (जिला जांजगीर-चांपा) में महानदी से शिवनाथ और जोंक नदी आकर मिलती है| चंद्रपुर (जिला जांजगीर-चांपा) के पास महानदी में मांड और लात नदी आकर मिलती है| राजिम और सिरपुर महानदी के तट पर स्थित धार्मिक पर्यटन स्थल है|
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल
Q. छत्तीसगढ़ की सबसे छोटी नदी कौन सी है ?
छत्तीसगढ़ की सबसे छोटी नदी हसदेव नदी है जो की एकमात्र सबसे छोटी नदी है
Q. छत्तीसगढ़ की सबसे लंबी नदी कौन सा है ?
छत्तीसगढ़ की सबसे लंबी नदी की अगर बात की जाए तो यहाँ नदी की उत्पत्ति महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के गोडरी की पहाड़ी से हुआ है जो 290 कि.मी. बहने के बाद जांजगीर-चांपा के शिवरीनारायण के निकट महानदी में विलीन हो जाती है। यह छत्तीसगढ़ में बहने वाली सबसे लम्बी नदी है।
Q. छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी का क्या नाम है ?
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी महानदी है जो छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी नदी है छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वप्रमुख अपवाह तंत्र है जो राज्य के कुल जल का 56.15 प्रतिशत जल वहन करती है
Q. महानदी किस प्रदेश की प्रमुख नदी है ?
महानदी छत्तीसगढ़ प्रदेश की प्रमुख नदी है
Q. छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा किस नदी को कहाँ जाता है ?
महानदी को छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा नदी कहाँ जाता है