छत्तीसगढ़ राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान
एक विस्तृत और लहरदार प्रदेश छ्त्तीसगढ़ में चावल और अनाज की खेती होती है। निम्नभूमि में चावल बहुतायत में होता है, जबकि उच्चभूमि में मक्का और मोटे अनाज की खेती होती है। क्षेत्र की महत्त्वपर्ण नक़दी फ़सलों में कपास और तिलहन शामिल हैं। बेसिन में आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रचलन धीमी गति से हो रहा है। कृषि की दृष्टि से यह एक बेहद उपजाऊ क्षेत्र है।
यह देश का ‘धान का कटोरा’ कहलाता है और 600 से ज़्यादा चावल मिलों को अनाज की आपूर्ति करता है। कुल क्षेत्र का आधे से कम क्षेत्र कृषि योग्य है, हालांकि स्थलाकृति, वर्षा और मिट्टी में विविधता के कारण इसका वितरण असमान है। यहाँ की कृषि की विशेषता कम उत्पादन और खेती की पारंपरिक विधियों का प्रयोग है।
छत्तीसगढ़ की लगभग आधी भूमि पर कृषि की जाती है, जबकि शेष अधिकांश या तो वनों से घिरा है या खेती के लिए अनुपयुक्त है। मोटे तौर पर तीन-चौथाई कृषि भूमि पर खेती की जा रही है, केंद्रीय तराई का मैदान, सैकड़ों चावल मिलों को अनाज की आपूर्ति करता है।
छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है यहाँ की 80% जनसँख्या कृषि पर निर्भर है| छत्तीसगढ़ प्रदेश को धान का कटोरा के नाम से जाना जाता है| सामान्यतः कृषि को अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र में शामिल किया जाता है| सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ को तीन कृषि जलवायु प्रदेशों में बाँटा गया है -जिनमें उत्तरी कृषि क्षेत्र , मध्य कृषि क्षेत्र व दक्षिणी कृषि क्षेत्र शामिल हैं|
ऊंचे इलाकों में मक्का और बाजरा अधिक होता है। कपास और तिलहन इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसलें हैं। बेसिन के किसान विशेष रूप से मशीनीकृत कृषि तकनीकों को अपनाने में धीमे रहे हैं। हल के वर्षो में मशोनो का उपयोग कृषि कार्य में बड़ा है।
पशुधन और मुर्गी पालन भी यहाँ की प्रमुख व्यवसायो में से एक हैं। राज्य के पशुधन में गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सूअर शामिल हैं। इन जानवरों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई केंद्र बने हैं। बिलासपुर और धार में कृत्रिम गर्भाधान और बकरियों के क्रॉसब्रीडिंग के लिए केंद्र स्थापित किये गए है।
छत्तीसगढ़ में सिंचाई सुविधा – 36%
नहरों से – 52%
नलकूपों से – 29%
छत्तीसगढ़ में कृषि की स्थति (30 जून 2019) के अनुसार
फसलों के निरा क्षेत्रफल से सिंचित निरा क्षेत्रफाल का प्रतिशत –
सर्वाधिक | न्यूनतम |
रायपुर | दंतेवाड़ा |
जांजगीर चाम्पा | नारायणपुर |
धमतरी | सुकमा |
दुर्ग | जशपुर |
सम्पूर्ण फसलों के क्षेत्रफल से सिंचित क्षेत्रफाल का प्रतिशत –
सर्वाधिक | न्यूनतम |
जांजगीर चाम्पा | दंतेवाड़ा |
रायपुर | नारायणपुर |
धमतरी | सुकमा |
दुर्ग | जशपुर |
छत्तीसगढ़ की मुख्य फसलें
Chhattisgarh Agriculture में राष्ट्रीय स्तर की फसलों के अनुरूप सभी प्रकार के फसलों का उत्पादन होता है| लेकिन विशेष रुप से मानसूनी फसल जिसे खरीफ फसल कहा जाता है| यह सर्वाधिक व्यवहार में प्रचलित है| प्रदेश की मुख्य फसलें निम्न प्रकार की है –
खरीफ फसल : प्रदेश में दक्षिण मानसून के प्रवेश के साथ ही खरीफ फसल की बुआई जून – जुलाई में प्रारंभ हो जाती है एवं अक्टूबर -नवम्बर में कटाई की जाती है| धान प्रदेश की मुख्य खरीफ फसल है इसके अलावा प्रदेश में – कोदो -कुटकी, मूंगफली, अरह ,आदि का भी उत्पादन किया जाता है
(1) धान
- धान छत्तीसगढ़ की मुख्य खाद्यान फसल है|
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक क्षेत्रफल में बोई जाने वाली फसल
- छत्तीसगढ़ में धान सर्वाधिक बाहुल्य होने के कारण धान का कटोरा कहलाता है|
- राज्य में कुल खाद्यान का लगभग 80% धान उत्पादन किया जाता है|
नोट – छत्तीसगढ़ को कुल 05 बार कृषि कर्मण पुरुस्कार प्रदान किया गया है| जिसमे से 02 बार खाद्यान उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार प्रदान किया गया हैं|
(2) कोदो कुटकी
- यह धान के बाद सर्वाधिक क्षेत्रफल में बोई जाने वाली फसल है|
- कोदो कुटकी की कृषि मुख्य रूप से राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में की जाती है|
रबी फसल : प्रदेश में रबी की फसल की बुआई नवम्बर -दिसम्बर में की जाती है| इसके अंतर्गत गेहूँ , चना , अलसी , तिवरा व सरसों आदि को शामिल किया जाता है|
(1) अलसी
- यह प्रदेश की तिलहन फसल है|
- यह उत्तरा (Relay-Crop) फसल के रूप में बोई जाती है|
- इसका उत्पादन छत्तीसगढ़ के पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में सर्वाधिक होता है|
(2) चना
- यह छत्तीसगढ़ की मुख्य दलहन फसल है|
- दलहनों की श्रेणी में इसका उत्पादन सर्वाधिक होता है|
वाणिज्यिक फसल : इस फसल का उत्पादन व्यापार के उद्देश्य से होता है इस श्रेणी में गन्ना , कपास तम्बाकू , जूट आदि को शामिल किया जाता है|
नोट – छत्तीसगढ़ की मुख्य वाणिज्यिक फसल गन्ना है|
छत्तीसगढ़ की नदियाँ, सहायक नदी एवं अपवाह तंत्र
बागवानी फसल : Chhattisgarh Agriculture में बागवानी फसलों में चाय , काफी , एवं कुछ फल जैसे सेब , लीची आदि को शामिल किया जाता है| प्रदेश में इस फसल के लिए प्राकर्तिक परिस्थितियां जैसे – पठारी क्षेत्र एवं लेटेराईट मिट्टी पर्याप्त मात्र में उपलब्ध है|
वाणिज्यिक फसल | सर्वाधिक उत्पादन जिले |
गन्ना | कर्वधा |
लीची | जशपुर |
चाय | जशपुर |
कपास | बेमेतरा |
तम्बाकू | सूरजपुर |
जूट /सन | रायगढ़ |
छत्तीसगढ़ की स्थानांतरित कृषि
Chhattisgarh Agriculture में जनजातियों में स्थानांतरित कृषि को अलग -अलग नाम से जाना जाता है –
जनजाति | स्थानांतरित कृषि |
गोंड | धारिया |
बैगा | बेवार |
पहाड़ी कोरवा | बेवार |
माड़िया | पैददा |
कमार | दहिया |
कृषि संस्थान
(Chhattisgarh Agriculture 2021)
(1) रायपुर दुग्ध संघ – इसकी स्थापना 1983 में की गई थी यह सहकारिता पर स्थापित एक संस्था है जो प्रदेश में ग्रामीण अचलों में दूध क्रय कर उनका प्रसंस्करण कर दुग्ध उत्पादों का निर्माण करती है| वर्तमान में इसे देवभोग के नाम से जाया जाता है|
(2) कृषि अनुसन्धान केंद्र – रायपुर
(3) कृषि प्रशिक्षण अकादमी – रायपुर
(4) चाँवल अनुसन्धान केंद्र – लाभांडी रायपुर
पशु प्रजनन केंद्र
पशु प्रजनन प्रक्षेत्र | 1. अंजोरा (दुर्ग ) 2. सरकंडा (बिलासपुर ) 3. पकरिया (पेंड्रा -बिलासपुर ) |
बकरी प्रजनन प्रक्षेत्र | 1. पकरिया (पेंड्रा -बिलासपुर ) 2. सरोरा (रायपुर ) 3. रामपुर (कबीरधाम ) |
सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र | 1. सकालो (सरगुजा ) 2. जगदलपुर |
राज्य की प्रमुख फसलें
मुख्य खाद्यान फसल | चाँवल |
मुख्य दलहन फसल | चना |
मुख्य तिलहन फसल | सोयाबीन |
मुख्य मतस्य पालन केंद्र
स्थान | जिला |
झुमका | सरगुजा |
खूंटाघाट | बिलासपुर |
सेलुध , धमधा . कुटेलाभांटा | दुर्ग |
डेमार , कुरूद | धमतरी |
बलेंगा | बस्तर |
पखांजूर | कांकेर |
कृषि सम्बंधित तथ्य
- छत्तीसगढ़ का सबसे पुराना पशु बाजार – रतनपुर
- छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पशु बाजार – भैंसाथान (रायपुर )