पृथ्वी का वह भाग जो वृक्षों से ढका है वन कहलाता है भारत में वन संपदा छत्तीसगढ़ में पर्याप्त मात्रा में है जो जैव विविधता से परिपूर्ण है यहां पर विभिन्न प्रजातियों के वृक्ष पाए जाते हैं ।
पर्यावरण की दृष्टि से एक तिहाई क्षेत्र में बंद होना चाहिए वनसंपदा राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृण और संपन्न बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है वन भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं भूमि के अपरदन को रोकते हैं तथा स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करने में भी बनो की महत्वपूर्ण भूमिका है !
छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल से वन सम्पदा में समृद्ध राज्य रहा है। इन सघन वनों में हमारे पर्यावरण के साथ साथ जनजाति संस्कृति व वनोपज से राजस्व आय अर्जित करने एवं उद्योग के लिए कच्चा माल प्रदान कर एक विशेष आधार प्रदान करता है। यह प्रदेश के वन प्राणियों व जैव विविधता के लिए वरदान है।
- छत्तीसगढ़ का कुल वन क्षेत्र 59772 वर्ग कि.मी. है।
- यह राज्य के कुल क्षेत्र का 44.21% में विस्तारित है।
- छत्तीसगढ़ राज्य वन क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में चौथा स्थान पर है।
- वन आवरण की दृष्टि से छत्तीसगढ़ , देश में तीसरा स्थान पर है।
- देश के कुल क्षेत्रफल का 12.2% है।
- कुल वन क्षेत्रफल 55821 वर्ग कि.मी. तथा कुल वृक्ष क्षेत्रफल 3951 वर्ग कि.मी. है।
- राज्य में 27 जिलों के अनुसार सर्वाधिक वन क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रथम नारायणपुर और द्वितीय कोरिया तथा सबसे कम वन क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रथम दुर्ग तथा द्वितीय बेमेतरा जिलों का स्थान है।
- 18 जिलों के अनुसार सर्वाधिक वन क्षेत्रफल दंतेवाड़ा तथा सबसे कम जाँजगीर- चांपा जिले का स्थान है।
छत्तीसगढ़ में वनो का वर्गीकरण तीन आधार पर किया गया है:
- प्रशासन / प्रबंधन के आधार पर
- प्राकृतिक / भौगोलिक वर्गीकरण
- प्रजातीय वर्गीकरण
प्रशासन / प्रबंधन के आधार पर
इस आधार पर वनो को तीन भागों में बांटा गया है –
आरक्षित वन :-(रिजर्व )
प्रतिशत – 43. 13%
क्षेत्रफल – 25780 वर्ग किमी
सर्वाधिक आरक्षित वन वाला जिला – दंतेवाड़ा
न्यूनतम आरक्षित वन वाला जिला – कोरबा
संरक्षित वन (कंजर्वेटिव )
प्रतिशत – 40.21 %
क्षेत्रफल – 24036 वर्ग किमी
सर्वाधिक संरक्षित वन वाला जिला – सरगुजा
न्यूनतम संरक्षित वन वाला जिला – जांजगीरचांपा
अवर्गीकृत वन / खुला वन
प्रतिशत – 16. 65%
क्षेत्रफल -9994 वर्ग किमी
सर्वाधिकअवर्गीकृत वन – कांकेर
न्यूनतम अवर्गीकृत वन – निरंक
प्राकृतिक / भौगोलिक वर्गीकरण
वर्षा के मात्रा के आधार पर इन वनों को आर्द्र पर्णपाती एवं शुष्क पर्णपाती वनों में विभाजित किया जाता है।
उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन –
- ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते है। जहाँ औसत वर्षा 100 से 150 सेमी के बीच होती हैं।
- इनसे मुख्यतः वनोपज एवं लकड़ी दोनों ही प्राप्त होती है। इनमें साल ,सागौन ,बाँस की बहुतायत सहित बीजा, जामुन, महुआ ,साजा ,हर्रा आदि भी पाए जाते हैं।
- ये वन दक्षिण सरगुजा जिले तथा जशपुर जिले के तपकरा रेंज, बिलासपुर ,रायपुर बस्तर तथा रायगढ़ में पाए जाते हैं।
उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन –
- ये अपेक्षाकृत कम वर्षा वाले क्षेत्रों (25 से 75 सेमी) में पाए जाते हैं। ये वन प्रमुखतया वनोपज से सम्बंधित होते हैं।
- ये आंशिक रूप से इमरती लकड़ी भी देते है। इनमें बबूल ,हर्रा ,पलाश ,तेंदू ,शीशम ,हल्दू, सागौन,शिरीष आदि हैं।
- ये वन रायगढ़ ,जशपुर ,उत्तर -पूर्वी बिलासपुर ,रायपुर ,धमतरी तथा मैनपुर में पाए जाते हैं।
प्रजातीय के आधार पर
1. साल वन (शोरिया रोबॉटा )
- प्रतिशत – 40. 56%
- क्षेत्रफल – 24244. 878 वर्ग किमी
- यह राजकीय वृक्ष है बस्तर को साल वनो का द्वीप कहा जाता है।
- सर्वोत्तम किस्म की साल वृक्ष वन केशकाल घाटी (कोंडागांव ) में पाए जाते है।
2 . सागौन वन :- (टेक्टना ग्रान्डीश )
- प्रतिशत – 9. 42%
- क्षेत्रफल – 5633.131 वर्ग किमी
- सर्वोत्तम किस्म का सागौन वन कुरशेल की घाटी (नारायणपुर) में पाए जाते है।
3. मिश्रित वन:
- प्रतिशत – 43. 52 %
- क्षेत्रफल – 26018.380 वर्ग किमी
- इसमें साल और सागौन के अतिरिक्त अन्य पर्णपाती वृक्ष जैसे तेंदू ,बीजा ,चार ,हलदू ,साजा ,सलई ,बबुल ,इमली ,महुआ ,कुसुम ,जामुन ,हर्रा ,धवड़ा ,आँवला ,नीम ,पीपल ,बाँस तथा बेर आदि प्रमुख है।
4. बाँस वन:
- मिश्रित वन में ही बाँस के वृक्ष पाए जाते है। राज्य में मुख्यतः नर बाँस (Dendraculamus Stictus ) पाया जाता है। इसे लाठी बाँस भी कहते है।
- कटंग बाँस सर्वाधिक सरगुजा वनमण्डल में पाया जाता है
- बैनेट और गौर सर्वे के अनुसार छत्तीसगढ़ में 9 प्रकार के बाँस के वन पाए जाते है।
- रायगढ़ के घरघोड़ा ,लैलुंगा तथा खरसिया रेंज में बाँस पाया जाता है। यहाँ का बाँस मोटा होता है , जो कागज उद्योग में भेजा जाता है।
- बाँस का प्रयोग घरों में किया जाता है,इससे टोकरी ,चटाई आदि भी बनाई जाती है।सरगुजा के शुष्क मिश्रित वनों में बाँस प्रमुख है
- राज्य में बाँस वनों का क्षेत्रफल 6565 वर्ग किमी है जो कुल वनों का लगभग 11% है।
- बाँस वनों से राज्य को लगभग 42 % राजस्व की प्राप्ति होती है।
- बाँस शिल्प कला के लिए गरियाबंद की कमार जनजाति विशेष रूप से निपुण है।
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वनो से प्रत्यक्ष लाभ
- बन बहुमूल्य लकड़ी का भंडार है वनों से राज्य सरकार को प्रतिवर्ष करोडो रुपए की आय प्राप्त होती है !
- वन उत्तम चारागाह है इन से राज्य में पशुधन विकास में सहायता मिलती है !
- वनों से अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां प्राप्त होती है जैन से प्रतिवर्ष राज्य को 5 करोड रुपए की आय प्राप्त होती है !
- राज्य का 90% जलाने हेतु विधान वनों से प्राप्त किया जाता है !
- जंगल में पाए जाने वाले जानवरों की खाल से प्रतिवर्ष 20 लाख रुपए की आय होती है !
- वनों से प्राप्त चीड़ देवदार साल सागौन शीशम आदि लकड़ियां एवं अतिरिक्त गौण उत्पादनों से राज्य की सकल आय में 15% की बढ़ोतरी होती है !
- प्रदेश के अनेक वन क्षेत्रों में पर्यटन स्थल विकसित किए गए हैं जो राज्य की आय का स्त्रोत है !
- जो राज्य की जनजाति जनसंख्या को रोजगार एवं जीवकोपर्जन जंगलों से प्राप्त हुआ है !
वनों से अप्रत्यक्ष लाभ
- बनवार नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं वनों की सभ्यता के कारण तेज जल का प्रभाव शिथिल हो जाता है !
- वन भूमि के कटाव को रोकने में काफी प्रभावशील सिद्ध हुए हैं !
- राज्य में वनों की अधिकता के कारण जलवायु को सम बनाने में सहायता मिलती है !
- वनों से गिरने वाली पत्तियां भूमि चोर भरता बनाने में सहायक सिद्ध हुई है !
- वनों द्वारा अधिक वर्षा को आकर्षित करने एवं बाड़ की भयंकरता को कम कर अकाल की समस्या को भी कम किया जा सकता है !
- बन प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ाने और पर्यावरण के संवर्धन में भी उपयोगी है !
छत्तीसगढ़ के वन पुरस्कार
- हरियर छत्तीसगढ़ पुरस्कार योजना
- उत्कृष्ट वनीकरण के लिए जिला स्तरीय पुरस्कार
- महावृक्ष पुरस्कार
- वन अपराध की सूचना देने पर पुरस्कार
- अवैध शिकार की सूचना देने पर पुरस्कार
हरियर छत्तीसगढ़ पुरस्कार योजना
- शुरुवात – 30 जून 2018
- यह पुरस्कार स्वर्गीय मानिकराम गोंड के नाम पर दिया गया है
- वृक्षारोपण को बढ़ावा देना
उत्कृष्ट वनीकरण के लिए जिला स्तरीय पुरस्कार
- प्रत्येक जिला स्तर पर उत्कृष्ट वनीकरण कार्यो के लिए व्यक्ति, अन्य संस्थाओं को प्रेरणादायक स्त्रोत के रूप में पुरस्कृत करना
- यह पुरस्कार 2000 से 5000 रूपए तक होगा
महावृक्ष पुरस्कार
- सबसे अधिक मोटाई व ऊंचाई के वृक्ष, जो स्वस्थ और सुविकसित होंगे, उनके संरक्षण और सुरक्षा के लिए प्रति वर्ष दिया जाता है.
- पुरस्कार के रूप में 25000 रूपए एवं प्रशस्तिपत्र प्रदान किआ जाता है
वन अपराध की सूचना देने पर पुरस्कार
- छत्तीसगढ़ राज्य के वन विभाग द्वारा वन अपराध प्रकरण में अपराधी को सफलतापूर्वक पकड़वाना के लिए पुरस्कार
- प्रति प्रकरण के लिए 1500 रूपए का पुरस्कार
अवैध शिकार की सूचना देने पर पुरस्कार
- राज्य शासन द्वारा वन्यप्राणियो के अवैध शिकार की घटना एवं शिकार करने वालों की सूचना देने वाले व्यक्तियों को गुप्त रूप से 5000 से 50000 रूपए तक के पुरस्कार दिए जाते हैं
बाँस वन
- इसे लघु वनोपज के श्रेणी में रखा गया है। प्रदेश में मुख्यतः नर बाँस पाया जाता है।
- 1971 में बैनेट एवं गौर के अनुसार प्रदेश में बाँस की 9 प्रजातियाँ पायी जाती है।
- बिसेन तथा उज्जैनी के अनुसार प्रदेश में बाँस की 10 प्रजातियाँ पायी जाती है।
- राज्य में बाँस वनों का क्षेत्रफल 6565 वर्ग किमी है ,जो कुल वनों का लगभग 11% है।
छत्तीसगढ़ के वन संपदा सम्बंधित प्रश्न उत्तर
- छत्तीसगढ़ का निम्न लिखित जिला साल वनों का द्वीप कहलाता है – बस्तर
- एशिया का प्रथम बायोस्फियर रिजर्व घोषित किया गया था – कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- वनाच्छादित क्षेत्रफल प्रतिशत की दृष्टिकोण से, छत्तीसगढ़ राज्य का भारत में क्या क्रम है? – तृतीय
- छत्तीसगढ़ में सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला है – जांजगीर चांपा
- तमोर पिंगला अभ्यारण्य कौन से जिले में है ? – सूरजपुर
- तेंदूपत्ता के सकल उत्पादन का निम्नलिखित में से कितना प्रतिशत उत्पादन छत्तीसगढ़ से होता है ? – 17%
- गोमरदा अभ्यारण्य किस जिले में स्थित है – रायगढ़
- साल वन उदाहरण है एक – पतझड़ वन
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना किस वर्ष में हुई थी ? – 1982
- छत्तीसगढ़ का सबसे पुराना अभ्यारण्य है – सीतानदी
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान निम्नलिखित में से किस जिले में स्थित है ? – बस्तर
- छत्तीसगढ़ में पायी जाने वाली निम्नलिखित वृक्ष प्रजातियों में से कौन सी राष्ट्रीयकृत वृक्ष सूची में शामिल है ? –साल, सागौन, खैर
- निम्नलिखित में से छत्तीसगढ़ राज्य का कौन सा वन वृत्त वनों की उपलब्धता की दृष्टि से सबसे बड़ा है ? – बिलासपुर वन वृत्त
- भैरमगढ़ अभ्यारण्य किस जिले में है ? – बीजापुर
- छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय उद्यान की संख्या है ? – 3
- छत्तीसगढ़ का प्रथम तितली पार्क है ? कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा अभ्यारण्य है ? – बादल खोल
- छत्तीसगढ़ में संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर क्या रखा गया है ? – गुरूघासी दास
- छत्तीसगढ़ राज्य औषधि पादप बोर्ड का गठन किया गया था ? – 2004
- लकड़ी काटने तथा चराने पर प्रतिबन्ध किस प्रकार के वनों पर होता है | – आरक्षित
राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (SFRTI Raipur)
अनुसंधान विज्ञान की आत्मा है प्रकृति ने छत्तीसगढ़ को दूर-दराज के जंगल और लुभावने अद्भुत वन्य जीवन और जैव विविधता के साथ आशीर्वाद दिया है। ४४% वन से संपन्न छत्तीसगढ़ राज्य में वानिकी अनुसंधान, राज्य स्तरीय वानिकी अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के लिए २१ मार्च २००६ में आधारशिला रखी गई थी और १७ मार्च २०१३ में कार्य करना शुरू कर दिया था, माननीय द्वारा ९५४४ वर्ग मीटर में निर्मित राजसी संस्थान भवन का उद्घाटन किया गया था। ‘बले मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़’ सरकार संस्थान लगभग 63 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में फैले हरे भरे परिसर में जीरो पॉइंट रायपुर में स्थित है।
पता
बड़ौदा, छत्तीसगढ़ 492005
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