छत्तीसगढ़ के पठार, पर्वत, पाट एवं मैदान की सम्पूर्ण जानकारी 2021

छत्तीसगढ़ के पठार

अगर आप नहीं जानते है की छत्तीसगढ़ के धरातलीय संरचना को कितने भागो में बाटा गया है, तो आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। इसमें आप सभी छत्तीसगढ़ धरातलीय संरचना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है।

छत्तीसगढ़ के धरातलीय संरचना अनेक रूप के साथ है। इन प्रदेशों को भौतिक आधार पर चार भागों में विभाजित किया गया है।राज्य को धरातलीय संरचना के आधार पर 4 भागो में बाटा गया है।

1.पूर्वी बघेलखण्ड का पठार
2. मैदान
3.पाट प्रदेश
4.दण्डकारण्य का पठार

महत्वपूर्ण Points –

  • भारत के संदर्भ में यह राज्य प्रायद्वीपीय उच्चभूमि भू-आकृतिक प्रदेश के अंतर्गत आता है।
  •  छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वाधिक भौगोलिक क्षेत्र पठारों एंड पटा के अंतर्गत आता है।
  • यह जैव भौगोलिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ राज्य दक्कन जैव क्षेत्र में आता है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य, यह भारत के 15 कृषि जलवायु प्रदेशों के पूर्वी पठारी एवं पर्वतीय क्षेत्र में पाये जाते हैं।

1. छत्तीसगढ़ के पूर्वी बघेलखण्ड का पठार की उचाई और विशेषता

  • चांगभखर देवगढ़ की पहाड़ी:-
  • विस्तार- कोरिया , सरगुजा , सूरजपुर
  • ऊंची चोटी – देवगढ़ (1033 मी)
  • विशेष- देवगढ की पहाड़ियां छत्तीसगढ़ राज्य के बघेलखण्ड पठार भौतिक प्रदेश के अन्तर्गत आती है। कैमूर पर्वत इसका ही भाग है।
  • कैमूर पर्वत श्रेणी:-
  • विस्तार – कोरिया, मुंगली , बिलासपुर , कवर्धा
  • अन्य चोटी – सोनभद्र , लिलवनी , देवसानी
  • ऊंची चोटी – बादरगढ़ (1176 मी )
  • विशेष – यह सतपुड़ा पर्वत का पच्छिमी विस्तार है। यह पर्वत श्रेणी नर्मदा एव महानदी प्रवाह प्रणाली को विभाजित करती है।

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  • छुरी उदयपुर की पहाड़िया:-
  • विस्तार – कोरबा, रायगढ़, सरगुजा , सूरजपुर
  • विशेष – यह भी पहाड़ पूर्वी बघेलखण्ड का भाग है। इसे मांड नदी उत्तर से दक्षिण दोनों भागो में विभाजित किया गया है।
  • रामगढ की पर्वत – (सरगुजा से)
  • यह सतपुड़ा पर्वत इसी श्रेणी का भाग है।
  • गुफाएं– सीताबेंगरा, जोगीमारा, लक्ष्मण बेंगरा।
  • सीताबेंगरा– यहीं पर विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला स्थित है।
  • जोगीमारा– मौर्य वंशीय सम्राट अशोक के शिलालेख प्राप्त हुए हैं। (यह पाली-भाषा एवं ब्राम्ही-लिपि)
  • सीताकुण्ड – रामायण काल में जल संग्रहण हेतु।
  • जोगीमारा की गुफा में देवदासी नृत्यांगना व देवदत्त नामक नर्तक की प्रेमगाथा का वर्णन शामिल है।
  • यह जानना बहुत जरुरी है की हमारे महाकवि कालिदास ने इसी पहाड़ी में मेघदूतम् नामक पुस्तक की रचना किये थे, जिसका छत्तीसगढ़ी
    भाषा में रूपांतरण मुकुटधर पाण्डेय द्वारा किया गया।
  • शिशुपाल पर्वत
  •   विस्तार- महासागर
  • ऊंची चोटी –  धारिडोंगरी (899 मी )
  • सिहावा पर्वत-
  • विस्तार- धमतरी
  • विशेष – महानदी का उद्धम

2. छत्तीसगढ़ के मैदान की विशेषता

विस्तार – छत्तीसगढ़ का मैदान (बिलासपुर, रायपुर एवं दुर्ग संभाग) शामिल है।
बनावट – कड़प्पा क्रम (अवसादी क्रम) की चट्टानों से हुआ है।
खनिज – चूना पत्थर।
आकृति – पंखाकार/चापाकार होता है।
महानदी के तटीय भाग को महानदी बेसिन या छग का मैदान कहते हैं। इस क्षेत्र में भूस्थलाकृतियां विद्यमान है।

छत्तीसगढ़ का पठार
(Image Credit: Wiki)
  • पेण्ड्रा लोरमी का पठार
  • विस्तार – बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा
  • प्रमुख चोटी – पलमा चोटी- बिलासपुर (1080 मी) एवं इस लाफागढ़-कोरबा (1048 मी.) है।
  • मैकल श्रेणी –
  • विस्तार – राजनांदगाँव, कवर्धा, लोरमी एवं पेण्ड्रा तक।
  • ढाल – पश्चिम से पूर्व की ओर
  • ऊँची चोटी बदरगढ़ की चोटी (1176 मी), कबीरधाम जिले में स्थित है।
  • स्थिति – राज्य के पश्चिम दिशा में है।
  • भाग – सतपुड़ा पर्वत का
  • प्रभाव – यह मैकल श्रेणी के कारण कबीरधाम जिला वृष्टिछाया क्षेत्र में आता है।
  • जल विभाजक – शिवनाथ व वेनगंगा के मध्य यह श्रेणी ऊपरी महानदी बेसिन को ऊपरी नर्मदा से अलग करती है।
  • वन – मुख्यतः सालवन के वन है।
  • बिलासपुर रायगढ़ मैदान :-
  • विस्तार – बिलासपुर, जांजगीर चांपा, रायगढ़।
  • ऊँची चोटी – दलहा पहाड़ (760 मी.) (अकलतरा, जांजगीर-चांपा)
  • सिहावा पर्वत – धमतरी –
  • प्राचीन नाम – सुक्तिमती (महानदी का उद्गम स्थल, फरसिया नामक स्थल से)
  • आश्रम – सप्तशृंगी ऋषि का
  • छाता पहाड़ – बलौदाबाजार में है
  • दुर्ग – सीमान्त उच्च भूमि
  • विस्तार – डौंडीलोहारा (बालोद), अम्बागढ़ चौकी (राजनांदगांव)
  • पहाड – दल्लीराजहरा, डोंगरगढ़ की पहाड़ी।
  • विशेष – दल्लीराजहरा की पहाड़ी का विस्तार बालोद व कांकेर जिले में है जो खरखरा व तांदुला नदी के मध्य शामिल है।

3. छत्तीसगढ़ के पाट प्रदेश की विशेषता

  • विस्तार – जशुपर तथा बलरामपुर और सरगुजा के पाट प्रदेश भाग
  • बनावट – दक्कन ट्रेप
  • खनिज – बॉक्साइड
  • क्रम – पूर्व से पश्चिम की ओर – जमीर पाट > जारंग पाट > जशपुर पाट > मैनपाट
  • भाग – छोटा नागपुर के पठार है
  • ढाल – दक्षिण – पूर्व की ओर है
  • सरगुजा बेसिन की संरचना में गोंडवाना क्रम की चट्टानें अधिक है।
  • पठारी क्षेत्र के समतल ऊपरी भाग को ”पाट” कहलाते हैं। यह प्रमुख पाट प्रदेश निम्न शामिल है –
छत्तीसगढ़ के पठार
(Image Credit: Patrika)
  • मैनपाट:-
  • यह राज्य का सबसे ऊंचा भाग है।
  • ऊचाई – 1152 मी
  • माण्ड नदी का उद्गम स्थल (सरगुजा)
  • सन् 1962 में तिब्बती शरणार्थियों (Tibetans inhabired) को बसाया गया था।
  • टाइगर प्वाइट, इको प्वाइंट एवं मछली प्वाइंट आदि हिल स्टेशन एवं भू-कम्पित जलजली क्षेत्र स्थित है।
  • सफेद मूसली की खेती होती है।
  • जशपुर पाट :- जशपुर में स्थित है।
  • यह राज्य का सबसे बड़ा व लम्बा पाट प्रदेश होता है।
  • पंडरा पाट:- यह जशपुर में स्थित है जहां से ईब व कन्हार नदी का उद्गम होता है।
  • जारंग पाट :– इस बलरामपुर (सबसे बड़ा बॉक्साइट का भंडारण क्षेत्र)
  • सामरी पाट:- बलरामपुर में है।
  • चोटी गौरलाटा (1225 मी.)
  • छ.ग. की सबसे ऊँची चोटी
  • आकृति – सीढ़ीनुमा
  • जमीर पाटा :– बलरामपुर, (मिश्र का परिसर)
  • पवन पाट:- बलरामपुर

छत्तीसगढ़ के जल विभाजक पर्वत –

1. केशकाल पर्वत – महानदी व इन्द्रावती के मध्य में है ।
2. मैकल पर्वत श्रेणी – शिवनाथ व वेनगंगा (महाराष्ट्र में बहती है।) के मध्य में स्थित है।
3. देवगढ़ की पहाड़ी – गोपद व रिहन्द के मध्य में है ।

4.छत्तीसगढ़ के पठार की विशेषता

  • रावघाट की पहाड़ी
  • विस्तार – कांकेर
  • विशेष – लौह अयस्क क्षेत्र (भिलाई स्टील प्लांट)
  • बस्तर का मैदान – बीजापुर एवं सुकमा में।
  • बैलाडीला पहाड़ी– दंतेवाड़ा
  • चोटी नंदीराज (1210 मी)
  • विशेष – इस सर्वोच्च किस्म का लौह अयस्क मिलता है।
  • यहां से लौह अयस्क को विशाखापट्टनम बंदरगाह से जापान इत्याद जगह भेजा जाता है।
  • छत्तीसगढ़ में सबसे पुरातन शैलों से बना है।
  • बस्तर का पठार
  • बस्तर एवं सुकमा क्षेत्र में ।
  • इसके अंतर्गत झीरमघाटी एवं दरभाघाटी आते हैं।
  • अबूझमाड़ पहाड़ी
  • विस्तार – नारायणपुर, बीजापुर है।
  • सर्वोच्च किस्म के सागौन वनों से वनाच्छादित है।
  • छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक वर्षा होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी भी कहते हैं।
  • केशकाल घाटी
  • विस्तार – कोण्डागांव
  • इसे हम बस्तर का प्रवेश द्वार कहते है। ( यह 12 मोड़ 5 किमी के अंतराल में है)
  • इस केशकाल घाटी को छत्तीसगढ़ का जल विभाजक पर्वत कहा जाता है जिसके कारण महानदी अपवाह होता है।
  • यह तंत्र उत्तर की ओर एवं इंद्रावती अपवाह तंत्र दक्षिण की ओर बहती जाती है।
  • यहाँ तेलीन माता का मंदिर स्थित है।
  • तेलीन घाटी – कोण्डागांव स्थित है।
  • केशकाल घाट/तेलीन घाट – छत्तीसगढ़ बेसिन और बस्तर पठार के बीच सीमा बनाती है।
  • गोदावरी नदी अपवाह व महानदी अपवाह।
  • आरीडोंगरी 
  • भानुप्रतापपुर तहसील क्षेत्र (कांकेर जिले) में स्थित है।
  • यह लौह अयस्क के लिए प्रसिद्ध माना जाता है।
  • गाड़िया पहाड़ –
  • कांकेर जिले में स्थित है।
  • गढ़िया महोत्सव भी मनाया जाता है। (सितम्बर माह में)
  • अलबका पहाड़ी
  • स्थित – बीजापुर स्थित है।

   छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्वत , पहाड़ियां मैदान एवं उच्चावच स्थल व क्षेत्र –

पहाड़ियाँ /चोटी  Hights Area
धारी डोंगर (शिशुपाल) 899 मीटर महासमुंद
पेण्ड्रा लोरमी 800 मीटर बिलासपुर
दलहा पहाड़ 760 मीटर अकलतरा (जांजगीर-चांपा)
डोंगरगढ़ की पहाड़ी 704 मीटर मैंकल श्रेणी (राजनांदगाँव)
दल्लीराजहरा 700 मीटर बालोद
छुरी मतिरिंगा उदयपुर की पहाड़ियाँ कोरबा, सरगुजा एवं रायगढ़
अबूझमाड़ की पहाड़ियाँ 1076 मीटर नारायणपुर
रामगढ़ की पहाड़ियाँ सरगुजा
कैमूर पर्वत कोरिया
चागभखार की पहाड़ी कोरिया
गौरलाटा 1225 मीटर सामरीपाट (बलरामपुर)
नन्दीराज 1210 मीटर बैलाडीला (दंतेवाड़ा)
बदरगढ़ 1176 मीटर मैकल श्रेणी (कवर्धा)
मैनपाट 1152 मीटर सरगुजा
जशपुर पाट जशपुर
पल्लागढ़ की चोटी 1080 मीटर पेंड्रा-लोरमी की पठार (बिलासपुर)
लाफागढ़ चोटी 1048 मीटर पेंड्रा-लोरमी की पठार (कोरबा)
जारंग पाट 1045 मीटर बलरामपुर
देवगढ़ 1033 मीटर कोरिया
सिहावा पर्वत (सुक्तिमति पर्वत) धमतरी
आरी डोंगरी भानुप्रतापपुर तहसील क्षेत्र में (कांकेर)
गाड़िया पहाड़ी कांकेर
कुलहारी पहाड़ी राजनाँदगाँव
मांझीडोंगरी बस्तर
बड़े डोंगर कोण्डागांव
छोटे डोंगर नारायणपुर
अलबका की पहाड़ी बीजापुर
सीता लेखनी की पहाड़ी सूरजपुर
छाता पहाड़ी बलौदाबाजार
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