छत्तीसगढ़ का भूगोल (Geography of Chhattisgarh in Hindi) : छत्तीसगढ़, जो पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था, को नवंबर 2000 में राज्य का दर्जा मिला, जिसकी राजधानी रायपुर हैं। छत्तीसगढ़ का भूगोल (Geography of Chhattisgarh in Hindi) के अध्ययन में हम इसकी स्थिति के बारे में भी जानकारी देंगे। मध्य भारत में स्थित, यह 17°46’N से 24°05’N अक्षांश और 80°15’E से 84°20’E देशांतर तक फैला है।
छत्तीसगढ़ का भूगोल (Geography of Chhattisgarh in Hindi) के अध्ययन करते समय जब हम इसकी सीमाओं की बात करते हैं तो इसकी सीमाएँ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और झारखंड से लगती हैं। 192,000 वर्ग किमी को कवर करते हुए, 2001 में 108/वर्ग किमी के घनत्व पर इसकी जनसंख्या 20,795,956 थी।
छत्तीसगढ़ राज्य भौगोलिक रूप से विविधतापूर्ण है। इसके अंदर पठार, पहाड़ियाँ, पाट (नदी के किनारों की जमीन) और मैदान सभी मौजूद हैं। इन सभी भू-आकृतियों के बारे में विस्तार से समझना आवश्यक है।
पठार: छत्तीसगढ़ का लगभग 40% क्षेत्र बस्तर पठार से कवर है। यह पठार राज्य के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में फैला हुआ है। इसकी औसत ऊंचाई लगभग 600 मीटर है और यह प्राचीन चट्टानों से बना है। बस्तर पठार काफी विस्तृत और समतल है। इस पर खेती-बाड़ी के साथ-साथ जंगलात भी मौजूद हैं।
पर्वत एवं पहाड़ियां: छत्तीसगढ़ के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में पहाड़ियों और पर्वत शृंखलाएं विद्यमान हैं। ये पहाड़ियां लगभग 32% क्षेत्र को कवर करती हैं। मैकाल पर्वत शृंखला इस राज्य की सबसे बड़ी पहाड़ी शृंखला है। इसके अलावा विंध्य और सतपुड़ा पहाड़ियां भी यहां स्थित हैं। इन पहाड़ी क्षेत्रों में घने जंगल, झरने और नदियां मौजूद हैं।
पाट: छत्तीसगढ़ में कई नदियां बहती हैं जिनके किनारों पर पाट बने हुए हैं। पाट नदी के किनारे की उपजाऊ जमीन को कहा जाता है। महानदी, शहनदी और इंद्रावती नदियों के पाट इस राज्य में बहुत उपजाऊ हैं। ये पाट काफी विस्तृत हैं और यहां बड़े पैमाने पर खेती की जाती है।
मैदान: छत्तीसगढ़ के मध्य भाग में विशाल मैदानी क्षेत्र विद्यमान है जो लगभग 28% भू-भाग को कवर करता है। यह क्षेत्र काफी समतल है और यहां की मिट्टी बहुत उपजाऊ है। इस मैदानी इलाके में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है और यह राज्य के लिए अन्न का प्रमुख स्रोत है।
इस प्रकार, छत्तीसगढ़ राज्य में भू-आकृतियों की एक विविधता देखने को मिलती है जिसमें पठार, पहाड़ियां, नदी के किनारों के पाट और मैदान सभी शामिल हैं। यही विविधता इस राज्य को भौगोलिक और पारिस्थितिकीय रूप से समृद्ध बनाती है।
राज्य की स्थलाकृति उपजाऊ सिंधु-गंगा के मैदान से लेकर सतपुड़ा रेंज और छोटा नागपुर पठार जैसे पहाड़ी क्षेत्रों तक भिन्न है। 44% वन क्षेत्र के साथ, आम पेड़ों में साल, बांस, सागौन और पर्णपाती प्रजातियाँ शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ में उपजाऊ, लाल मिट्टी है और यह महानदी और इंद्रावती नदियों के साथ-साथ कई झीलों से घिरा हुआ है। जलवायु मुख्य रूप से गर्म और शुष्क है, गर्मियों में उच्च तापमान और धूल भरी आंधियां होती हैं, जबकि सर्दियों में ठंडी हवाएं आती हैं। वर्षा मुख्य रूप से दक्षिण पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान होती है।
छत्तीसगढ़ का भूगोल : क्षेत्र | Area
- भारत के मध्य भाग में स्थित छत्तीसगढ़ की सीमाएँ कई राज्यों से लगती हैं।
- उत्तर-पश्चिम में इसकी सीमा मध्य प्रदेश से लगती है।
- पश्चिम में महाराष्ट्र इसका पड़ोसी राज्य है, जबकि दक्षिण में आंध्र प्रदेश है।
- पूर्वी तरफ, छत्तीसगढ़ की सीमा उड़ीसा से लगती है।
- उत्तर-पूर्वी भाग में इसकी सीमा झारखण्ड राज्य से लगती है।
- भौगोलिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ का विस्तार 17 डिग्री 46 मिनट उत्तर से 24 डिग्री 5 मिनट उत्तरी अक्षांश और 80 डिग्री 15 मिनट पूर्व से 84 डिग्री 20 मिनट पूर्वी देशांतर तक है।
- छत्तीसगढ़ का कुल क्षेत्रफल 192,000 वर्ग किलोमीटर है।
- 2001 की जनगणना के अनुसार, राज्य की जनसंख्या 20,795,956 थी, जिसका जनसंख्या घनत्व 108 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था।
- छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44% भाग वनों से आच्छादित है।
छत्तीसगढ़ का भूगोल : जलवायु | Climate
- छत्तीसगढ़ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय वह है जब जलवायु सुखद होती है, क्योंकि यहां उष्णकटिबंधीय प्रकार की जलवायु का अनुभव होता है।
- छत्तीसगढ़, जो पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था, भारत के केंद्र में स्थित है, इसकी राजधानी रायपुर है, और यह ज़मीन से घिरा हुआ है।
- समुद्र से इसकी दूरी और ऊंचाई जैसे भौगोलिक कारक छत्तीसगढ़ की जलवायु को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
- छत्तीसगढ़ में गर्मियाँ गर्म होती हैं, तापमान 40 से 42.5 डिग्री सेल्सियस तक होता है, मार्च के बाद से गर्मी बढ़ती है।
- गर्मी का मौसम अप्रैल से मध्य जून तक रहता है और इसकी विशेषता शुष्क, तेज़ हवाएँ होती हैं जो राज्य के अधिकांश हिस्सों में चलती हैं।
- छत्तीसगढ़ में सर्दियों में तापमान में कमी देखी जाती है, जिससे भीषण गर्मी से राहत मिलती है।
छत्तीसगढ़ का भूगोल : स्थलाकृति | Topography
- छत्तीसगढ़ की स्थलाकृति पर्वत श्रृंखलाओं, पठारों और मैदानी भूमि क्षेत्रों सहित विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियों को समाहित करती है।
- भारतीय उपमहाद्वीप में एक राज्य, छत्तीसगढ़ को नवंबर 2000 में राज्य का दर्जा मिला और इसकी राजधानी रायपुर है। यह सोलह जिलों में विभाजित है।
- छत्तीसगढ़ के मध्य क्षेत्र में एक नदी बेसिन है जो लहरदार रिमलैंड और समतल छत्तीसगढ़ मैदान में विभाजित है।
- इस मैदान की ऊंचाई 250 से 330 मीटर तक है और इसकी दोमट और चिकनी मिट्टी कृषि के लिए अत्यधिक उपजाऊ है।
- मैकाल श्रेणी, मध्य भारत का एक पहाड़ी क्षेत्र, लगभग 500 किलोमीटर तक फैला हुआ है और अचानकमार वन्यजीवन से घिरा हुआ है।
- एक तरफ छत्तीसगढ़ का अभयारण्य और दूसरी तरफ महाराष्ट्र का मेलघाट टाइगर रिजर्व।
- सतपुड़ा रेंज, जो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ तक फैली हुई है, लगभग 900 किलोमीटर तक फैली हुई है। यह विंध्य पर्वतमाला के समानांतर चलता है और एक भौगोलिक विभाजन के रूप में कार्य करता है, जो दक्षिण में दक्कन के पठार को उत्तर में सिंधु-गंगा के मैदान से अलग करता है।
- सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला छत्तीसगढ़ के पहाड़ी क्षेत्र से होकर महानदी, ताप्ती और गोदावरी जैसी नदियों के प्रवाह को भी प्रभावित करती है।
छत्तीसगढ़ का भूगोल : नदियाँ और झीलें | Rivers & Lakes
- छत्तीसगढ़ में नदियों और झीलों सहित कई जल निकाय हैं, जो राज्य के उपजाऊ मैदानों को पानी उपलब्ध कराने और इसे कृषि रूप से उत्पादक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियों में महानदी, इंद्रावती और गोदावरी के साथ-साथ उनकी कई सहायक नदियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ राज्य की विविध स्थलाकृति से होकर गुजरती हैं, जिससे सुरम्य झरने बनते हैं जो लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
- इसके अतिरिक्त, रिहंद, सूखा, हसदो, अरपा, शिवनाथ, मांड, ईब, जोंक, पैरी, केलो और उदंती जैसी कई अन्य नदियाँ राज्य के जल संसाधनों में योगदान करती हैं, जिससे इसकी कृषि उत्पादकता का समर्थन होता है।
छत्तीसगढ़ का भूगोल : मिट्टी एवं वनस्पति | Soil & Vegetation
- छत्तीसगढ़, भारत का 26वां राज्य, 1 नवंबर 2000 को स्थापित किया गया था, और यह 80° 15′ और 84° 20′ पूर्वी देशांतर और 17° 46′ और 24° 5′ उत्तरी अक्षांश के बीच स्थित है।
- इसमें कुल 136 लाख हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है, जिसमें 58.81 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि और 60.76 लाख हेक्टेयर वन भूमि शामिल है।
- छत्तीसगढ़ की वनस्पति विविध और समृद्ध है, जिसमें विभिन्न प्रकार के बागवानी पौधे, पेड़ और फसलें शामिल हैं, जिनमें धान, मक्का, दालें और बहुत कुछ शामिल हैं। राज्य के जंगलों में पाए जाने वाले उल्लेखनीय पेड़ों में बीजा, साजा, हर्रा, तेंदू, सागौन, हौरा और महुआ शामिल हैं।
- छत्तीसगढ़ की लगभग 80% आबादी का प्राथमिक व्यवसाय कृषि है। राज्य का केंद्रीय मैदान “मध्य भारत का धान का कटोरा” के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ धान प्रमुख फसल है।
- इन फसलों के लिए राज्य की मिट्टी की उपयुक्तता के कारण, छत्तीसगढ़ में तिलहन, गेहूं, मोटे अनाज, मूंगफली, मक्का, दालें और विभिन्न प्रकार के बागवानी पौधे जैसे अमरूद, आम, केला और विभिन्न सब्जियों की खेती भी की जाती है।
छत्तीसगढ़ का भूगोल : छत्तीसगढ़ के पठार
अगर आप नहीं जानते है की छत्तीसगढ़ के धरातलीय संरचना को कितने भागो में बाटा गया है, तो आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। इसमें आप सभी छत्तीसगढ़ धरातलीय संरचना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है।
छत्तीसगढ़ के धरातलीय संरचना अनेक रूप के साथ है। इन प्रदेशों को भौतिक आधार पर चार भागों में विभाजित किया गया है।राज्य को धरातलीय संरचना के आधार पर 4 भागो में बाटा गया है।
- पूर्वी बघेलखण्ड का पठार
- मैदान
- पाट प्रदेश
- दण्डकारण्य का पठार
महत्वपूर्ण Points –
- भारत के संदर्भ में यह राज्य प्रायद्वीपीय उच्चभूमि भू-आकृतिक प्रदेश के अंतर्गत आता है।
- छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वाधिक भौगोलिक क्षेत्र पठारों एंड पटा के अंतर्गत आता है।
- यह जैव भौगोलिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ राज्य दक्कन जैव क्षेत्र में आता है।
- छत्तीसगढ़ राज्य, यह भारत के 15 कृषि जलवायु प्रदेशों के पूर्वी पठारी एवं पर्वतीय क्षेत्र में पाये जाते हैं।
1. छत्तीसगढ़ के पूर्वी बघेलखण्ड का पठार की उचाई और विशेषता
- चांगभखर देवगढ़ की पहाड़ी:-
- विस्तार- कोरिया , सरगुजा , सूरजपुर
- ऊंची चोटी – देवगढ़ (1033 मी)
- विशेष- देवगढ की पहाड़ियां छत्तीसगढ़ राज्य के बघेलखण्ड पठार भौतिक प्रदेश के अन्तर्गत आती है। कैमूर पर्वत इसका ही भाग है।
- कैमूर पर्वत श्रेणी:-
- विस्तार – कोरिया, मुंगली , बिलासपुर , कवर्धा
- अन्य चोटी – सोनभद्र , लिलवनी , देवसानी
- ऊंची चोटी – बादरगढ़ (1176 मी )
- विशेष – यह सतपुड़ा पर्वत का पच्छिमी विस्तार है। यह पर्वत श्रेणी नर्मदा एव महानदी प्रवाह प्रणाली को विभाजित करती है।
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- छुरी उदयपुर की पहाड़िया:-
- विस्तार – कोरबा, रायगढ़, सरगुजा , सूरजपुर
- विशेष – यह भी पहाड़ पूर्वी बघेलखण्ड का भाग है। इसे मांड नदी उत्तर से दक्षिण दोनों भागो में विभाजित किया गया है।
- रामगढ की पर्वत – (सरगुजा से)
- यह सतपुड़ा पर्वत इसी श्रेणी का भाग है।
- गुफाएं– सीताबेंगरा, जोगीमारा, लक्ष्मण बेंगरा।
- सीताबेंगरा– यहीं पर विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला स्थित है।
- जोगीमारा– मौर्य वंशीय सम्राट अशोक के शिलालेख प्राप्त हुए हैं। (यह पाली-भाषा एवं ब्राम्ही-लिपि)
- सीताकुण्ड – रामायण काल में जल संग्रहण हेतु।
- जोगीमारा की गुफा में देवदासी नृत्यांगना व देवदत्त नामक नर्तक की प्रेमगाथा का वर्णन शामिल है।
- यह जानना बहुत जरुरी है की हमारे महाकवि कालिदास ने इसी पहाड़ी में मेघदूतम् नामक पुस्तक की रचना किये थे, जिसका छत्तीसगढ़ी
भाषा में रूपांतरण मुकुटधर पाण्डेय द्वारा किया गया।
- शिशुपाल पर्वत
- विस्तार- महासागर
- ऊंची चोटी – धारिडोंगरी (899 मी )
- सिहावा पर्वत-
- विस्तार- धमतरी
- विशेष – महानदी का उद्धम
2. छत्तीसगढ़ के मैदान की विशेषता
विस्तार – छत्तीसगढ़ का मैदान (बिलासपुर, रायपुर एवं दुर्ग संभाग) शामिल है।
बनावट – कड़प्पा क्रम (अवसादी क्रम) की चट्टानों से हुआ है।
खनिज – चूना पत्थर।
आकृति – पंखाकार/चापाकार होता है।
इस क्षेत्र की ऊंचाई समुद्र तल से 300 मी से कम है, जो एक समतल मैदानी प्रदेश के रूप में स्थित हैं। इसमें उच्चावच निम्न है। इस मैदानी प्रदेश को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) छत्तीसगढ़ का मैदान-
यह क्षेत्र भारत का धान का कटोरा कहलाता है। जो राज्य के मध्य भाग में स्थित है। यह क्षेत्र बघेलखण्ड पठार और सतपुड़ा के बीच मे स्थित है। यह प्रदेश राज्य के मध्य में लगभग 26680 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है। यह क्षेत्र एक संरचनात्मक एंव अपरदनात्मक मैदानी भू भाग है। इस मैदान को 2 उपप्रदेशों एवं 6 सूक्ष्म प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है।
(i) दुर्ग और रायपुर का मैदान-
यह भाग छत्तीसगढ़ मैदान के दक्षिणी क्षेत्र में अवस्थित है। जो शिवनाथ और महानदी अपवाह बेसिन के अन्तर्गत आता है। इस भू भाग का ढाल उत्तर की ओर है। इस मैदानी भाग में रायपुर, दुर्ग, भिलाई आदि महत्वपूर्ण औद्योगिक और व्यापारिक नगर बसें हुऐ हैं। भौगोलिक स्थिति के आधार पर इस मैदान को तीन उपविभागों में विभाजित किया गया है-
(क) ट्रांस महानदी मैदान-
यह मैदानी भाग महानदी के पश्चिम में स्थित है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत राजिम, रायपुर का दक्षिणी भाग एवं धमतरी तहसील का उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र आता है।
(ख) महानदी-शिवनाथ दोआब-
यह दोआब छत्तीसगढ़ मैदान का मध्यवर्ती भू भाग है। जिसकी औसत ऊंचाई 250 मीटर है। इस क्षेत्र के मध्य से होकर खारुन नदी बहती है।
(ग) ट्रांस शिवनाथ मैदान-
यह मैदान एक समरूप भू भाग है जो समुद्रतल से औसतन 300 मीटर ऊँचा है। इस भू भाग का विस्तार शिवनाथ नदी के पश्चिम में पूर्वी राजनांदगाँव और पश्चिमी दुर्ग जिले में 4500 वर्ग किमी भू क्षेत्र में विस्तृत है।
(ii) बिलासपुर-रायगढ़ मैदान
यह भू भाग छत्तीसगढ़ मैदान के उत्तर में 11200 वर्ग किमी क्षेत्र में है। इसकी दक्षिणी सीमा शिवनाथ एवं महानदी बनाती है। इस क्षेत्र का उत्तरी भू भाग उच्च भूमि से घिरा है। इस क्षेत्र का औसत ऊँचाई 280 मीटर है। इसकी ऊंचाई दक्षिण की ओर कम होती गई है। इस मैदानी भू भाग का ढाल मंद और दक्षिण दिशा की ओर है। इस भू भाग से होकर अरपा, हसदो, केलो, आगर एवं मनियारी नदियाँ प्रवाहित होती हैं।
(iii) बस्तर का मैदान-
यह मैदान राज्य के दक्षिणी सीमांत प्रदेश में स्थित है। जो गोदावरी तथा उसकी सहायक नदियों के अवसाद से बना है। यह मैदान उत्तर की ओर दक्षिणी तथा उत्तर- पूर्वी पठार तक फैला है। यह भाग कोंटा तथा बीजापुर तक विस्तृत है। इस क्षेत्र की ऊंचाई 200 मीटर तथा चौड़ाई लगभग 25 किमी है। इस भू भाग का निर्माण ग्रेनाइट एवं नीस शैलों के अपरदन से हुआ है।
महानदी के तटीय भाग को महानदी बेसिन या छग का मैदान कहते हैं। इस क्षेत्र में भूस्थलाकृतियां विद्यमान है।
- पेण्ड्रा लोरमी का पठार
- विस्तार – बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा
- प्रमुख चोटी – पलमा चोटी- बिलासपुर (1080 मी) एवं इस लाफागढ़-कोरबा (1048 मी.) है।
- मैकल श्रेणी –
- विस्तार – राजनांदगाँव, कवर्धा, लोरमी एवं पेण्ड्रा तक।
- ढाल – पश्चिम से पूर्व की ओर
- ऊँची चोटी बदरगढ़ की चोटी (1176 मी), कबीरधाम जिले में स्थित है।
- स्थिति – राज्य के पश्चिम दिशा में है।
- भाग – सतपुड़ा पर्वत का
- प्रभाव – यह मैकल श्रेणी के कारण कबीरधाम जिला वृष्टिछाया क्षेत्र में आता है।
- जल विभाजक – शिवनाथ व वेनगंगा के मध्य यह श्रेणी ऊपरी महानदी बेसिन को ऊपरी नर्मदा से अलग करती है।
- वन – मुख्यतः सालवन के वन है।
- बिलासपुर रायगढ़ मैदान :-
- विस्तार – बिलासपुर, जांजगीर चांपा, रायगढ़।
- ऊँची चोटी – दलहा पहाड़ (760 मी.) (अकलतरा, जांजगीर-चांपा)
- सिहावा पर्वत – धमतरी –
- प्राचीन नाम – सुक्तिमती (महानदी का उद्गम स्थल, फरसिया नामक स्थल से)
- आश्रम – सप्तशृंगी ऋषि का
- छाता पहाड़ – बलौदाबाजार में है
- दुर्ग – सीमान्त उच्च भूमि
- विस्तार – डौंडीलोहारा (बालोद), अम्बागढ़ चौकी (राजनांदगांव)
- पहाड – दल्लीराजहरा, डोंगरगढ़ की पहाड़ी।
- विशेष – दल्लीराजहरा की पहाड़ी का विस्तार बालोद व कांकेर जिले में है जो खरखरा व तांदुला नदी के मध्य शामिल है।
3. छत्तीसगढ़ के पाट प्रदेश की विशेषता
- विस्तार – जशुपर तथा बलरामपुर और सरगुजा के पाट प्रदेश भाग
- बनावट – दक्कन ट्रेप
- खनिज – बॉक्साइड
- क्रम – पूर्व से पश्चिम की ओर – जमीर पाट > जारंग पाट > जशपुर पाट > मैनपाट
- भाग – छोटा नागपुर के पठार है
- ढाल – दक्षिण – पूर्व की ओर है
- सरगुजा बेसिन की संरचना में गोंडवाना क्रम की चट्टानें अधिक है।
- पठारी क्षेत्र के समतल ऊपरी भाग को ”पाट” कहलाते हैं। यह प्रमुख पाट प्रदेश निम्न शामिल है –
- मैनपाट:-
- यह राज्य का सबसे ऊंचा भाग है।
- ऊचाई – 1152 मी
- माण्ड नदी का उद्गम स्थल (सरगुजा)
- सन् 1962 में तिब्बती शरणार्थियों (Tibetans inhabired) को बसाया गया था।
- टाइगर प्वाइट, इको प्वाइंट एवं मछली प्वाइंट आदि हिल स्टेशन एवं भू-कम्पित जलजली क्षेत्र स्थित है।
- सफेद मूसली की खेती होती है।
- जशपुर पाट :- जशपुर में स्थित है।
- यह राज्य का सबसे बड़ा व लम्बा पाट प्रदेश होता है।
- पंडरा पाट:- यह जशपुर में स्थित है जहां से ईब व कन्हार नदी का उद्गम होता है।
- जारंग पाट :– इस बलरामपुर (सबसे बड़ा बॉक्साइट का भंडारण क्षेत्र)
- सामरी पाट:- बलरामपुर में है।
- चोटी गौरलाटा (1225 मी.)
- छ.ग. की सबसे ऊँची चोटी
- आकृति – सीढ़ीनुमा
- जमीर पाटा :– बलरामपुर, (मिश्र का परिसर)
- पवन पाट:- बलरामपुर
छत्तीसगढ़ के जल विभाजक पर्वत –
1. केशकाल पर्वत – महानदी व इन्द्रावती के मध्य में है ।
2. मैकल पर्वत श्रेणी – शिवनाथ व वेनगंगा (महाराष्ट्र में बहती है।) के मध्य में स्थित है।
3. देवगढ़ की पहाड़ी – गोपद व रिहन्द के मध्य में है ।
4.छत्तीसगढ़ के पठार की विशेषता
- रावघाट की पहाड़ी
- विस्तार – कांकेर
- विशेष – लौह अयस्क क्षेत्र (भिलाई स्टील प्लांट)
- बस्तर का मैदान – बीजापुर एवं सुकमा में।
- बैलाडीला पहाड़ी– दंतेवाड़ा
- चोटी नंदीराज (1210 मी)
- विशेष – इस सर्वोच्च किस्म का लौह अयस्क मिलता है।
- यहां से लौह अयस्क को विशाखापट्टनम बंदरगाह से जापान इत्याद जगह भेजा जाता है।
- छत्तीसगढ़ में सबसे पुरातन शैलों से बना है।
- बस्तर का पठार
- बस्तर एवं सुकमा क्षेत्र में ।
- इसके अंतर्गत झीरमघाटी एवं दरभाघाटी आते हैं।
- अबूझमाड़ पहाड़ी
- विस्तार – नारायणपुर, बीजापुर है।
- सर्वोच्च किस्म के सागौन वनों से वनाच्छादित है।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक वर्षा होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी भी कहते हैं।
- केशकाल घाटी
- विस्तार – कोण्डागांव
- इसे हम बस्तर का प्रवेश द्वार कहते है। ( यह 12 मोड़ 5 किमी के अंतराल में है)
- इस केशकाल घाटी को छत्तीसगढ़ का जल विभाजक पर्वत कहा जाता है जिसके कारण महानदी अपवाह होता है।
- यह तंत्र उत्तर की ओर एवं इंद्रावती अपवाह तंत्र दक्षिण की ओर बहती जाती है।
- यहाँ तेलीन माता का मंदिर स्थित है।
- तेलीन घाटी – कोण्डागांव स्थित है।
- केशकाल घाट/तेलीन घाट – छत्तीसगढ़ बेसिन और बस्तर पठार के बीच सीमा बनाती है।
- गोदावरी नदी अपवाह व महानदी अपवाह।
- आरीडोंगरी
- भानुप्रतापपुर तहसील क्षेत्र (कांकेर जिले) में स्थित है।
- यह लौह अयस्क के लिए प्रसिद्ध माना जाता है।
- गाड़िया पहाड़ –
- कांकेर जिले में स्थित है।
- गढ़िया महोत्सव भी मनाया जाता है। (सितम्बर माह में)
- अलबका पहाड़ी
- स्थित – बीजापुर स्थित है।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्वत , पहाड़ियां मैदान एवं उच्चावच स्थल व क्षेत्र –
पहाड़ी प्रदेश
इस राज्य के चारों तरफ से घने वन तथा पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसकी सामान्य ऊंचाई 1000 से 3000 मीटर तक है। इस क्षेत्र में मैदानी क्षेत्र की अपेक्षा जनसंख्या का निवास बहुत कम है। भूगर्भिक संरचना में भिन्नता और नदियों के अपरदन क्रिया के फलस्वरूप उच्च भूमि अनेक श्रेणियों में विभक्त है। इसे चार भागों में बाटा जा सकता है
(i) मैकाल श्रेणी
यह श्रेणी छत्तीसगढ़ मैदान के पश्चिम एवं उत्तरी-पश्चिमी भाग में एक दीवार की तरह स्थित है। इसकी ऊंचाई मैदानी भाग से पश्चिम की ओर क्रमशः बढ़ती गई है। मैकाल श्रेणी बिलासपुर एवं राजनांदगांव जिले की सिमा तक विस्तृत है। यह नर्मदा और महानदी जैसी विशाल प्रवाह प्रणाली को विभाजित करती है। यह श्रेणी समुद्र तल से 450-1000 मीटर की ऊँचाई तक है। इसके मध्य कई ऊँचे-ऊंचे कगार हैं, जिसमें चिल्पी घाट, बृजपानी घाट आदि प्रमुख हैं।
(ii) छुरी उदयपुर की पहाड़ियाँ
ये पहाड़ियाँ यहाँ की नदियों द्वारा अत्यधिक विच्छेदित हैं और मांड नदी द्वारा एक दूसरे से अलग होती हैं। इन पहाड़ियों की ऊँचाई 600 से 1000 मीटर के मध्य है। छुरी की पहाड़ियाँ बिलासपुर जिले में हसदो नदी के पूर्वी भाग में स्थित है। उदयपुर की पहाड़ियाँ छुरी की पहाड़ियों के पूर्व में स्थिती है।
(iii) चांगभखार देवगढ़ पहाड़ियाँ
इनका विस्तार राज्य के उत्तरी भाग में है। इसमे जनकपुर, बैकुण्ठपुर, मनेन्द्रगढ़, सूरजपुर, अम्बिकापुर, कुसमी एवं रामानुजगंज, तहसीलें आती है। समुद्र तल से औसत ऊँचाई 600 से 1000 मीटर पायी जाती है। इस पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी देवगढ़ है, जो1027 मीटर ऊंची है। ये बलुआ पत्थर से निर्मित हैं।
(iv) अबुझमाड़ की पहाड़ियाँ
यह पहाड़ी दण्डकारण्य के पश्चिमी भाग में विस्तृत है जो नारायणपुर तहसील के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में है तथा अन्य क्षेत्र में बीजापुर तहसील में स्थित है।
पहाड़ियाँ /चोटी | Hights | Area |
धारी डोंगर (शिशुपाल) | 899 मीटर | महासमुंद |
पेण्ड्रा लोरमी | 800 मीटर | बिलासपुर |
दलहा पहाड़ | 760 मीटर | अकलतरा (जांजगीर-चांपा) |
डोंगरगढ़ की पहाड़ी | 704 मीटर | मैंकल श्रेणी (राजनांदगाँव) |
दल्लीराजहरा | 700 मीटर | बालोद |
छुरी मतिरिंगा उदयपुर की पहाड़ियाँ | कोरबा, सरगुजा एवं रायगढ़ | |
अबूझमाड़ की पहाड़ियाँ | 1076 मीटर | नारायणपुर |
रामगढ़ की पहाड़ियाँ | सरगुजा | |
कैमूर पर्वत | कोरिया |
चागभखार की पहाड़ी | कोरिया | |
गौरलाटा | 1225 मीटर | सामरीपाट (बलरामपुर) |
नन्दीराज | 1210 मीटर | बैलाडीला (दंतेवाड़ा) |
बदरगढ़ | 1176 मीटर | मैकल श्रेणी (कवर्धा) |
मैनपाट | 1152 मीटर | सरगुजा |
जशपुर पाट | जशपुर | |
पल्लागढ़ की चोटी | 1080 मीटर | पेंड्रा-लोरमी की पठार (बिलासपुर) |
लाफागढ़ चोटी | 1048 मीटर | पेंड्रा-लोरमी की पठार (कोरबा) |
जारंग पाट | 1045 मीटर | बलरामपुर |
देवगढ़ | 1033 मीटर | कोरिया |
सिहावा पर्वत (सुक्तिमति पर्वत) | धमतरी | |
आरी डोंगरी | भानुप्रतापपुर तहसील क्षेत्र में (कांकेर) | |
गाड़िया पहाड़ी | कांकेर | |
कुलहारी पहाड़ी | राजनाँदगाँव | |
मांझीडोंगरी | बस्तर | |
बड़े डोंगर | कोण्डागांव | |
छोटे डोंगर | नारायणपुर | |
अलबका की पहाड़ी | बीजापुर | |
सीता लेखनी की पहाड़ी | सूरजपुर | |
छाता पहाड़ी | बलौदाबाजार |