छत्तीसगढ़ करेंट अफेयर्स हिंदी में CGPSC 2024

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये समसामयिक घटनाक्रम, सामान्य जागरूकता का अभिन्न अंग रहा है। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिये सामान्य जागरूकता का ज्ञान आवश्यक होता है। CGPSC, CG VYAPAM, CG SI जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतियोगियों से छत्तीसगढ़ भारत और विश्व की समसामयिक घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में अद्यतन रहने की अपेक्षा की जाती है।

समसामयिक घटनाक्रम पढ़ना क्यों जरूरी है?

समसामयिक घटनाक्रम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की घटनाओं को संदर्भित करता है जो  CSE, BANK आदि जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से प्रासंगिक होता हैं । परीक्षा प्रारूप में बदलाव के साथ, समसामयिक घटनाक्रम से संबंधित प्रश्नों ने प्रतियोगियों के चयन में प्रमुख भूमिका निभाई है।

मोटे तौर पर, सामान्य जागरूकता से पूछे जाने वाले प्रश्नों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है,

  • परंपरागत सामान्य ज्ञान
  • समसामयिक सामान्य ज्ञान

परंपरागत सामान्य ज्ञान या स्थैतिक (Static) भाग UPSC पाठ्यक्रम या अन्य परीक्षाओं के पाठ्यक्रम के उस खंड से संबंधित है जिसमें कोई बदलाव नहीं होता है। उदाहरण के लिये -1857 का विद्रोह, भारत की भौतिक विशेषताएं आदि।

जबकि समसामयिक भाग समसामयिक घटनाक्रम से संबंधित है। समसामयिक घटनाक्रम की तैयारी करने के लिये सबसे अच्छा तरीका, दैनिक समाचार पत्र, प्रेस सूचना ब्यूरो (Press Information Bureau-PIB) और योजना पत्रिका जैसे विश्वसनीय स्रोतों का अनुसरण करना है।

IAS परीक्षा, सरकारी परीक्षा या किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिये समसामयिक घटनाक्रम की अच्छी समझ आवश्यक है। समसामयिक घटनाक्रम  इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और पारिस्थितिकी, राजनीति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि जैसे विषयों का विस्तार (span) करता है।

प्रतियोगियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहने वाले समसामयिक घटनाक्रम  से अद्यतन रहना चाहिए।

वास्तव में, हाल के रुझानों से पता चला है, कि समसामयिक घटनाक्रम के मामलों में पाठ्यक्रम के स्थैतिक (Static) और गत्यात्मक (Dynamic) भागों में महत्वपूर्ण समानता (ओवरलैप) है। पाठ्यक्रम के पारंपरिक रूप से स्थैतिक (Static) भागों में समसामयिक घटनाक्रम से अप्रत्याशित प्रश्नों के बनने की संभावना काफी अधिक है।

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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला प्रशासन की वेबसाइट को मिला राष्ट्रीय प्लेटिनम अवॉर्ड

  • विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में बिलासपुर के जिला कलेक्टर श्री सौरभ कुमार ने यह अवॉर्ड ग्रहण किया।
  • बिलासपुर जिला प्रशासन द्वारा किये गये नवाचार को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है।
  • भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जिला प्रशासन की वेबसाइट को राष्ट्रीय प्लैटिनम अवार्ड प्रदान किया गया।
  • बिलासपुर जिला प्रशासन की वेबसाइट को बेस्ट वेब एंड मोबाइल इनिशिएटिव कांम्पलांइथ विथ जीआइजीडब्ल्यू एंड एससीबिलिटी गाइडलाइन की श्रेणी के अंतर्गत यह पुरस्कार दिया गया है।
  • केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना डिजिटल इंडिया के क्रियान्वयन में बिलासपुर जिले की वेबसाइट ने नवाचार किया है।
  • एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) द्वारा तैयार वेबसाइट में केंद्र व राज्य शासन की योजनाओं की जानकारी अपलोड करने के साथ ही दिव्यांगों के लिए भी इसमें विशेष सुविधा दी गई है।
  • दृष्टिबाधित भी साफ्टवेयर के जरिए इस वेबसाइट में दी गई सूचनाओं को सुन सकते हैं।

आकांक्षी ज़िला के सूचकांकों में कांकेर ज़िला को मिला देश में आठवाँ स्थान

  • देश के 112 ज़िलों को आकांक्षी ज़िला घोषित किया गया है।
  • इन ज़िलों में संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों जैसे- स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, बुनियादी ढाँचा, वित्तीय समावेशन एवं कौशल उन्नयन सहित विभिन्न 49 सूचकांकों पर नीति आयोग द्वारा समीक्षा की जाती है एवं उपलब्धियों पर रैंकिंग दी जाती है, जिसमें कांकेर ज़िला ने आठवाँ स्थान प्राप्त किया है।
  • इसके साथ ही स्वास्थ्य एवं पोषण के सूचकांकों में कांकेर ज़िला ने छठवाँ रैंक प्राप्त किया है।
  • कांकेर ज़िला कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने ज़िले के सभी अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि शासन द्वारा संचालित सभी जन
    कल्याणकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन करते हुए ज़िलेवासियों को लाभान्वित किया जाए।

200 फुट की ऊँचाई पर धरमजयगढ़ क्षेत्र की पहाड़ी में मिला शैलचित्र

  • प्रो. डी.एस.मालिया के द्वारा जारी सघन गुफा खोज अभियान में ये शैलचित्र प्राप्त हुए। प्रो. मालिया ने कहा कि गुफा अन्वेषण अभियान अभी जारी है, अभियान पूर्ण होने पर विस्तृत जानकारी साझा किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि रायगढ़ ज़िले में अभी तक कबरा पहाड़, सिंघनपुर, ओंगना व उषाकोठी, बाँसाझार, बोतल्दा सहित कुछ अन्य स्थानों से शैलचित्र प्राप्त हुए हैं जो राज्य संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग द्वारा चिन्हांकित हैं।
  • प्रो. डी.एस. मालिया द्वारा 1994 से गुफा अन्वेषण अभियान चलाया जा रहा है और 16 अन्य स्थलो पर प्रागैतिहासिककालीन शैलचित्र की खोज की गई है जिसमें 2003 में शोखामुड़ा की पंचभया पहाड़ी श्रृंखला से प्राप्त वंदनखोह गुफा के शैलचित्र सबसे महत्त्वपूर्ण है जिसे राज्य संस्कृति विभाग के तत्त्कालीन उप संचालक डॉ. जी एल बादाम ने नवीन खोज करार दिया था।
  • राज्य सरकार के पुरातत्त्व संचालनालय के अधिकारियों के अनुसार राज्य में मध्याश्मीय काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक के शैलाश्रय मौजूद हैं, जो इतिहास और पुरातत्त्व के मानचित्रों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो चुके हैं।
  • राज्य में सर्वप्रथम चित्रित शैलाश्रयों की खोज सन् 1910 में अंग्रेज अनुसंधानकर्त्ता एंडरसन के द्वारा की गई थी। इसके बाद वर्ष 1918 में इंडिया पेंटिंग्स में और इनसाईक्लोपीड़िया ब्रिटेनिका के तेरहवें अंक में रायगढ़ ज़िले के सिंघनपुर की पहाड़ियों के शैल चित्रों का प्रकाशन हुआ।
  • भारतीय इतिहासकार अमरनाथ दत्त ने सन् 1923 से 1927 के बीच रायगढ़ ज़िले में व्यापक सर्वेक्षण कर और भी अनेक शैल चित्रों का पता लगाया। उनके बाद डॉ. एन. घोष, डी.एच. गार्डन और पंडित लोचन प्रसाद पांडेय ने भी इस दिशा में अध्ययन और अनुसंधान के महत्त्वपूर्ण कार्य किये।
  • रायगढ़ ज़िले में सिंघनपुर के शैल चित्र ज़िला मुख्यालय रायगढ़ से पश्चिम दिशा में लगभग 20 किमी. ऊँची पहाड़ी पर निर्मित हैं। इनकी गिनती दुनिया के सर्वाधिक पुराने शैल चित्रों में होती है। ये शैल चित्र अब लगभग धुंधले हो चले हैं। इनमें सीढ़ीनुमा पुरूषाकृति, मत्स्य-कन्या और पशु आकृतियों सहित शिकार के दृश्य भी अंकित हैं।
  • सिंघनपुर के अलावा ज़िला मुख्यालय रायगढ़ से केवल आठ किमी. पूर्व में स्थित कबरा पहाड़ पर निर्मित चित्र गैरिक रंग के हैं। इनमें जंगली भैंसा, कछुआ और पुरूष आकृतियों के साथ ज्यामितिक अलंकरण विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
  • आदि मानवों के शैल चित्रों की दृष्टि से रायगढ़ ज़िला काफी समृद्ध है। सिंघनपुर के शैलाश्रयों से दक्षिण पश्चिम में लगभग 17 किमी. की दूरी पर ग्राम बसनाझर (तहसील खरसिया) की पहाड़ियों में तो आदि मानवों द्वारा तीन सौ से अधिक चित्र अंकित किये गए हैं। जिनमें हाथी, गेंडा, जंगली भैंसा, सामूहिक नृत्य और शिकार आदि के दृश्य अंकित हैं।
  • तहसील मुख्यालय खरसिया से केवल आठ किमी. ग्राम बोतल्दा के नज़दीक स्थित पहाड़ियों में करीब दो हज़ार फीट की ऊँचाई पर सिंह गुफा स्थित है, जिसकी दीवारों पर पशुओं के शिकार दृश्य और ज्यामितीय अलंकरण हज़ारों वर्ष पहले के मानव जीवन की हलचल का संकेत देते हैं।
  • तहसील मुख्यालय खरसिया से बारह किमी. पर सूती घाट के नज़दीक ग्राम पतरापाली के पास की पहाड़ियों में भंवरखोल नामक प्रसिद्ध शैलाश्रय है, जिसकी दीवारों पर मत्स्य-कन्या, जंगली भैंसा, भालू, मानव हथेली और भारतीय संस्कृति के शुभंकर ‘स्वास्तिक’ चिन्ह भी अंकित हैं। ज़िला मुख्यालय से लगभग 72 किमी. पर उत्तर दिशा में धरमजयगढ़ के नजदीक ओंगना पहाड़ पर इस प्रकार के एक सौ से अधिक शैलचित्र देखे जा सकते हैं। इसमें बैलों के समूह और यहाँ तक कि दस सिरों वाली मानव आकृति भी शामिल हैं।
  • इतना ही नहीं बल्कि ज़िला मुख्यालय से ही तीस किमी. पर कर्मागढ़ की पहाड़ियों में तो सवा तीन सौ से भी ज्यादा चित्रांकन हज़ारों वर्ष पहले किये गए हैं। इनमें ज्यामिती आकृति सहित अन्य कई आकार प्रकार के चित्र उल्लेखनीय हैं।
  • रायगढ़ से ही बारह किमी. पर टीपा खोल जलाशय के नजदीक खैरपुर की पहाड़ी में पशु-पक्षियों की आकृति वाले शैल चित्र भी दर्शकों के लिये कौतुहल का केंद्र हैं। खरसिया से दो किमी. पर ग्राम सोनबरसा की पहाड़ी में अमर गुफा, ज़िला मुख्यालय रायगढ़ से 32 किमी. पर ग्राम भैंसगढ़ी, बिलासपुर-रायगढ़ मार्ग पर सूती घाट तथा ज़िले के ही तहसील मुख्यालय सारंगढ़ के नज़दीक ग्राम गाताडीह और सिरौली डांगरी की पहाड़ियों में बने शैलाश्रय और शैल चित्र भी पुरातत्त्वविदों के लिये अनुसंधान का विषय बने हुए हैं।

केंद्रीय पुल में सबसे ज़्यादा धान देनेवाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य बना छत्तीसगढ़

  • भारत सरकार द्वारा 15 जनवरी को जारी रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ केंद्रीय पुल में 92 लाख मीट्रिक टन धान का योगदान
    दे चुका था।
  • इस सीजन में सर्वाधिक धान जमा कराने वाला वह दूसरा प्रदेश बन चुका है।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों के चलते खेती-किसानी और किसानों के जीवन में सुखद बदलाव आया
    है।
  • राज्य में फसल उत्पादकता एवं फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित ‘राजीव गांधी किसान न्याय
    योजना’ के अलावा ‘गोधन न्याय योजना’, ‘सुराजी गाँव योजना’, किसानों की कर्ज माफी, सिंचाई कर माफी से राज्य के किसानों को एक
    नई ताकत मिली है, जिसके चलते राज्य में किसानों की संख्या और खेती के रकबे में लगातार वृद्धि हो रही है।
  • उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी योजनाओं से इन चार वर्षों में लगातार किसानों की पंजीयन संख्या में वृद्धि हुई है।
    इस वर्ष 24.96 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है, इनमें 2.30 लाख नए किसान हैं।
  • किसानों को धान विक्रय में सहूलियत हो, इस लिहाज से इस साल राज्य में 135 नए उपार्जन केंद्र शुरू किये गए, जिसके कारण कुल उपार्जन केंद्रों की संख्या 2617 हो गई है।

रायपुर के आदित्य प्रताप को इनोवेशन के लिए राष्ट्रपति ने बाल शक्ति पुरस्कार से किया सम्मानित

  • आदित्य ने माइक्रोमा नामक उपकरण तैयार किया है जो पानी से बैक्टीरिया, माइक्रो कास्टिक डिटेक्ट और फिल्टर कर सकता है.
  • इस पुरस्कार में एक लाख रुपए का चैक, मेडल, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर युक्त सर्टिफिकेट और स्मृति चिन्ह दिया गया.
  • यह पुरस्कार, वीरता पुरस्कारों के अतिरिक्त कला, विज्ञान, सामाजिक कार्य जैसे विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को दिया जाता है.

भूपेश बघेल ने देश के पहले रुरल इंडस्ट्रियल पार्क का किया लोकार्पण

26 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर बस्तर ज़िले के तुरेनार में देश के पहले रुरल इंडस्ट्रियल पार्क (RIPA) का लोकार्पण किया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने ‘रीपा’परिसर में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम और किसान मेला में बताया कि प्रदेश भर में इस तरह के 300 रुरल इंडस्ट्रियल पार्क बनाए जा रहे हैं। रोज़गार के मौके बढ़ाने के लिये हर विकासखंड में दो-दो ‘रीपा’तैयार किये जा रहे हैं।
  • ग्रामीणों के स्वरोज़गार के लिये यहाँ पाँच एकड़ में 20 वर्क़िंग शेड्स बनाए गए हैं। वर्क़िंग शेड्स के साथ ही यहाँ प्रशिक्षण केंद्र और आवासीय प्रशिक्षण के लिये प्रशिक्षुओं हेतु आवासीय परिसर भी बनाया गया है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को काम के लिये बाहर जाना न पड़े, इसके लिये सरकार स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर बढ़ा रही है। रुरल इंडस्ट्रियल पार्क गाँवों में स्वरोज़गार के लिये जरूरी संसाधन मुहैया कराएगा। ‘रीपा’से गाँव स्वावलंबी बनेंगे, ग्रामीण आर्थिक रूप से सशक्त होंगे और महिलाएँ भी आत्मनिर्भर होंगी।
  • राज्य शासन के सहयोग से विभिन्न समूहों द्वारा तुरेनार ‘रीपा’में मशरूम स्पॉन लैब एवं आएस्टर मशरूम उत्पादन, बटन मशरूम एवं आएस्टर मशरूम उत्पादन, काजू प्रसंस्करण, कोदो, कुटकी, रागी, मसाला, तिखुर प्रसंस्करण एवं अचार निर्माण, सुगंधित चावल एवं दाल उत्पादन, ईमली केंडी व चपाती निर्माण, चिरोंजी प्रसंस्करण, रेशम धागाकरण, मुर्गी पालन, अंडा उत्पादन, तेल पेराई, नॉन वुवेन बैग, पेपर बैग, दोना, पत्तल, प्राकृतिक गोबर पेंट, सूती वस्त्र, मछली दाना एवं मुर्गी दाना निर्माण के साथ ही बेकरी इकाई संचालित की जा रही है।

छत्तीसगढ़ की तीन विभूतियाँ सुश्री उषा बारले, डोमार सिंह कुँवर और अजय कुमार मंडावी पद्म श्री सम्मान के लिये चयनित

25 जनवरी, 2023 को राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वर्ष 2023 के लिये देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों ‘पद्म पुरस्कारों’की घोषणा की। इनमें छत्तीसगढ़ की तीन विभूतियों को पद्म श्री अवार्ड के लिये चुना गया है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2023 के लिये राष्ट्रपति ने तीन द्वय मामलों (एक द्वय मामले में, पुरस्कार को एक के रूप में गिना जाता है) सहित 106 पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी दी है।
  • सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार पाने वालों की सूची में 19 महिलाएँ हैं और विदेशियों/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई की श्रेणी के 2 व्यक्ति और 7 मरणोपरांत पुरस्कार पाने वाले भी शामिल हैं।
  • दुर्ग ज़िले की सुश्री उषा बारले को पंडवानी गायन के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इन्होंने प्रख्यात पंडवानी गायिका पद्म विभूषण तीजनबाई से पंडवानी का प्रशिक्षण लिया है। बारले न केवल भारत बल्कि लंदन और न्यूयार्क जैसे शहरों में भी पंडवानी की प्रस्तुति दे चुकी हैं।
  • बालोद ज़िले के ग्राम लाटा बोड़ के निवासी नृत्य कला के साधक एवं मशहूर कलाकार डोमार सिंह कुँवर को छत्तीसगढ़ की विलुप्त होती नाचा कला को देश से लेकर विदेशों तक ख्याति दिलाने के लिये पद्म श्री हेतु चयन किया गया है। इन्होंने इस कला का 5 हज़ार से भी ज्यादा बार मंचन किया है।
  • कांकेर ज़िले के ग्राम गोविंदपुर के रहने वाले अजय कुमार मंडावी ने काष्ठ शिल्प कला में गोंड ट्राईबल कला का समागम किया है। उन्होंने नक्सली क्षेत्र के प्रभावित और भटके हुए लोगों को काष्ठ शिल्प कला से जोड़ते हुए क्षेत्र के 350 से ज्यादा लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ-साथ लकड़ी की अद्भुत कला से युवाओं को जोड़ा है। युवाओं के हाथ से बंदूक छुड़ाकर छेनी उठाने के लिये प्रेरित करने जैसे कार्यों के लिये मंडावी को पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में पद्म पुरस्कार शामिल है। पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री के रूप में प्रदान किये जाते हैं। प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरस्कारों की घोषणा की जाती है।
  • ये पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य व शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि जैसे विभिन्न विषयों/गतिविधियों के क्षेत्रों में दिये जाते हैं।
  • असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्म विभूषण’, उच्च स्तर की विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्म भूषण’और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्म श्री’से सम्मानित किया जाता है।
  • ये पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक समारोहों में प्रदान किये जाते हैं जो आमतौर पर हर साल मार्च/अप्रैल के आसपास राष्ट्रपति भवन में आयोजित किये जाते हैं।

निकलर एप द्वारा पढ़ाई कराने के लिये छत्तीसगढ़ को प्रतिष्ठित उत्कृष्टता पुरस्कार

  • सी.एस.आई. ने छत्तीगसढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग को प्रतिष्ठित उत्कृष्टता पुरस्कार से नवाज़ा है।
  • छत्तीसगढ़ को यह अवार्ड 25 मार्च को नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले ई-गवर्नेस  कार्यक्रम में प्रदान किया।
  • छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग को परियोजना श्रेणी के तहत् 20वें सीएसआई एसआईजी ई-गवर्नेस अवार्ड 2022 के लिए प्रस्तुत ‘इनेवेेटिव असेसमेंट टूल-एनआईसीलर’ (पीआरजे 22008) का नामांकन उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए चुना गया है।
  • 6 मार्च, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में ‘निकलर ऐप’ द्वारा पढ़ाई कराने के लिये स्कूल
    शिक्षा विभाग को एमबिलियंथ पुरस्कार से नवाजा गया।

शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा को लाइव्स रियल हीरोज ऑफ इंडिया अवार्ड से नवाज़ा गया

कोरिया ज़िले की शासकीय प्राथमिक शाला सकड़ा के सहायक शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा को शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट प्रदर्शन के लिये 4 फरवरी को नई दिल्ली में ‘आस एक प्रयास’ट्रस्ट द्वारा लाइव्स रियल हीरोज ऑफ इंडिया अवार्ड 2023 से नवाज़ा गया।

प्रमुख बिंदु

  • सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद और आचार्य प्रद्युम्न (योग गुरु बाबा रामदेव के गुरु) ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।
  • ‘आस एक प्रयास’ संस्था द्वारा हर वर्ष देशभर से विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मानवता एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित एवं विशिष्ट लोगों को सम्मानित किया जाता है।
  • ‘नीली छतरी वाले गुरुजी’ के नाम से विख्यात शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा ने कोरोना काल में बच्चों को सुरक्षित रखते हुए पढ़ाई से जोड़े रखा। उनकी कहानी सभी को प्रेरणा देती है कि जीवन को कैसे महान बनाया जा सकता है।
  • कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के दौरान उन्होंने सोचा कि बच्चे स्कूल नहीं जा सकते तो क्यों न स्कूल को ही बच्चों तक ले जाया जा सके। तब उन्होंने अपनी मोटर साइकिल पर घंटी, ग्रीन बोर्ड, छोटा सा पुस्तकालय और नीली छतरी सजाकर गाँव के एक मोहल्ले में बच्चों को बिना एक दूसरे से संपर्क बनाए पढ़ाना शुरू किया तब से इनका नाम ‘नीली छतरी वाले गुरुजी’ भी पड़ा।
  • कोरोना काल में बच्चों को सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से जोड़े रखने की यह सुरक्षित तरीका प्रधानमंत्री को भी भाया। उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इसका जिक्र भी किया। शिक्षक रुद्रप्रताप सिंह राणा ने अपने मित्रों के साथ मिलकर पहुंच विहीन और नेटवर्क रहित क्षेत्रों के लिये सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ में ‘मोहल्ला क्लास’ का कॉन्सेप्ट दिया, जो आगे चलकर देशभर में काफी चर्चित और लोकप्रिय हुआ।

छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल बने बिस्वा भूषण हरिचंदन

12 फरवरी, 2022 को केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया है। वह प्रदेश की वर्तमान राज्यपाल अनुसुइया उइके का स्थान लेंगे। 23 फरवरी, 2023 को विश्वभूषण हरिचंदन ने राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित समारोह में छत्तीसगढ़ के नौवें राज्यपाल के रूप में अपने पद की शपथ ली। उच्च न्यायालय, बिलासपुर के मुख्य न्यायधिपति न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी ने उन्हें शपथ दिलाई

प्रमुख बिंदु 

  • गौरतलब है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के उपराज्यपाल राधा कृष्णन माथुर के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है और 13 राज्यपाल और उपराज्यपालों की नियुक्ति की है।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके को मणिपुर की राज्यपाल नियुक्त किया है और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया है।
  • विदित है कि 84 वर्षीय बिस्वा भूषण हरिचंदन ओडिशा के भुवनेश्वर और चिल्का विधानसभा से 5 बार विधायक रह चुके हैं।
  • बिस्वा भूषण हरिचंदन ने 1971 में जनसंघ के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था, जिसके बाद 1977 में जनता पार्टी गठित होने तक वे जनसंघ के आंध्र प्रदेश के महासचिव रहे। इसके साथ ही हरिचंदन जनसंघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य भी रहे।
  • 1980 से 1988 तक वे बीजेपी की प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 2004 में आंध्र प्रदेश की बीजेपी और बीजेडी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर भी काम किया।

प्रदेश का पहला एथेनॉल प्लांट कोंडागाँव के कोकोड़ी में

कोंडागाँव ज़िले के कोकोड़ी में मक्का प्रसंस्करण पर आधारित राज्य का पहला एथेनाल प्लांट अब मूर्त रूप ले रहा है। मक्का प्रसंस्करण प्लांट जून 2023 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • जानकारी के अनुसार कोंडागाँव ज़िले में 140 करोड़ रुपए लागत से राज्य सरकार के सहयोग से सहकारिता के क्षेत्र में यह पहला प्लांट स्थापित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में कोंडागाँव ज़िले में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन होता है।
  • यह प्लांट कोंडागाँव में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये फायदेमंद साबित होगा। ग्राम कोकोड़ी में 14 एकड़ शासकीय भूमि पर तैयार हो रहे मक्का प्रोसेसिंग प्लांट का संचालन माँ दंतेश्वरी मक्का प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी समिति द्वारा किया जाएगा।
  • प्लांट में प्रतिदिन 200 मीट्रिक टन मक्का की प्रोसेसिंग होगी, जिससे 80 हज़ार लीटर एथेनॉल तैयार होगा। इस प्लांट के लग जाने से निजी निवेशकों द्वारा अन्य सहायक उद्योग लगाने के लिये नया वातावरण बनेगा।
  • प्लांट में उत्पादित होने वाला एथेनॉल का विक्रय इंडियन ऑयल कार्पोरेशन को किया जाएगा, जिसे पेट्रोल के साथ मिक्स कर बेचा जाएगा। इससे विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी साथ ही किसानों को मक्का का वाजिब दाम भी मिलेगा।
  • मक्का प्रसंस्करण प्लांट ज़िले के मक्का उत्पादक किसानों की आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगा। इससे करीब 45 हज़ार से ज्यादा किसान सीधे लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही समीपस्थ अन्य ज़िले के मक्का उत्पादक किसानों के मक्का का प्रसंस्करण किया जाएगा। मक्का प्रसंस्करण प्लांट में क्षेत्र के लगभग 200 से ज्यादा लोगों को सीधे रोज़गार मिलेगा।
  • कोंडागाँव ज़िले में बीते तीन-चार सालों में खरीफ और रबी दोनों सीजन में मक्का उत्पादन को काफी बढ़ावा मिला है। प्लांट की स्थापना से उत्साहित किसान मक्का का रकबा साल दर साल बढ़ा रहे है। वर्तमान में कोंडागाँव ज़िले में प्रति वर्ष 3 लाख 48 हज़ार 127 मेट्रिक टन मक्का का उत्पादन होता है।
  • स्टेट प्रोजेक्ट फाईनेंस कमेटी द्वारा मक्का से एथेनॉल निर्माण के लिये प्रोसेसिंग प्लांट को फिजीबल पाया गया था। लगभग 140 करोड़ की लागत से बन रहे इस प्लांट के निर्माण में किसानों ने 7.06 करोड़ रुपए की अंश पूंजी का योगदान दिया है। इसी प्रकार मंडी बोर्ड द्वारा 21.19 करोड़ रुपए और राज्य शासन द्वारा 35.32 करोड़ रुपए तथा सहकारी संस्था के स्वयं की निधि से 2.10 करोड़ रुपए दिये हैं। शेष 75 करोड़ रुपए बैंक ऋण के माध्यम से जुटाए गए हैं।
  • कोंडागाँव ज़िले में समर्थन मूल्य पर मक्का उपार्जन के लिये 47 खरीदी केद्र बनाए गए हैं। ज़िले के कोंडागाँव माकड़ी, फरसगाँव, बड़ेराजपुर विकासखंड में मक्के का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। मक्का खरीदी का कार्य छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा किया जा रहा है।
  • मक्का उत्पादक किसानों को राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 9 हज़ार रुपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है।
  • कोंडागाँव ज़िले में खरीफ सीजन में एक लाख 24 हज़ार 188 तथा रबी सीजन में 2 लाख 23 हज़ार 929 टन मक्का का उत्पादन होता है। मक्का उत्पादन से ज़िले के लगभग 65 हज़ार किसान जुड़े हुए हैं।

डॉ. ममता चंद्राकर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित

23 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोक गायिका, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति डॉ. मोक्षदा (ममता) चंद्राकर को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित से किया।

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में साल 2019, 2020 और 2021 के लिये संगीत नाटक अकादमी की फैलोशिप (अकादमी रत्न) और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) प्रदान किये।
  • विदित है कि संगीत नाटक अकादमी, राष्ट्रीय संगीत, नृत्य और नाटक अकादमी, नई दिल्ली की सामान्य परिषद ने गत 6-8 नवंबर 2022 को नई दिल्ली में हुई अपनी बैठक में सर्वसम्मति से प्रदर्शन कला के क्षेत्र में दस (10) प्रतिष्ठित विभूतियों को अकादमी अध्येता (फेलो) के रूप में चुना है।
  • अकादमी की फैलोशिप एक सबसे प्रतिष्ठित और दुर्लभ सम्मान है, जो किसी भी समय 40 तक सीमित है। इन दस (10) अध्येताओं के चयन के साथ ही वर्तमान में संगीत नाटक अकादमी के अब 39 अध्येता हो गए हैं।
  • सामान्य परिषद ने वर्ष 2019, 2020 और 2021 हेतु अकादमी पुरस्कार के अंतर्गत संगीत नाटक के लिये संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच, कठपुतली कला और प्रदर्शन कला में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति के लिये के क्षेत्र से एक सौ अट्ठाईस (128) कलाकारों का चयन किया था। इन एक सौ अट्ठाईस (128) कलाकारों में तीन संयुक्त पुरस्कार शामिल हैं।
  • देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली ममता चंद्राकर खैरागढ़ को 2019 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ममता चंद्राकर को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। वे 2016 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्मश्री से और 2013 छत्तीसगढ़ रत्न में अलंकृत की गईं।
  • संगीत नाटक अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के लिये भारत की राष्ट्रीय अकादमी है। 1952 में (तत्कालीन) शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा डॉ. पी.वी. राजमन्नार को इसके पहले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।
  • यह वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत्त निकाय है और इसकी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित है।

  • अकादमी प्रदर्शन कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों और परियोजनाओं की स्थापना करती है। कुछ महत्त्वपूर्ण संस्थान हैं:
    • राष्ट्रीय  नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली 1959 में।
    • जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य अकादमी, इम्फाल- 1954 में।
    • कथक केंद्र (राष्ट्रीय कथक नृत्य संस्थान), नई दिल्ली- 1964 में।
    • कुटियाटेम (केरल का संस्कृत थिएटर), पूर्वी भारत के छऊ नृत्य, असम की सत्रिया परंपरा आदि के समर्थन की राष्ट्रीय परियोजनाएँ।
  • संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप (अकादमी रत्न):
    • संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप राष्ट्रीयता, नस्ल, जाति, धर्म, पंथ या लिंग के भेद के बिना संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
    • अकादमी की फैलोशिप सबसे प्रतिष्ठित एवं दुर्लभ सम्मान है, जो एक बार में अधिकतम 40 लोगों को दी जा सकती है।
    • अकादमी फेलो के सम्मान में एक ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम के साथ 3,00,000/- रुपए का नकद पुरस्कार शामिल होता है।
  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) :
    • संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/थिएटर, कठपुतली और प्रदर्शन कला आदि में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति के क्षेत्र के कलाकारों को पुरस्कार दिये जाते हैं।
    • अकादमी पुरस्कार में ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम के साथ 1,00,000/- रुपए का नकद पुरस्कार शामिल होता है।

संत कवि पवन दीवान के नाम से राज्य अलंकरण पुरस्कार


ग्राम सोंड्रा में मिली पांडुवंशी काल की बुद्ध प्रतिमा

रायपुर-बिलासपुर मार्ग में स्थित ग्राम सोंड्रा में गृह निर्माण के लिये किये जा रहे उत्खनन कार्य के दौरान पांडुवंशी काल की प्राचीन बुद्ध प्रतिमा सहित अन्य पुरातात्त्विक प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि ग्राम सोंड्रा में दिलेंद्र बंछोर द्वारा व्यक्तिगत आवास परिसर में गृह निर्माण हेतु किये जाने वाले उत्खनन कार्य के दौरान भूमि की सतह से लगभग 3 फीट की गहराई से बुद्ध की प्रतिमा प्राप्त हुई है।
  • इस संबंध में जानकारी मिलते ही पुरातत्त्व विभाग की टीम (डॉ. पी.सी. पारख, डॉ. वृषोत्तम साहू तथा डॉ. राजीव मिंज) के द्वारा स्थल निरीक्षण किया गया।
  • पुरातत्त्व एवं अभिलेखागार विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रायपुर से बिलासपुर मुख्य मार्ग में 16 किमी. की दूरी पर सांकरा से 2 किमी. पश्चिम दिशा में ग्राम सोंड्रा स्थित है। उक्त स्थल से खारुन नदी लगभग 3 किमी. पश्चिम दिशा पर स्थित है। प्रतिमा प्राप्ति स्थल ग्राम के सबसे ऊंचाई वाले भाग पर स्थित है और यहाँ प्राचीन टीला होने के साक्ष्य दिखाई देते हैं।
  • अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय बलुआ पत्थर में निर्मित इस प्रतिमा की चौड़ाई 74X ऊँचाई 87X मोटाई 40 सेंटीमीटर है।
  • बुद्ध की इस विशाल प्रस्तर प्रतिमा के माथे पर ऊर्णा (तिलक चिह्न) का अंकन इसे अनोखा रूप प्रदान करती है और इस आधार पर इसके ध्यानी बुद्ध होने की संभावना अधिक प्रतीत होती है। बुद्ध की यह आवक्ष प्रतिमा अपूर्ण है, जिस पर छेनी के चिह्न साफ दिखाई दे रहे हैं।
  • त्रि-स्तरीय निर्माण तकनीक में बनी बुद्ध प्रतिमा का यह ऊपरी भाग है। इस तकनीक का प्रयोग बलुआ पत्थर की विशाल प्रतिमाओं के निर्माण हेतु किया जाता था, जिसमें किसी प्रतिमा को तीन प्रस्तर खंडों में योजना के अनुरूप स्तरों में निर्मित कर लंबवत स्थापित किया जाता था। इस तकनीक की बनी बुद्ध प्रतिमा के उदाहरण छत्तीसगढ़ के सिरपुर व राजिम और बिहार के बोधगया में देखे जा सकते हैं।
  • अधिकारियों ने बताया कि स्थल निरीक्षण करने पर यहाँ अन्य प्रतिमाओं के होने की भी जानकारी प्राप्त हुई है, जो कि निकट ही में स्थित मंदिर में तथा मंदिर के बगल में बने चबूतरे पर स्थापित हैं।
  • प्रतिमाओं में भूमिस्पर्श मुद्रा में बुद्ध, उपासक, अज्ञात स्थानक प्रतिमा, योगिक ध्यानी मुद्रा में बुद्ध, ललितासन मुद्रा तारा, स्थानक बोधिसत्त्व के साथ ही 4 शिवलिंग, 4 खंडित पायदार सिलबट्टे, 1 प्रणाल युक्त प्रतिमा पीठ, कुछ खंडित प्रतिमाएँ व स्थापत्य खंड प्राप्त हुए हैं। उक्त स्थल का पुरावशेष पांडुवंशी काल का (6वीं से 9वीं शताब्दी ई.) प्रतीत हो रहा है।


नगरी दुबराज को मिला जीआई टैग

छत्तीसगढ़ के धमतरी विकास खंड के नगरी के धान की ‘नगरी दुबराज’किस्म को जीआई टैग देने के लिये अनुमोदन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • ‘नगरी दुबराज’छत्तीसगढ़ राज्य की दूसरी फसल है, जिसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री टैग, यानी जीआई टैग मिला है। इसके पहले जीरा फूल धान की किस्म के लिये प्रदेश को जीआई टैग मिल चुका है।
  • चेन्नई द्वारा गठित कमेटी में भारत के 10 विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा जाँचा और परखा गया तथा नगरी दुबराज की नगरी में उत्पत्ति होने का प्रमाण स्वीकार कर लिया गया है। जल्द ही इसका प्रमाण-पत्र भी मिल जाएगा।
  • ज्ञातव्य है कि अक्टूबर 2021 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने जीआई टैग के लिये नगरी दुबराज का प्रस्ताव भेजा था।
  • नगरी दुबराज को छत्तीसगढ़ में बासमती भी कहा जाता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक भोज कार्यक्रमों सुगंधित चावल के रूप में इस चावल का प्रयोग किया जाता है।
  • नगरी दुबराज की उत्पत्ति सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम क्षेत्र से मानी गई है। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी किया गया है। विभिन्न शोध पत्रों में भी दुबराज का स्रोत नगरी सिहावा को ही बताया गया है।
  • नगरी दुबराज से निकलने वाला चावल बहुत ही सुगंधित है। यह पूर्णरूप से देशी किस्म है और इसके दाने छोटे हैं। इसका चावल पकने के बाद खाने में बेहद नरम है। एक एकड़ में अधिकतम छह क्विंटल तक उपज मिलती है। धान की ऊँचाई कम और 125 दिन में पकने की अवधि है।
  • वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी आर्गनाइज़ेशन (विपो) के अनुसार  जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी खास फसल, प्राकृतिक या कृत्रिम उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। यह बौद्धिक संपदा का अधिकार माना जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद ने सन् 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स’लागू किया था। इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य, व्यक्ति या संगठन इत्यादि को दे दिया जाता है।

जस्टिस रमेश सिन्हा बने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के नए चीफ जस्टिस, राज्यपाल ने दिलाई शपथ

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने बुधवार को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली.राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. जस्टिस रमेश सिन्हा ने हिन्दी में शपथ ली
  • छत्तीसगढ़ के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी की सेवानिवृत्ति के बाद 10 मार्च को न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पांच सितंबर, 1964 को जन्मे मुख्य न्यायाधीश सिन्हा ने 1990 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक किया था।
  • उन्होंने 21 नवंबर, 2011 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी और बाद में उन्हें छह अगस्त, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

छत्तीसगढ़ का पहला छत्तीसगढ़ी डिजिटल रेडियो स्टेशन – रेडियो संगवारी

  • रेडियो संगवारी के माध्यम से छत्तीसगढ़ी लोक कला, लोक संस्कृति और गीत-संगीत को आम लोगों तक डिजिटल रेडिया स्टेशन के माध्यम से पहुंचाने के लिए रेडियो संगवारी की स्थापना की गई है
  • छत्तीसगढ़ की लुप्त हो रही सांस्कृतिक विधाओं और कला परंपराओं को नया जीवन देने के लिए यह प्लेटफार्म एक ताकतवर माध्यम हो सकता है। नये कलाकारों की प्रतिभाओं को भी इसके माध्यम से आसानी से दुनिया के सामने लाया जा सकता है। रेडियो की श्रोताओं की आज भी कमी नहीं है।
  • रेडियो संगवारी के संस्थापक श्री राहुल शर्मा तथा सह-संस्थापक डॉ. हेमंत सिरमौर ने बताया कि रेडियो संगवारी को टू-जी इंटरनेट स्पीड पर भी आराम से सुना जा सकता है।

केरल की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी होगी रबर की खेती

3 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ के रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय तथा रबर अनुसंधान संस्थान कोटेायम (केरल) के मध्य एक समझौता किया गया है, जिसके तहत रबर अनुसंधान संस्थान, कोट्टायम छत्तीसगढ़ में रबर की खेती की संभावनाएँ तलाशने के लिये कृषि अनुसंधान केंद्र बस्तर में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबर की प्रायोगिक खेती करेगा।

प्रमुख बिंदु 

  • समझौता ज्ञापन पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक (अनुसंधान) डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी तथा रबर रिसर्च इंस्टीट्यूट कोट्टायम की संचालक (अनुसंधान) डॉ. एम.डी. जेस्सी ने हस्ताक्षर किये।
  • इस समझौते के अनुसार रबर इंस्टीट्यूट कृषि अनुसंधान केंद्र बस्तर में एक हेक्टेयर रकबे में रबर की खेती हेतु सात वर्षों की अवधि के लिये पौध सामग्री, खाद-उर्वरक, दवाएँ तथा मज़दूरी पर होने वाला व्यय इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराएगा। वह रबर की खेती के लिये आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन तथा रबर निकालने की तकनीक भी उपलब्ध कराएगा।
  • पौध प्रबंधन का कार्य रबर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किया जाएगा।
  • इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि रबर एक अधिक लाभ देने वाली फसल है। भारत में केरल, तमिलनाडु आदि दक्षिणी राज्यों में रबर की खेती ने किसानों को संपन्न बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग नीति – 2022

राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों के माध्यम से ग्रामीणों को रोज़गार प्रदान कर उनकी आमदनी को बढ़ाने के उद्देश्य से ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग नीति-2022 लागू की गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • विदित है कि छत्तीसगढ़ में लागू नवीन औद्योगिक नीति, सिंगल विंडो सिस्टम, कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता के परिणमास्वरूप राज्य में औद्योगिक विकास को गति मिली है। इसी दिशा में राज्य सरकार द्वारा एक कदम और आगे बढ़ाते हुए ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग नीति-2022 लागू की गई है।
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर निर्मित छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति 2019-24 निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रही है। पिछले चार वर्षों में 2218 नवीन उद्योग स्थापित हुए जिनमें 21 हज़ार 457 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ है और 40 हज़ार से अधिक लोगों को रोज़गार प्राप्त हुआ है।
  • राज्य में ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देने के तहत 600 करोड़ रुपए की लागत से 300 रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क की स्थापना को स्वीकृति दी गई है। साथ ही 5 वर्षों के भीतर प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इस नीति में छोटे निवेशकों को सेवा क्षेत्र में उद्यम के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऐसे विकासखंडों जिनमें पारंपरिक रूप से ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग प्रचलित है, उन्हें उच्च प्राथमिकता विकासखंड के रूप में वर्गीकृत कर सामान्य से अधिक अनुदान प्रदान किये जा रहे हैं।
  • इस नीति के अंतर्गत अनुदान प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक नहीं कि इकाई ग्रामीण क्षेत्र में ही स्थापित हो। ग्रामीण क्षेत्रों की भाँति ही शहरी क्षेत्रों में अर्बन इंडस्ट्रीयल पार्क की स्थापना का कार्य भी किया जा रहा है।
  • राज्य की पारंपरिक कलाओं जैसे हैंडलूम वीविंग, मधुमक्खी पालन, लाख, जड़ी बुटी संग्रहण, बेल मेटल, ढोकरा शिल्प, बाँस शिल्प, गोबर एवं गौ मूत्र से बने उत्पाद, वनोपज से बने उत्पाद, अगरबत्ती, मोमबत्ती निर्माण, सिलाई, बुनाई इत्यादि को उच्च प्राथमिकता एवं प्राथमिकता निर्धारित कर विशेष प्रोत्साहन प्रदान किये जा रहे हैं।
  • इस नीति के तहत महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन दिये जाने का प्रावधान है। आईटीआई, पॉलिटेक्निक आदि में ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग के लिये उपयुक्त प्रौद्योगिकी तथा भविष्य के लिये उपयुक्त प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी।

राज्य महिला उद्यमिता नीति 2023-28

महिलाओं की कार्यकुशलता को एक नई पहचान देने और उन्हें उद्यम से जोड़ने के लिये राज्य महिला उद्यमिता नीति 2023-28 लागू की है। इस नीति के तहत महिलाओं को उद्योग स्थापित करने के लिये वित्तीय सहायता (ऋण) देने का प्रावधान किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस नीति से महिला कार्यबल में वृद्धि होने के साथ ही उद्योग एवं व्यापार में उनकी सहभागिता बढ़ेगी। तथा महिलाओं के द्वारा शुरू किये गए स्टार्टअप की संख्या में भी तेजी से इजाफा होगा।
  • राज्य महिला उद्यमिता नीति 2023-28 के तहत महिला उद्यमियों के लिये विनिर्माण उद्यम परियोजनाओं के लिये 50 लाख रुपए तक के ऋण, सेवा उद्यम परियोजनाओं के लिये 25 लाख रुपए तक के ऋण तथा व्यवसाय उद्यम परियोजनाओं के लिये 10 लाख रुपए तक के ऋण के लिये प्रावधान किया गया है।
  • नीति के तहत महिला उद्यमियों द्वारा प्रदेश में स्थापित नवीन, विस्तारीकरण, सूक्ष्म, लघु एवं मध्य विनिर्माण व सेवा उद्यमों को आर्थिक निवेश प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
  • उद्यम में किये गए स्थायी पूंजी निवेश का 30-55 प्रतिशत तक स्थायी पूंजी निवेश अनुदान, उद्यमों के लिये प्राप्त किये गए सावधि ऋण तथा परियोजना प्रतिवेदन में प्रावधानित कार्यशील पूंजी (अधिकतम तीन माह की आवश्यकता के बराबर) पर 45 से 70 प्रतिशत और अधिकतम राशि 15 से 60 लाख रुपए तक ब्याज अनुदान दिया जाएगा।
  • नए उद्यमों की स्थापना के लिये 50 प्रतिशत, अधिकतम 75 लाख रुपए तक मार्जिन मनी अनुदान, नेट राज्य वस्तु एवं सेवा कर (नेट एसजीएसटी) प्रतिपूर्ति वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने के दिनांक से 6 से 16 वर्षों तक, विद्युत शुल्क, स्टांप शुल्क, परिवहन अनुदान, मंडी शुल्क से छूट दी जाएगी।
  • महिला स्व-सहायता समूहों को अतिरिक्त आर्थिक निवेश प्रोत्साहन के रूप में अनुदानों में 5 प्रतिशत का अतिरिक्त अनुदान और छूट के मामलों में 1 वर्ष की अतिरिक्त समयावधि दी जाएगी।
  • महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्ट-अप उद्यमों को औद्योगिक नीति 2019-24 के अंर्तगत घोषित स्टार्टअप पैकेज में 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान एवं छूट के मामलों में एक वर्ष अतिरिक्त छूट का प्रावधान है।

छत्तीसगढ़ में एक्सोटिक मांगूर एवं बिग हेड मछलियों के मत्स्य बीज उत्पादन, संवर्धन एवं पालन पर प्रतिबंध

6 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ शासन, मछलीपालन विभाग द्वारा प्रदेश में एक्सोटिक मांगूर (क्लेरियस गेरीपिनस) एवं बिग हेड (हाइपोप्थेलमिक्थीस नोबीलीस) मछलियों के मत्स्य बीज उत्पादन, मत्स्य बीज संवर्धन एवं पालन को प्रतिषिद्ध घोषित किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • राज्य शासन के द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार इन मछलियों का परिवहन, आयात एवं विपणन भी प्रतिबंधित किया गया है।
  • इन प्रतिषिद्ध मछलियों का कोई भी मछुआ, वैयक्तिक, समूह या समिति, केंद्र या राज्य शासन द्वारा मत्स्यों का मत्स्य बीज उत्पादन, शासन अथवा वैयक्तिक जलस्रोत में संवर्धन एवं पालन नहीं करेगा।
  • संचालक मछली पालन के द्वारा जारी आदेश के अनुसार प्रतिबंध का उल्लंघन किये जाने की स्थिति में छत्तीसगढ़ मत्स्य क्षेत्र (संसोधन) अधिनियम 2015 के तहत एक वर्ष का कारावास एवं 10 हज़ार रुपए अथवा दोनों से दंडित किया जा सकेगा।
  • इन प्रतिबंधित मछलियों से संबंधित किसी भी गतिविधि में लिप्त पाए जाने पर दोष सिद्ध उपरांत संबंधित को मत्स्य विभाग द्वारा दी जाने वाली सभी प्रकार की योजनाओं से प्रतिबंधित भी किया जाएगा।


चंद्रकला बनी गोल्डन बुक गर्ल

छत्तीसगढ़ में दुर्ग के एक छोटे से गाँव पुरई की 15 साल की बेटी चंद्रकला ओझा लगातार आठ घंटे तक तैरकर विश्व कीर्तिमान रचते हुए गोल्डन बुक गर्ल बन गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस दौरान छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारी भी वहाँ मौजूद रहे। इस कीर्तिमान की रिकॉर्डिंग भी की गई।
  • विदित है कि मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले ही पुरई गाँव में खेल अकादमी खोलने की घोषणा की थी। खास बात यह है कि देश भर में पुरई की पहचान खेल गाँव के तौर पर होती है। अब इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नाम के तौर पर भी जाना जाएगा।
  • दुर्ग मुख्यालय से करीब 15 किमी. दूर स्थित पुरई गाँव की 15 साल की चंद्रकला ओझा ने बुलंद हौसलों के साथ गाँव के डोंगिया तालाब में रविवार 9 अप्रैल को सुबह 5 बजे से एक बजे तक पूरे आठ घंटे तक लगातार तैरकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
  • गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड के एशिया हेड मनीष विश्नोई ने बताया कि बिना ब्रेक के आठ घंटे पानी में लगातार तैरने का रिकार्ड किसी भी आयु वर्ग में अब तक नही था। चंद्रकला ओझा ने इसे कर दिखाया है।

पीएम फसल बीमा योजना के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिये छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित


प्रदेश के दो पंचायतों को दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सतत् विकास पुरस्कार 2023

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में पंचायतों को प्रोत्साहन पर राष्ट्रीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ की दो ग्राम पंचायतों को दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सतत् विकास पुरस्कार 2023 प्रदान किया।

प्रमुख बिंदु  

  • धमतरी ज़िले के नगरी विकासखंड की ग्राम पंचायत सांकरा को तथा सरगुजा ज़िले के लूंड्रा विकासखंड की ग्राम पंचायत नगम को राष्ट्रीय स्तर पर दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सतत् विकास पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया गया है।
  • ग्राम पंचायत सांकरा को यह पुरस्कार ‘स्वस्थ पंचायत’की श्रेणी में जबकि ग्राम पंचायत नगम को ‘गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका पंचायत’की श्रेणी में प्रदान किया गया है।
  • विदित है कि दीनदायाल उपाध्याय पंचायत सतत् विकास पुरस्कार (डीडीयू पीएसवीपी) के तहत स्वस्थ पंचायत श्रेणी में स्वास्थ्य संबंधी उत्कृष्ट कार्यों के लिये जनपद पंचायत नगरी की सर्वाधिक जनसंख्या वाली ग्राम पंचायत सांकरा छत्तीसगढ़ में अव्वल नंबर पर रही।
  • उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत सांकरा को इसके पूर्व पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है।
  • निम्नलिखित विभिन्न श्रेणियों में चुनी गईं पंचायतों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किये गए-
    • व्यक्तिगत एलएसडीजी विषय वस्तुओं के तहत प्रदर्शन के लिये दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत् विकास पुरस्कार (डीडीयूपीएसपी)
    • सभी 9 एलएसडीजी विषयों और हरित पहल से संबंधित विशेष श्रेणियों के तहत समग्र प्रदर्शन के लिये नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत् विकास पुरस्कार (एनडीएसपीएसवीपी)
    • ग्राम ऊर्जा स्वराज विशेष पंचायत पुरस्कार
    • कार्बन न्यूट्रल विशेष पंचायत पुरस्कार।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया ने रायपुर के सर्किट हाउस में श्रीमती आभा प्रसाद
द्वारा लिखित पुस्तक ‘स्टेट्स ऑफ वूमेन’ का विमोचन


सुरक्षित गर्भपात सेवाओं में नवाचार के लिये छत्तीसगढ़ को प्रथम पुरस्कार

28 अप्रैल, 2023 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में आयोजित गर्भपात देखभाल पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम (National Consultation on Comprehensive Abortion Care) में छत्तीसगढ़ को सुरक्षित गर्भपात सेवाओं में नवाचार के लिये प्रथम पुरस्कार मिला है।

प्रमुख बिंदु

  • मातृत्व स्वास्थ्य के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र अग्रवाल और राज्य सलाहकार अभिलाषा शर्मा रात्रे ने छत्तीसगढ़ की ओर से यह पुरस्कार ग्रहण किया।
  • उल्लेखनीय है कि देश में सुरक्षित गर्भपात सेवाओं की निगरानी के लिये मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट लागू किया गया है।
  • मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) एक्ट, 2021 के अनुसार गर्भवती महिला 24 हफ्ते तक गर्भपात करा सकती है। यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म, नाबालिग या गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में बदलाव (विधवा और तलाक), शारीरिक रूप से अक्षम और मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को गर्भपात की अनुमति है। साथ ही वे महिलाएँ भी गर्भपात करा सकती हैं, जिनके गर्भ में पल रहे भ्रूण में विकृति हो।
  • प्रदेश में निजी चिकित्सालयों में सुरक्षित गर्भपात सेवाओं की उपलब्धता एवं एमटीपी एक्ट के पालन की निगरानी के लिये ‘ई-कल्याणी एप’ तैयार किया गया है।
  • इस एप के माध्यम से निजी चिकित्सालय अधिनियम के अंतर्गत सेवाएं प्रदान करने के लिये आवेदन कर सकती हैं, जिसकी ज़िला स्तरीय समिति द्वारा समीक्षा कर अनुमति प्रदान की जाती है।
  • वर्तमान में प्रदेश में ‘ई-कल्याणी एप’ में 136 निजी चिकित्सालय पंजीकृत हैं, जहाँ एमटीपी एक्ट के तहत सुरक्षित गर्भपात सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं। इनके अलावा 193 शासकीय चिकित्सालयों में भी सुरक्षित गर्भपात संबंधी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
  • राज्य में सुरक्षित गर्भपात सेवाओं के संचालन में आईपास डवेलपमेंट फाउंडेशन (Ipas Development Foundation) द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

मुंगेली ज़िला को मिला श्रेष्ठ निक्षय मित्र का सम्मान

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने विश्व रेडक्रॉस दिवस के उपलक्ष्य पर राजभवन में आयोजित समारोह में कलेक्टर एवं अध्यक्ष रेडक्रॉस सोसाइटी ज़िला शाखा मुंगेली को श्रेष्ठ निक्षय मित्र के रूप में सम्मानित किया।

प्रमुख बिंदु 

  • मुंगेली कलेक्टर राहुल देव की ओर से ज़िला टीकाकरण अधिकारी डॉ. कमलेश खैरवार ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।
  • उल्लेखनीय है कि मुंगेली ज़िले को छत्तीसगढ़ रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से अधिक से अधिक टीबी मरीजों को गोद लेकर छत्तीसगढ़ राज्य में श्रेष्ठ निक्षय मित्र बनने का गौरव प्राप्त हुआ है।
  • इस अवसर पर राज्यपाल ने प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान में सक्रिय रूप से काम करने वाले कई अन्य निक्षय मित्रों एवं ज़िलों के ज़िलाधीशों को सम्मानित किया, जिसमें महासमुंद के कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर को भी सम्मानित किया गया।
  • उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 9 सितंबर, 2022 को वर्चुअल रूप में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान लांच किया था। भारत में विश्व के कुल टीबी मरीजों का 25 प्रतिशत से अधिक है।
  • संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के अनुसार सभी देशों ने 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है, लेकिन भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है और इस संकल्प को पूरा करने के लिये प्रत्येक स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में दिखा दुर्लभ ‘माउस डियर’

बस्तर स्थित विख्यात कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में अब दुर्लभ प्रजाति ‘माउस डियर’की तस्वीर कैमरा ट्रेप में कैद हुई है।

प्रमुख बिंदु  

  • हाल ही में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में संकटापन्न जंगली भेड़ियों की वापसी के साथ-साथ इससे लगे गाँवों तक छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी ‘पहाड़ी मैना’की भी मीठी बोली गूंजने लगी है।
  • यह वन विभाग की पहल से वन्यजीवों के सुरक्षित रहवास के लिये किये जा रहे कार्यों के सकारात्मक परिणाम को दर्शाता है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा लगातार वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में कार्य करने से दुर्लभ प्रजातियों का रहवास सुरक्षित हुआ है।
  • कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा स्थानीय युवाओं को पेट्रोलिंग गार्ड के रूप में रोज़गार उपलब्ध कराया गया है, जिससे लगातार पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग कर वन्यजीवों के रहवास का संरक्षण किया जा रहा है। साथ ही राष्ट्रीय उद्यान से लगे ग्रामीणों की संरक्षण में सहभागिता सुनिश्चित होने से वन्य प्राणियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर विश्व में सबसे छोटे हिरण समूह की प्रजाति में से एक है।
  • भारतीय माउस डियर का रहवास विशेष रूप से घने झाड़ियों तथा नमी वाले जंगलों में होता है। माउस डियर में चूहे-सूअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण दिखाई देता है और बिना सींग वाले हिरण का एकमात्र समूह है।
  • माउस डियर के शर्मीले व्यवहार और रात्रिकालीन गतिविधि के कारण इनके विषय में विशेष रिसर्च नहीं हुआ है। मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वनों में माउस डियर की उपस्थिति दर्ज हुई है।
  • वनों में लगने वाली आग, बढ़ते हुए अतिक्रमण और शिकार के दबाव से भारतीय माउस डियर की आबादी को शायद गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में इन प्रजातियों को बचाने के प्रयास की आवश्यकता है।
  • कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में ऐसे वन्यजीव के लिये उपयुक्त रहवास होने से और राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान और  स्थानीय लोगों की सहभागिता के परिणामस्वरूप ‘माउस डियर’जैसे दुर्लभ प्रजातियों की वापसी देखे जाने से राज्य शासन की वन्यजीव संरक्षण का उद्देश्य साकार हो रहा है। इससे पर्यटक आकर्षित होंगे तथा राष्ट्रीय उद्यान में सैलानियों की संख्या और अधिक बढ़ेगी।

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