सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव

खबरों में क्यों?


  • हाल ही में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्रियों ने औपचारिक रूप से ‘सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव’ (Supply Chain Resilience Initiative-SCRI) की शुरुआत की है।

  • इस पहल का लक्ष्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थायी, संतुलित और समावेशी विकास को प्राप्त करने के लिये आपूर्ति शृंखला को बेहतर तथा अधिक लचीला बनाना है।

  • भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के साथ क्वाड समूह में शामिल हैं।


मुख्य पहलू

‘सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस’ की अवधारणा:

  • अर्थ: यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक दृष्टिकोण है, जिसके अंतर्गत कोई देश अपने आपूर्ति जोखिम को कम करने के लिये उसमें विविधता लाता है।
  • महत्त्व: इस प्रकार के दृष्टिकोण को अपनाने का मुख्य कारण यह है कि किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना, चाहे वह प्राकृतिक हो (जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी, भूकंप अथवा महामारी) या मानव निर्मित (जैसे एक क्षेत्र विशिष्ट में सशस्त्र संघर्ष) के कारण किसी विशेष देश से आने वाली आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे गंतव्य देश में आर्थिक गतिविधि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
    सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव
  • पृष्ठभूमि: कोविड-19 महामारी ने जीवन, आजीविका और अर्थव्यवस्था पर अभूतपूर्व प्रभाव डाला है और साथ ही इसने वैश्विक तथा क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखला की कमज़ोरियों को भी उजागर किया है।

 

परिचय:

  • उद्देश्य:इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को ‘आर्थिक महाशक्ति’ में बदलने के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) आकर्षित करना।
  • साझेदार देशों के बीच परस्पर पूरक संबंध बनाना।
  • आपूर्ति शृंखला नेटवर्क के निर्माण के लिये योजना तैयार करना। उदाहरण के लिये जापान और भारत के बीच एक प्रतिस्पर्द्धात्मक साझेदारी है, जो भारत में जापानी कंपनियों की स्थापना में सहायता करती है।

 

विशेषताएँ:

  • जापान द्वारा प्रस्तावित इस पहल का उद्देश्य कोविड-19 महामारी के बीच भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति शृंखलाओं के पुनर्निर्धारण की संभावना के साथ चीन पर निर्भरता को कम करना है।
  • इस पहल के अंतर्गत शुरुआत में आपूर्ति शृंखला को बेहतर करने के लिये सर्वोत्तम तरीकों को साझा करने, निवेश बढ़ाने हेतु निवेश प्रोत्साहन कार्यक्रमों के आयोजन और आपूर्ति शृंखलाओं के विविधीकरण की संभावना का पता लगाने हेतु क्रेता-विक्रेताओं की बैठकों के आयोजन पर ध्यान दिया जाएगा।
  • इसके अंतर्गत डिजिटल प्रौद्योगिकी के संवर्द्धित उपयोग का समर्थन करना और व्यापार तथा निवेश के विविधीकरण पर ज़ोर देने जैसे संभावित नीतिगत उपाय शामिल हो सकते हैं।
  • यदि आवश्यक हो तो इसके विस्तार पर सर्वसम्मति के आधार पर विचार किया जा सकता है। मंत्रियों ने एक वर्ष में कम-से-कम एक बार SCRI के क्रियान्वयन के लिये मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ-साथ इस पहल को विकसित करने हेतु आपस में परामर्श करने का भी निर्णय लिया।
  • जापान ने इस पहल में आसियान (ASEAN) को शामिल करने की इच्छा व्यक्त की, हालाँकि भारत ने इसका विरोध किया है।
  • भारत, चीन से आसियान के माध्यम से होने वाले अपने आयात को कम करके चीन के अप्रत्यक्ष प्रभाव से अपने हितों की रक्षा करना चाहता है।

भारत के लिये महत्त्व:

  • चीन के साथ सीमा तनाव के बाद जापान जैसे साझेदारों ने समझा है कि भारत वैकल्पिक आपूर्ति शृंखलाओं पर वार्ता के लिये तैयार हो सकता है।
  • भारत के लिये चीन अभी भी आयात का एक बड़ा आभार/स्रोत बना हुआ है। इस आयात को चीन से अचानक आंशिक या पूर्ण रूप से बंद करना भारत के लिये अव्यवहारिक होगा।
  • समय के साथ यदि भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ता है या चीन के अलावा अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ाता जाता है तो यह अपनी अर्थव्यवस्था की आपूर्ति शृंखला को बेहतर कर सकता है।

समाधान

  • यह भारत की विनिर्माण प्रतिस्पर्द्धा क्षमता को बढ़ावा देने और विश्व व्यापार में उसकी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा। इसके लिये एक बुनियादी ढाँचे के निर्माण की आवश्यकता है जो भारत के निर्यात प्रतिस्पर्द्धा क्षमता को बढ़ाए।
  • भारत निवेशकों के लिये एक प्रमुख बाज़ार और विनिर्माण के विकल्प के रूप में दिखाई देता है। अतः भारत को अपने इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस और कौशल निर्माण में तेज़ी से प्रगति लाने की आवश्यकता है।

 

आभार/स्रोत: पी.आई.बी.

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