छत्तीसगढ़ पर्यटन : जिला धमतरी CGPSC 2021-22 | VYAPAM | POLICE SI | Latest General Awareness

छत्तीसगढ़ पर्यटन : धमतरी जिले के प्रमुख पर्यटन क्षेत्र [Tourist Places in Dhamtari District]

धमतरी जिला में पर्यटन

राजधानी रायपुर से 77 किमी दक्षिण दिशा में धमतरी स्थित है, यहाँ से 8 किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर पहाड़ी प्रदेश शुरू हो जाता है जिसमें सिहावा और गटसिल्ली की श्रेणियाँ भी सम्मिलित हैं. यह रायपुर से पृथक होकर 1998 में जिला बना, जनश्रुति है कि धमतरी किसी समय ‘गोंड राजा धुरुवा’ की राजधानी थी. यहाँ दर्शनीय स्थलों में रामचन्द्र का मंदिर, विलाई माता, जगदीश मंदिर तथा रथयात्रा (दुइज डोल) दर्शनीय हैं. धमतरी अपने चावल मिलों के लिये प्रसिद्ध है.

सिहावा (ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक)

धमतरी से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर घने वनों एवं पहाड़ियों से घिरा हुआ तीर्थस्थल ‘सिहावा’ स्थित है. सिहावा के उत्तर-पूर्व में कर्णेश्वर में छह प्राचीन मंदिर हैं. कर्णेश्वर का विशाल शिव मंदिर इस अंचल के शैव उपासना का प्रमुख केन्द्र रहा है. इन मंदिरों का निर्माण ।।14 ईस्वी में सोमवंशी राजाओं ने किया था. शिव मंदिर के शिलालेख से वह ज्ञात होता है कि यह क्षेत्र मूलतः सोमवंशी राज्य का एक भाग था. उनके सामंत यहाँ शासन करते थे. यहाँ स्थित शृंगी ऋषि के आश्रम के समीप पवित्र जलकुण्ड है, जहाँ से महानदी का उद्गम हुआ है. महर्षि शृंगी ने अपने प्रिय शिष्य महानंद ने नाम पर इस नदी को ‘महानदी’ नाम दिया.

सप्तश्रृषि आश्रम ( सिहावा ): राम वन गमन पर्यटन सर्किट के रूप में होगा विकास

धमतरी से 80 किमी की दूरी पर सिहावा पर्वत में सप्त ऋषियों के आश्रम विभिन्न पहाड़ियों में बने हुए हैं। श्री राम मुचकुंद ऋषि, अगस्त्य ऋषि, अंगिरा, श्रृंगि ऋषि, कंकर ऋषि, शरभंग ऋषि और गौतम आदि ऋषियों के आश्रम में जाकर सभी ऋषि-मुनियों से भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किए थे। सिहावा महानदी का उद्गम स्थल है। राम कथाओं में यह वर्णन मिलता है कि भगवान श्रीराम इन स्थानों में निवासरत रहे। सिहावा की भौगोलिक स्थिति, ऋषि-मुनियों और गुरूकुल परम्परा में अध्यापन करने वाले विद्यार्थियों के लिए अनुकूल है, जहां राम साधु-सन्यासियों एवं मनीषियों के साथ सत्संग किए। सीतानदी सिहावा के दक्षिण दिशा में प्रवाहित होती है। सिहावा से आगे श्रीराम कंकर ऋषि के आश्रम (कांकेर) पहुंचते हैं।
छत्तीसगढ़ शासन ने राम वनगमन परिपथ को एक पर्यटन सर्किट के रूप में शामिल कर उनके सौंदर्यीकरण और विकास की योजना तैयार कर ली है। नया पर्यटन सर्किट में प्रभु श्रीराम अपने वनवास काल के समय जहां-जहां से प्रवास किए उन स्थानों या परिपथ को बेहतर सड़क सहित अन्य पर्यटन सुविधाओं के तहत विकसित किए जाएंगे।

सीतानदी अभयारण्य (वन्य प्राणी अभयारण्य)-

रायपुर जिले के दक्षिण में धमतरी जिले से 90 किलोमीटर तथा रायपुर से लगभग 176 किलोमीटर पर ‘सीता नदी अभयारण्य स्थित है, ‘सीता नदी अभयारण्य’ का क्षेत्रफल 553-36 वर्ग किलोमीटर है, यहाँ बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, आदि वन्य प्राणी पाये जाते हैं. यह क्षेत्र सन् 1974 में अभयारण्य घोषित किया गया.

गंगरेल जलाशय ( रविशंकर जलाशय )

धमतरी से आगे जगदलपुर मार्ग पर 3 किलोमीटर के बाद बायीं ओर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर ‘गंगरेल जलाशय’ स्थित है. रायपुर से इसकी दूरी 92 किलोमीटर है. महानदी पर 1246 मीटर लम्बा यह गंगरेल जलाशय पूर्णतः मिट्टी का बना है. यह एक सुंदर पिकनिक स्थल है. यहाँ पर सिंचाई विभाग द्वारा एक उद्यान का निर्माण कराया गया है जहाँ सिंचाई विभाग का विश्राम गृह भी है.

1978 में बनाया गया था गंगरेल बांध :
अब इसपर लेक व्यू प्रोजेक्टर पूरा होने के बाद यह देश का सबसे खूबसूरत आर्टिफिशियल बीच बन चुका है। इसकी तारीफ केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री केजे अल्फॉन्स ने भी की है। गंगरेल डेम प्रोजेक्ट निर्मांण के समय से ही अपने आप में एक अनोखा प्रोजेक्ट रहा है, जिसे 1978 में बनाया गया था।

गंगरेल बांध बनाता है छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा :
महानदी नदी के पार पे बनाया गया यह छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध है, इसकी सुन्दरता को देखने लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। यह बांध पूरे वर्ष भर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती है, जिससे इसके आस-पास के क्षेत्रों में धान की पैदावार अधिक मात्रा में होती है और इसी वजह से छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है। यहां के मैदानी क्षेत्र के किसान प्रति वर्ष दो से तीन फसलों का उत्पादन कर लेते हैं। करीब 1830 मीटर लंबा व 100 फीट ऊंची इस बांध के पानी से लगभग 57000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। इसके अलावा भी यह भिलाई स्टील प्लांट और नई राजधानी रायपुर को भी पानी उपलब्ध कराती है। बांध में 10 मेगावॉट की हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट भी काम कर रही है।

गंगरेल बांध प्रदेश का सबसे लंबा बांध

गंगरेल बांध प्रदेश का सबसे लंबा बांध है। बांध करीब 1830 मीटर लंबा और 100 फीट ऊंचा है। इसकी पानी की क्षमता 15 हजार क्यूसेक की है। बांध से आस-पास के किसानों को सालों भर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है। इससे किसान साल में दो से तीन फसलों का उत्पादन कर लेते हैं। इसमें धान का उत्पादन प्रमुख रुप से होता है। बांध से करीब 57 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। बांध से राजधानी रायपुर और भिलाई स्टील प्लांट को जल की आपूर्ति की जाती है। बांध से छत्तीसगढ़ पॉवर कंपनी हाइडल पावर प्लांट के माध्यम से करीब 10 मेगावॉट बिजली का उत्पादन भी करती है। बांध में 14 गेट बने हुए हैं। बरसात के दिनों में बांध के गेट खोलने पड़ते हैं। 1978 में बांध का निर्माण पूरा हुआ था जिसका लोकार्पण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था।

छत्तीसगढ़ पर्यटन : जिला रायगढ़

धार्मिक मान्यता :

गंगरेल बाँध के एक छोर पर स्थित है, अदि शक्ति माँ अंगार मोती की प्रतिमा जो पहले क़रीब 10 किलोमीटर दूर ग्राम चँवर में स्थापित थी, परन्तु अब यह गाँव डुब चुका है। इस देवी की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई हैं ।

ऐसा है यहां का आर्टिफिशियल बीच मिनी गोवा :
करीब 1 किलोमीटर के दायरे में इस आर्टिफिशियल बीच को बनाया गया है जो ट्रायबल टूरिज्म सर्किट का हिस्सा है। बांध का यह तट हुबहू किसी समुद्री तट की तरह नजर आता है और यहां उसी स्तर की सुविधाएं मुहैया की गई हैं। यहां एथनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन डेवलपमेंट के अंतर्गत लॉग हट्स, कैफेटेरिया, गार्डन, पगोड़ा, वॉटर स्पोर्ट्स की सुविधा विकसित की गई है। पैरासीलिंग, प्लायबोर्ड, ऑकटेन, जार्बिन बॉल, पी.डब्ल्यू.सी.बाईक, बनाना राईड, सौ सीटर शिप, वॉटर सायकल, कयाक, पायडल बोट्स आदि का लुत्फ सैलानी यहां उठा सकते हैं।

ग्रीन एडवेंचर रिसॉर्ट पार्क धमतरी

गंगरेल बांध घूमने का प्लान बनाते हैं तो बांध के पास ही स्थित छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पार्क ग्रीन एडवेंचर रिसॉर्ट को घूमना ना भूलें। पार्क को बहुत खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। यहां पर कई तरह की सुविधाएं हैं। इसमें झूला, स्लाइडर, वॉटर फॉल, गजीबो, सेल्फी प्वाइंट, गेम, लक्ष्मण झूला, ओपन एयर थिएटर, रेस्टोरेंट आदि शामिल है।  फोटोग्राफी, पिकनिक और किसी तरह की पार्टी सेलिब्रेट करने के लिए यह जगह बेस्ट है। पार्क में सभी वर्ग के लोगों के एंटरटेनमेंट का खास ध्यान रखा गया है। यहां जाकर आप निराश नहीं होंगे। यहां का रेस्टोरेंट 100% वेज है।

लक्ष्मण झूला

बैक साइड में जाने पर पार्क द्वारा निर्मित लक्ष्मण झूला भी मिलता है। झूला से कुछ दूरी पर छत्तीसगढ़ पॉवर जनरेशन कंपनी का ऑफिस भी है। बैक साइड जाकर आप जनरेशन कंपनी के हाइडल प्लांट को भी करीब से देख सकते हैं, जहां पानी से टारबाइन को घुमाकर बिजली बनाई जाती है। पार्क के अंदर मैन मेड वॉटरफॉल बना हुआ है, जब भी जाएं तो किसी भी झरने के पानी के अंदर हाथ ना डालें। ये बिजली से संचालित होते हैं ऐसे में करंट लगने का डर बना रहता है। पार्क के अंदर बोर्ड पर ऐसी चेतावनी लिखी हुई है। ग्रीन एडवेंचर रिसॉर्ट का स्लोगन है कि ये नहीं देखा तो गंगरेल नहीं देखा।

क्या है ट्रायबल टूरिस्म सर्किट :
भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहत ‘ट्रायबल टूरिस्म सर्किट” में छत्तीसगढ़ के जशपुर-कुनकुरी-मैनपाट-कमलेश्वरपुर-महेशपुर-कुरदर-सरोधादादर-गंगरेल-कोण्डागांव-नथियानवागांव-जगदपुर-चित्रकोट-तीरथगढ़ सहित 13 प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ा जाएगा। परियोजना के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा 99 करोड़ की धनराशी स्वीकृत किये गए हैं।
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