ग्रीन हाइड्रोजन : वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़ीशन आउटलुक रिपोर्ट 2021 [CGPSC Latest Current Affairs]

ग्रीन हाइड्रोजन


खबरों में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) के अनुसार, वर्ष 2050 तक कुल ऊर्जा मिश्रण में हाइड्रोजन की हिस्सेदारी 12% तक हो जाएगी।

  • एजेंसी ने यह भी सुझाव दिया किउपयोग किये जाने वाले इस हाइड्रोजन का लगभग 66% हिस्सा प्राकृतिक गैस के बजाय जल से प्राप्त किया जाना चाहिये।
  • हाल ही में IRENA ने ‘वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़ीशन आउटलुक‘ रिपोर्ट जारी की है।

सी.जी.पी.एस.सी. प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीन हाइड्रोजन, अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी, वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़ीशन आउटलुक’ रिपोर्ट

सी.जी.पी.एस.सी. मेन्स पेपर 4 भाग 3 के लिये:

हाइड्रोजन की वर्तमान स्थिति, इससे संबंधित चुनौतियाँ और संभावनाएँ

हाइड्रोजन

  • स्वच्छ वैकल्पिक ईंधनविकल्प के लिये हाइड्रोजन पृथ्वी पर सबसे प्रचुर तत्त्वों में से एक है।
  • हाइड्रोजन का प्रकारउसके बनने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है:
    • ग्रीन हाइड्रोजनअक्षय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
      • इसके तहत विद्युत द्वारा जल (H2O) को हाइड्रोजन (H) और ऑक्सीजन (O2) में विभाजित किया जाता है।
      • उपोत्पाद:जल, जलवाष्प।
    • ब्राउन हाइड्रोजनका उत्पादन कोयले का उपयोग करके किया जाता है जहाँ उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
    • ग्रे हाइड्रोजन(Grey Hydrogenप्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है जहाँ संबंधित उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
    • ब्लू हाइड्रोजन(Blue Hydrogen) प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होती है, जहाँ कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग करके उत्सर्जन को कैप्चर किया जाता है।

उपयोग:

  • हाइड्रोजन एक ऊर्जा वाहक है, न कि स्रोत और यहऊर्जा की अधिक मात्रा को वितरित या संग्रहीत कर सकता है।
  • इसका उपयोगफ्यूल सेल में विद्युत या ऊर्जा और ऊष्मा उत्पन्न करने के लिये किया जा सकता है।
    • वर्तमान में पेट्रोलियम शोधन और उर्वरक उत्पादन में हाइड्रोजन का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, जबकि परिवहन एवं अन्य उपयोगिताएँ इसके लिये उभरते बाज़ार हैं।
  • हाइड्रोजन और ईंधन सेल वितरित या संयुक्त ताप तथा शक्ति सहित विविध अनुप्रयोगों में उपयोग के लिये ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं; अतिरिक्त उर्जा; अक्षय ऊर्जा के भंडारण और इसे सक्षम करने के लिये सिस्टम; पोर्टेबल बिजली आदि।
  • इनकी उच्च दक्षता औरशून्य या लगभग शून्य-उत्सर्जन संचालन के कारण हाइड्रोजन एवं फ्यूल सेलों जैसे कई अनुप्रयोगों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु –

दुनिया भर में वर्तमान स्थिति:

  • कुल उत्पादित हाइड्रोजन का 1% से भी कम हिस्साग्रीन हाइड्रोजन होता है।
  • इलेक्ट्रोलाइज़र के निर्माण और तैनाती को 3 गीगावाट की वर्तमान क्षमता से वर्ष 2050 तक अभूतपूर्व दर से लगभग 5,000 गीगावाट तक बढ़ाना आवश्यक है।

भारतीय परिदृश्य

  • हाइड्रोजन की खपत:भारत उर्वरक और रिफाइनरियों सहित औद्योगिक क्षेत्रों में अमोनिया और मेथनॉल के उत्पादन हेतु प्रतिवर्ष लगभग छह मिलियन टन हाइड्रोजन की खपत करता है।
    • उद्योग की बढ़ती मांग और परिवहन एवं बिजली क्षेत्रों के विस्तार के कारण यह वर्ष 2050 तक बढ़कर 28 मिलियन टन हो सकता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन की लागत:वर्ष 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन की लागत हाइड्रोकार्बन ईंधन (जैसे कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस आदि) के समान ही हो जाएगी।
    • उत्पादन और बिक्री बढ़ने पर कीमत में और कमी आएगी। यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारत की हाइड्रोजन की मांग वर्ष 2050 तक पाँच गुना बढ़ जाएगी, जिसमें से 80% ग्रीन हाइड्रोजन होगी।
  • ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यातक:भारत अपने सस्ते नवीकरणीय ऊर्जा शुल्कों के कारण वर्ष 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन का शुद्ध निर्यातक बन जाएगा।

 

भारत के लिये ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग का महत्त्व:

  • ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ भारत को स्वच्छ ऊर्जा की ओर ले जा सकता है, साथ ही यह देश में जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में भी मददगार हो सकता है।
    • पेरिस जलवायु समझौतेके तहत भारत ने वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है।
  • इससे भारत जीवाश्म ईंधन पर अपनी आयात निर्भरता को कम करेगा।
  • इलेक्ट्रोलाइज़र उत्पादन का स्थानीयकरण और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं के विकास से भारत में 18-20 बिलियन डॉलर का एक नया ग्रीन प्रौद्योगिकी बाज़ार विकसित हो सकता है तथा हज़ारों की संख्या में नौकरियों का सृजन हो सकता है।

 

भारत के लिये ग्रीन हाइड्रोजन का संभावनाएँ:

  • भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन हेतु एक अनुकूल भौगोलिक स्थिति, धूप और वायु की प्रचुर मात्रा विद्यमान है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को उन क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जा रहा है जहांँ प्रत्यक्ष विद्युतीकरण संभव नहीं है।
    • अत्यधिक शुल्क, लंबी दूरी का परिवहन, कुछ औद्योगिक क्षेत्र और दीर्घकालिक विद्युत भंडारण उन क्षेत्रों में शामिल हैं जहाँ ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने देश में हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने हेतु एक मसौदा नीति जारी की है।
  • इस उद्योग का प्रारंभिक चरण क्षेत्रीय हब के निर्माण पर आधारित है जो उच्च मूल्य वाले ग्रीन उत्पादों और इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण सेवाओं के निर्यात पर केंद्रित है।

 

भारत के लिये ग्रीन हाइड्रोजन का चुनौतियां:

  • आर्थिक स्थिरता:ग्रीन हाइड्रोजन के प्रयोग से उत्पन्न होने वाली आर्थिक स्थिरता व्यावसायिक रूप से हाइड्रोजन का उपयोग करने पर उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
    • परिवहन ईंधन सेल्स (Transportation Fuel Cells) के लिये हाइड्रोजन को प्रति मील के आधार पर पारंपरिक ईंधन और प्रौद्योगिकियों के साथ लागत-प्रतिस्पर्द्धी होना चाहिये।
  • उच्च लागत और सहायक बुनियादी ढांँचे की कमी:
    • ईंधन सेल(Fuel cells) तकनीकी जिसका उपयोग कारों में प्रयोग होने वाले हाइड्रोजन ईंधन को ऊर्जा में परिवर्तित करने हेतु किया जाता है, अभी भी महंँगे हैं।
    • कारों में हाइड्रोजन ईंधन भरने हेतु आवश्यक हाइड्रोजन स्टेशन का बुनियादी ढांँचा अभी भी व्यापक रूप से विकसित नहीं है।

 

उठाए गए कदम:

  • केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत एकराष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (National Hydrogen Energy Mission-NHM) की घोषणा की गई है, जो हाइड्रोजन को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिये एक रोडमैप तैयार करेगा।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु –

  • अक्षय ऊर्जा के लिये भारतीय पहलें:
    • जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (JNNSM)
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
    • PM-कुसुम
    • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति
    • रूफटॉप सौर योजना

आगे की राह

  • ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइज़र क्षमता के लिये एक राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित करना:भारत में एक जीवंत हाइड्रोजन उत्पाद निर्यात उद्योग जैसे कि ग्रीन स्टील (वाणिज्यिक हाइड्रोजन स्टील प्लांट) के निर्माण हेतु एक चरणबद्ध निर्माण कार्यक्रम का उपयोग किया जाना चाहिये।
  • पूरक समाधान लागू कर सुदृढ़ चक्र (Virtuous Cycles) बनाना:उदाहरण के लिये हवाई अड्डों पर ईंधन भरने, ऊर्जा प्रदान करने और विद्युत उत्पन्न करने के लिये हाइड्रोजन बुनियादी ढाँचा स्थापित किया जा सकता है।
  • विकेंद्रीकृत उत्पादन:विकेंद्रीकृत हाइड्रोजन उत्पादन को एक इलेक्ट्रोलाइज़र (जो बिजली का उपयोग करके H2 और O2 बनाने हेतु पानी को विभाजित करता है) के लिये अक्षय ऊर्जा की खुली पहुँच के माध्यम से बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • वित्त प्रदान करना:नीति निर्माताओं को भारत में उपयोग हेतु प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिये प्रारंभिक चरण के पायलट स्तर और अनुसंधान एवं विकास में निवेश की सुविधा प्रदान करनी चाहिये।

स्रोत : डाउन टू अर्थ

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